कच्चे तेल की मौजूदा कीमतें 70 फीसदी गिर कर 45 डॉलर प्रति बैरल रह जाने से तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) की शुद्ध प्राप्तियों पर मौजूदा और आने वाली तिमाहियों में जबरदस्त असर पड़ने की संभावना है।
पिछले साल सितंबर की तिमाही के दौरान ओएनजीसी की शुद्ध प्राप्तियों में सालाना आधार पर 15 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी । आपको याद होना चाहिए कि उस अवधि के दौरान कच्चे तेल की कीमतें औसतन 120 डॉलर प्रति बैरल दर्ज की गई।
बीपीसीएल और एचपीसीएल जैसी तेल मार्केटिंग कंपनियों को खुदरा बिक्री के जरिए बहुत ज्यादा घाटा हो रहा था। हालांकि ओएनजीसी उम्मीद कर रही थी कि उसे तेल मार्केटिंग कंपनियों के घाटे की भरपाई करने की जरूरत नहीं होगी।
अमूमन ओएनजीसी और गेल इन तेल मार्केटिंग कंपनियों की मदद करती हैं क्योंकि इन तेल विपणन कंपनियों पर कम दाम पर पेट्रोल, डीजल और दूसरे उत्पाद बेचने के लिए दबाव डाला जाता है। जाहिर है, इससे उनकी लागत की भरपाई भी नहीं होती है।
गौरतलब है कि दिसंबर 2008 में डीजल और पेट्रोल की कीमतों में क्रमश: 2 रुपये से 5 रुपये तक की कटौती की गई थी। इससे निशिच्त ही तेल मार्केटिंग कंपनियों के खुदरा बिक्री के मुनाफे पर बहुत दबाव पड़ा होगा।
हालांकि सब्सिडी के आंकड़े तो बता पाना मुश्किल है लेकिन वर्ष 2008-09 की पहली छमाही में ओएनजीसी ने करीब 22,500 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी।
इसके बावजूद छह महीने के अंदर ही यानी सितंबर 2008 तक ओएनजीसी की बिक्री बिछले साल की तुलना में 29 फीसदी बढ़कर 37,560 करोड़ रुपये हो गई जबकि शुद्ध मुनाफा 18 फीसदी बढ़ गया।
हालांकि वर्ष 2009-10 इस दिग्गज तेल कंपनी के लिए मुश्किल साबित हो सकता है और इसकी संचित बिक्री बिक्री पहले जितनी ही रह सकती है गिर सकती है जिसका सीधा असर मुनाफे पर पड़ेगा।
सिटी की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2009 में तेल की कीमतें 65 डॉलर से लेकर 90 डॉलर प्रति डॉलर के बीच रह सकती हैं।
मुमकिन है कि कीमतों में इससे भी ज्यादा गिरावट आए। इस बीच, ओएनजीसी ने इंपीरियल एनर्जी के अधिग्रहण का काफी महंगा सौदा किया है जबकि कच्चे तेल की कीमतें काफी गिरी हुई हैं।
ओएनजीसी को इसके लिए 1,250 पेंस प्रति शेयर की कीमत देनी पड़ी है। इसके अलावा इंपीरियल के तेल भंडार 17 से ज्यादा ब्लॉक तक फैले हुए है इससे रूस में उत्पादन की लागत बहुत ज्यादा पड़ेगी और उसका सीधा असर मुनाफे पर ही पड़ेगा।
साथ ही, ओएनजीसी और इसके सहयोगियों ने तेल और गैस अन्वेषण के 20 ब्लॉक के उत्पादन में साझेदारी के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। ये वे ब्लाक हैं जिन्हें उन्होंने नेल्प 7 की नीलामी में हासिल किया था।
विश्लेषकों का मानना है जब तक उत्पादन शुरू होगा तब तक ओएनजीसी का उत्पादन स्तर घट सकता है। सितंबर 2008 की तिमाही के दौरान उसके तेल उत्पादन में 2 फीसदी की कमी आई थी।