भारत में पिछले चार साल में प्राइवेट इक्विटी (पीई) इंवेस्टमेंट करीब 25 अरब डॉलर का हुआ है और भारत की आर्थिक विकास की रफ्तार और बाजार के अच्छे वैल्युएशंस के चलते साल 2010 तक इस निवेश में कोई कमी भी नहीं आनी है।
ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म बोस्टन एनालिटिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2004-2007 के बीच करीब 24.8 अरब डॉलर के कुल 903 पीई इंवेस्टमेंट हुए हैं और इनमें से 45 से ज्यादा डील दस करोड़ डॉलर से ऊपर की रहीं।
साल 2003 में प्राइवेट इक्विटी इंवेस्टमेंट केवल 56 ही हुए थे और हर डील का औसत आकार 84 लाख डॉलर का था लकिन इसके बाद पिछले चार सालों में ये तेजी से बढ़ा है और साल 2007 में कुल 368 लाख डॉलर की 387 डील हुईं।
प्राइवेट इक्विटी लैंडस्केप इन इंडिया नाम की इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत के आर्थिक विकास और यहां के बाजार की वजह से ही इस निवेश में तेजी आई है। इसके अलावा इस दौरान भारत के आर्थिक सुधार कार्यक्रम, मध्यम वर्ग निवेशकों की संख्या में तीस करोड क़ा इजाफा, निवेश के लिए ज्यादा पैसों की बचत और काफी बड़े कंज्यूमर आधार की वजह से इस बाजार में काफी तेजी देखी गई।
रिपोर्ट में किए गए अध्ययन के मुताबिक भारत के बाजार की मौजूदा हालत और यहां की अर्थव्यवस्था की रफ्तार को देखते हुए ये तेजी साल 2010 तक जारी रह सकती है। इस तेजी में सबसे ज्यादा योगदान जिन चीजों का रहा है उनमें जीडीपी ग्रोथ के अलावा एक और बात जो थी वह यह कि यहां की आधी आबादी 25 साल से नीचे की उम्र की है और यहां की घरेलू बचत दर काफी ज्यादा है।
यही नहीं जनवरी से बाजार में जो करेक्शन आया है उसमें सेंसेक्स पिछले दो महीनों में ही 21 फीसदी से ज्यादा गिर गया और इससे प्राइवेट इक्विटी निवेश के लिए कंपनियों के वैल्युएशंस काफी आकर्षक हो गए। इसके अलावा फरवरी में विदेशी मुद्रा का रिजर्व का भंडार भी बढ़कर 301 अरब डॉलर हो जाने से इस पर असर पड़ा है।