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बाजार की मंदी खा रही है ब्रोकिंग फर्मों की कमाई

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 06, 2022 | 9:43 PM IST

ब्रोकिंग फर्मों ने अपने कारोबार को विशाखित कर भले ही अपनी कमाई में आ रही गिरावट कम करने में कामयाबी हासिल कर ली हो लेकिन बाजार में बरकरार मंदी से ट्रेडिंग वॉल्यूम गिरे हैं,जिसका सीधा असर इन फर्मों की कमाई पर पड़ रहा है जो अगले दो-तीन तिमाहियों तक जारी करेगा।


इन ब्रोकिंग फर्मों की कमाई के आंकडों से साफ है कि जिन फर्मों को इन्वेस्टमेंट बैंकिंग, म्युचुअल फंड एडवायजरी, इंश्योरेंस ब्रोकिंग और प्राइवेट इक्विटी के कारोबार से भी कमाई हो रही है उनके शुध्द मुनाफे में सालाना आधार पर इजाफा दर्ज हुआ है लेकिन अगर तिमाही आधार पर देखा जाए तो इनकी कमाई पर खासा असर पड़ा है।


मोतीलाल ओसवाल को पिछले कारोबारी साल की आखिरी तिमाही में 44 करोड़ का शुध्द मुनाफा हुआ जो मार्च 2007 की तिमाही के 53 करोड रुपए के मुनाफे से 17 फीसदी कम है। हालांकिसालाना आधार पर यानी 2007 और 2008 के मुनाफे की तुलना की जाए तो इसमें 93 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है।


सेगमेन्ट के आधार पर देखा जाए तो इसके इन्वेस्टमेंट बैंकिंग डिवीजन में सबसे ज्यादा ग्रोथ देखी गई और 2006 में इसके शुरुआत से इस सेगमेन्ट ने 2.5 अरब डालर की कुल 33 डील की हैं। इंवेस्टमेंट बैंक एडवायजरी फीस भी इस दौरान 142 फीसदी बढ़कर 26 करोड़ से 63 करोड़ रुपए हो गई।


फंड आधारित इनकम में भी 221 फीसदी का इजाफा रहा और यह 2007 की तुलना में 11 करोड़ से बढ़कर 37 करोड़ रुपए हो गया। इसी तरह असेट मैनेजमेंट फीस में भी साल भर के दौरान ही 215 फीसदी का इजाफा रहा और यह 9 करोड़ से बढ़कर 28 करोड़ रुपए हो गया।


इंडियाबुल्स सिक्योरिटीज के आंकड़ों को देखा जाए तो इसका शुध्द मुनाफा तिमाही आधार पर 80 करोड़ रुपए से घटकर करीब 50 करोड़ रुपए रह गया। लेकिन इक्विटी ब्रोकिंग और एडवायजरी कारोबार में खासी ग्रोथ दिखी और मार्च 2008 की तिमाही में इस कारोबार से होने वाला टैक्स के बाद का मुनाफा मार्च 2007 की तुलना में 41 फीसदी बढ़कर 37.96 करोड़ से 53.44 करोड़ हो गया।


इंडियाबुल्स फाइनेंशियल सर्विसेस के चीफ एक्जिक्यूटिव ऑफिसर गगन बंगा के मुताबिक बाजार का भारी उतार चढ़ाव रिटेल ब्रोकिंग फर्मों के लिए बेहतर साबित होता है। बाजार जब लगातार और धीर धीरे चढ़ रहा होता है तो कारोबारियों को अपना ब्रोकर बदलने में दिक्कत होती है लेकिन हमारे पास लगातार नए क्लायंट आते रहते हैं जो वॉल्यूम गिरने की भरपाई करते रहते हैं।


ब्रोकिंग फर्मों के बारे में रिसर्च एनालिस्टों की राय ठीक है और इंडिया इंफोलाइन को उन्होने आउटपर्फार्मर का दर्जा दिया है लेकिन म्युचुअल फंड इन स्टॉक्स को लेकर सतर्कता बरत रहे हैं। इंडिया इंफोलाइन पर इनाम सेक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह फर्म अपना फोकस धीरे धीरे पूंजी बाजार पर कम कर रही है। इक्विटी ब्रोकिंग की कमाई का सबसे बड़ा हिस्सा होता है लेकिन अब कंज्यूमर फाइनेंस और इंवेस्टमेंट बैंकिंग की हिस्सेदारी इसमें बढ़ती जा रही है।


हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि बाजार के मौजूदा हाल को देखते हुए, चालू कारोबारी साल की पहली तिमाही में शुल्क से होने वाली कमाई में गिरावट सकती है। थॉमसन के आंकड़ों के मुताबिक इंवेस्टमेंट बैंकिंग से होने वाली आय में 14 मार्च 2008 तक 32.7 फीसदी की गिरावट देखी गई है।


सुंदरम बीएनपी परिबा म्युचुअल फंड के इक्विटी हेड सतीश रामनाथन के मुताबिक वे ब्रोकिंग हाउस को लेकर सतर्क हैं क्योंकि वेअभी परेशानी से उबरे नहीं हैं। शुल्कों पर आधारित उनकी कमाई पर खासा असर पड़ा है और उनके कारोबारी आय में गिरावट आ सकती है।

First Published : May 6, 2008 | 10:38 PM IST