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मोजर बियर-आई खरोंच

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 8:07 PM IST

दृश्य मीडिया और होम एंटरटेनमेंट कारोबार के गंभीर दबाव में होने के कारण 1,899 करोड़ की मोजर बियर कंपनी अब फोटो वोल्टयिक कारोबार पर फोकस कर रही है। इसके लिए कंपनी ने अपने एकल स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी का निर्माण किया है।


हालांकि कंपनी के प्रबंधन ने फोटो वोल्टिक कारोबार की जानकारी तो नहीं दी लेकिन कहा कि औसत रियलाइजेशन प्रति वॉट 2.75 डॉलर से तीन डॉलर के बीच है। इसकी मौजूदा सौर ऊर्जा क्षमता 120 मेगावॉट है और कंपनी ने दावा किया कि जब खपत 80 फीसदी तक पहुंच जाएगी तो तो ऑपरेटिंग मार्जिन 20 से 25 फीसदी के बीच हो जाएगा।

हालांकि इस आंकड़े तक वित्तीय वर्ष 2009 के आसपास पहुंचा जा सकता है। सौर ऊर्जा की वैश्विक मांग के साल 2011 तक 10 से 15 गीगावॉट तक पहुंचने की संभावना है और इसकी बाजार कीमत 50 से 70 अरब डॉलर की है।

कंपनी ने इसके लिए निवेशकों से 411 करोड़ की पूंजी जुटाई है जिनकी इस नई अनुषंगी कंपनी में 6.5 फीसदी हिस्सेदारी है। कंपनी अपनी नोएडा स्थित फर्म में सिलिकॉन और थिन फिल्मस दोनों का पिछले दो साल में 120 मेगावॉट से 300 मेगावॉट की क्षमता से उत्पादन कर रही है। 

इसके अतिरिक्त कंपनी का जून 2008 की तिमाही में प्रदर्शन कमजोर रहा और उसकी शुध्द बिक्री सालाना आधार पर सिर्फ दो फीसदी बढ़कर 479 करोड़ रुपए पर रही। इसकी वजह ऑप्टिकल डिस्क की बिक्री में होने वाली 27 फीसदी सालाना गिरावट रही।

कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन भी सालाना आधार पर 18 फीसदी से गिरकर आठ फीसदी के स्तर पर रहा। इसकी वजह अन्य खर्चों और कंटेट की ऊंची लागत रही और इसमें कंपनी को 82 फीसदी ज्यादा खर्चा करना पड़ा। इससे कंपनी को कुल 104 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ जिसमें करेंसी मूवमेंट से होने वाला 28 करोड़ का नुकसान भी शामिल है।

प्रबंधकों का मानना है कि ऑप्टिकल डिस्क की कीमतें निचले स्तर पर पहुंच गई हैं और कंपनी की योजना टेक्नोलॉजी अपग्रेड करने की है जैसे ब्लू रे और एचडी डीवीडी। हालांकि उद्योग पर नजर रखने वालों का मानना है कि कीमतों पर दबाव बने रहने की संभावना है क्योंकि गलाकाट प्रतिस्पर्धा के बने रहने की संभावना है।

सूरते हाल यह है कि रीटेक और सीएमसी मैग्नेटिक जैसे बडे ख़िलाड़ियों की बिक्री में वित्त्तीय वर्ष 2008 में सालाना आधार पर 30 से 35 फीसदी की गिरावट आई है और  दुनिया की चौथी सबसे बड़ी डिस्क बनाने वाली कंपनी बाजार से बाहर निकलने की सोच रही है क्योंकि आपूर्ति अभी भी मांग से ज्यादा है जिससे लाभ में आगे भी दबाव में रहने की संभावना है।

वीसीडी और डीवीडी के रियलाइजेशन के भी दबाव और बढ़ेगा क्योंकि इससे कीमतों में 35 से 50 रुपए की गिरावट के साथ कंटेट की लागत लगातार बढ़ रही है। साल की शुरुआत से कंपनी के शेयरों की कीमतों में 63 फीसदी की गिरावट आई है जबकि सेंसेक्स में 29 फीसदी की गिरावट आई है। विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी की प्रति शेयर आय इस साल गिर सकती है।

First Published : September 8, 2008 | 10:18 PM IST