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भारत के रियल्टी फंडों के लिए लंदन भी माकूल नहीं

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 09, 2022 | 6:46 PM IST

एक और जहां निवेशकों ने लंदन में अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट मार्केट (एआईएम) प्रबंधन के खिलाफ झंडा बुलंद कर दिया है, वहीं इस बाजार में भारत केंद्रित रियल्टी फंडों की कुल परिसंपत्ति (एनएवी) में 90 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है।


यह गिरावट पिछले एक साल केभीतर दर्ज आई है। इस गिरावट से एक बार फिर पूरे विश्व में शेयर और रियल्टी बाजार की खस्ता हालत और निवेशकों के डगमगाते विश्वास का पता चलता है। दिल्ली के यूनिटेक समूह के यूनिटेक कॉर्पोरेट पार्क्स में करीब 93 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

ऐसे फंडों की कतार बहुत लंबी है और इस कतार में हीरको, रहेजा समूह के ईशान रियल स्टेट और त्रिकोना की ट्रिनिटी कैपिटल का नाम शुमार है जिनकी कुल परिसंपत्ति में 80 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है।

हाल में एक अंतरराष्ट्रीय निवेशक लेक्सी पार्टनर्स ने हीरानंदानी समूह की एआईएम में सूचीबध्द कंपनी हीरको के उस प्रस्ताव पर अपनी नाराजगी जाहिर की जिसमें इसके प्रवर्तकों ने घाटे में चल रही भारत केंद्रित दो परियोजनाएं खरीदने और अपने में विलय की बात कही थी।

फंडों के शुध्द परिसंपत्ति मूल्य में गिरावट पर अपनी प्र्रतिक्रिया करते हुए जोन्स लेंग ला साले मेघराज के पूंजी बाजार के संयुक्त प्रबंध निदेशक शोभित अग्रवाल ने कहा कि मामला नकदी की समस्या का है क्योंकि उनकी अधिकांश परियोजनाओं से अभी राजस्व मिलना शुरू नहीं हुआ है।

अग्रवाल ने कहा कि जब उनकी कंपनी सूचीबदध्द हुई तो उस समय सभी लोग उनका मूल्यांकन इस आधार पर कर रहे थे कि उनके पास कितनी जमीन है लेकिन अब निवेशक उनका मूल्यांकन इस आधार पर कर रहे हैं कि उनके पास कितना नकदी आ रहा है।

यही एक कारण है कि फंडों की शुध्द परिसंपत्ति में इतनी तेजी से गिरावट आई है। इसी तरह अमेरिका स्थित एक पेंशन फंड प्रबंध निदेशक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि फंडों की कीमत में भारी गिरावट इसलिए आई है कि हेज फंडों की अगुआई में निवेशकों ने अपना पैसा निकाल लिया है।

इस फंड प्रबंधक ने कहा कि पिछले साल हेज फंडों ने रिडेम्पशन के दबाव के कारण काफी बड़े पैमाने पर अपने पैसे बाजार से निकाल लिए थे।

बहुत सार निवेशकों के ने यह सोचकर बिकवाली शुरू कर दी क्योंकि इन निवेशकों को लगा कि उन्होंने बाजार में जरूरत से ज्यादा महंगे भाव पर वर्ष 2006 में उस समय फंड खरीद लिए जब फंड सूचीबध्द हुए थे और जिस समय रियल्टी की कीमतें काफी अधिक थी।

फंड प्रबंधक ने कहा कि मगर अब दुनिया भर में रियल्टी की कीमतें में काफी गिरवाट दर्ज की गई है। गौरतलब है कि अपेक्षाकृत नियमों में छूट और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूंजी की उपलब्धता और कम रिपोर्टिंग खर्च के कारण करीब दर्जन भर भारतीय कंपनियों ने वर्ष 2006 से एआईएम से करीब 2 अरब पाउंड जुटाए थे। हालांकि इन कंपनियों के प्रवर्तकों के इरादे अभी भी कमजोर नहीं हुए है।

हीरानंदानी कंस्ट्रक्शन के निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि गिरावट का कारण रियल एस्टेट के बारे में निवेशकों का बदला हुआ नजरिया है, न कि कंपनियों के बारे में। हीरानंदानी ने कहा कि पुनर्गठन योजनाओं की घोषणा के बाद से उनकेफंड का प्रदर्शन बहुत बेहतर रहा है।

इसी तरह यूनिटेक के एक प्रवक्ता ने कहा कि यूनिटेक कॉर्पोरेट पार्क्स का शुध्द परिसंपत्ति मूल्य वास्तव में सूचीबध्द होने के समय के मुकाबले ऊपर चढा है।

First Published : January 7, 2009 | 9:02 PM IST