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कुछ जुदा सा होगा अपना एक्सचेंज

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 09, 2022 | 4:09 PM IST

देश में तमाम उद्योग मौजूदा आर्थिक मंदी के तूफान की चपेट में आ चुके हैं। ऐसे में लघु एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) के लिए बाजार नियामक सेबी ने एक अलग एक्सचेंज बनाए जाने की कोशिश तेज कर दी है।


लेकिन छोटे उद्योगपतियों का मानना है कि इस कदम से उन्हें कोई फायदा होने वाला नहीं है। भारत में लघु एवं मझोले उद्योगों का कुल औद्योगिक उत्पादन में 50 फीसदी और भारत के कुल निर्यात में लगभग 48 फीसदी का योगदान है।

एक ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक उत्तरी भारत में एसएमई की अच्छी खासी तादाद है। उत्तरी भारत में 150 लघु एवं मझोली कंपनियां हैं। इसी तरह पश्चिम और दक्षिण भारत में क्रमश: 130 और 80 लघु एवं मझोली कंपनियां हैं। इनमें से 65 फीसदी कंपनियों का कारोबार 25 करोड़ रुपये से कम का है।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) इन लघु उद्यमों के लिए अलग एक्सचेंज विकसित किए जाने की भरसक कोशिश में लगा हुआ है। सेबी का मानना है कि ऐसे अलग एक्सचेंज के अस्तित्व में आ जाने से वित्तीय जरूरतो को लेकर लघु उद्योगों की वित्तीय संस्थानों पर निर्भरता काफी हद तक कम हो जाएगी।

सेबी के मुताबिक ऐसे एक्सचेंज के गठन के बाद लघु उद्योगों को बाजार से पूंजी जुटाने और पुराने कारोबार का लेखा-जोखा सुरक्षित रखने में काफी सहूलियत होगी। लेकिन ज्यादातर छोटे उद्योगपतियों का मानना है कि इस कदम से उन्हें कोई फायदा नहीं होगा।

अभिषेक लाइट इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक डी. पी. गोयल का कहना है कि अलग एक्सचेंज बनाए जाने से हमें कोई फायदा नहीं होगा। यह सिर्फ एक जुए के समान होगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमारा देश अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों की होड़ तो करना चाहता है, लेकिन वह अपनी योजनाओं पर कारगर तरीके से अमल नहीं कर पाता।

नोएडा में तुलसी स्विचगियर के प्रबंध निदेशक सुरेन्दर नाहटा ने कहा कि अलग एक्सचेंज बनाए जाने से लघु उद्योगों को कोई फायदा नहीं होगा। यह सिर्फ छोटे उद्योगों को सिर्फ प्रलोभन दिए जाने का एक प्रयास है।

सेबी के सदस्य टी सी नायर के मुताबिक शुरू में कंपनियों को तीन से चार लाइसेंस मुहैया कराए जाएंगे। ये लाइसेंस उन कंपनियों को ही दिए जाएंगे जिनकी कुल आय 100 करोड़ रुपये होगी।

First Published : December 31, 2008 | 8:33 PM IST