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कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग को झटका, MD सी. पार्थसार​थि पर लगा 7 साल का बैन

Published by
खुशबू तिवारी
Last Updated- April 28, 2023 | 10:03 PM IST

बाजार नियामक सेबी ने कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग (केएसबीएल) और उसके प्रवर्तक व प्रबंध निदेशक सी. पार्थसार​थि प्रतिभूति बाजार में सात साल तक प्रवेश से रोक दिया है। क्लाइंटों की रकम में 1,443 करोड़ रुपये की हेराफेरी के कारण सेबी ने यह आदेश दिया है।

इस मामले पर अंतिम आदेश जारी करते हुए सेबी ने क्लाइंटों की तरफ से दिए गए पावर ऑफ अटॉर्नी का दुरुपयोग करने और रकम का हस्तांतरण समूह कंपनियों को करने पर 21 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

स्टॉक एक्सचेंजों ने केएसबीएल के ट्रेडिंग टर्मिनल दिसंबर 2019 में निलंबित कर दिए थे और क्लाइंटों के फंड के दुरुपयोग पर एक साल बाद उसे डिफॉल्टर घोषित कर दिया था।

बाजार नियामक ने कार्वी रियल्टी और कार्वी कैपिटल को तीन महीने के भीतर क्लाइंटों के 1,443 करोड़ रुपये लौटाने का आदेश दिया है। रकम हस्तांतरित करने में नाकाम रहने पर नैशनल स्टॉक एक्सचेंज को रिकवरी के लिए उसकी परिसंपत्तियों पर नियंत्रण का निर्देश दिया गया है।

इसके अलावा पार्थसार​थि को किसी सूचीबद्ध‍ कंपनी या अन्य कंपनी में पद लेने पर 10 साल तक रोक लगा दी है, जिसका इरादा आम लोगों से रकम जुटाने का हो। कंपनी के दो अन्य निदेशकों को भी दो साल तक कोई पद लेने पर रोक लगाई गई है और 5-5 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है।

बाजार नियामक ने पाया कि केएसबीएल के करीब तीन लाख ग्राहक अपने फंडों व प्रतिभूतियों के निपटान के लिए अभी भी प्रतीक्षा कर रहे हैं जबकि तीन साल पहले अंतरिम आदेश पारित किया गया था।

अगर सेबी उधार देने वाले वित्तीय संस्थानों को गिरवी शेयर के बदले दिए गए कर्ज की रिकवरी का आदेश दिया होता तो यह अलग-अलग शेयरों पर बिकवाली का भारी दबाव बनाता, जो पूरे शेयर बाजार के लिए व्यवस्थित जोखिम होता।

नियामक ने पाया कि केएसबीएल का मामला सख्त कदम की मांग कर रहा था ताकि शेयर ब्रोकरों व उनके प्रबंधन को अनुचित व धोखाधड़ी का व्यवहार न करने का सख्त संदेश मिले।

First Published : April 28, 2023 | 9:52 PM IST