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Insider Trading: इनसाइडर ट्रेडिंग पर लगाम लगाने के लिए बदलाव की तैयारी

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- May 30, 2023 | 10:35 PM IST

भेदिया कारोबार (Insider trading) रोकने के लिए कीमत के लिहाज से संवेदनशील अघोषित जानकारी (UPSI) की परिभाषा व्यापक करने का बाजार नियामक सेबी का प्रस्ताव कंपनी जगत को पसंद नहीं आया है। कई कंपनियों के अनुपालन अधिकारियों ने इसे पीछे ले जाने वाला कदम बताया है, जो कंपनियों और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) का बोझ बढ़ा देगा।

SEBI ने यूपीएसआई की परिभाषा को लिस्टिंग ऑब्लिगेशन्स ऐंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (LODR) के नियमों की परिभाषा से जोड़ने का प्रस्ताव रखा है। इससे भेदिया कारोबार (Inside trading) निरोधक नियमों के तहत यूपीएसआई होने पर ट्रेडिंग से दूर रहने की शर्त ज्यादा मामलों में लागू होने लगेगी।

लूथड़ा ऐंड लूथड़ा लॉ ऑफिसेज इंडिया में पार्टनर हरीश कुमार ने कहा, ‘यदि इस बदलाव पर अमल होता है तो कंपनियों और नियामकों, दोनों के लिए चुनौती पैदा होगी, क्योंकि सभी प्रमुख घटनाक्रम (प्रस्तावित दायरे के आधार पर) को यूपीएसआई के तहत वर्गीकृत किया जाना होगा, भले ही वे मामले कीमत के हिसाब से संवेदनशील नहीं हो सकते हों।

इस वजह से, यूपीएसआई के वर्गीकरण की तुलना में पीआईटी नियम कमजोर पड़ सकते हैं, क्योंकि मुख्य मानक कीमत संवेदनशीलता के बजाय भौतिकता बन जाएगा।’

अनुपालन अधिकारियों और कंपनी सचिवों के बीच चर्चा के मुख्य मुद्दे इस पर आधारित रहे कि यूपीएसआई के तौर पर किस तरह का गठन होगा, किस चरण में जानकारी को यूपीएसआई माना जाएगा, कौन से खुलासे करने की जरूरत होगी, कर्मचारियों के प्रशिक्षण या यूपीएसआई के तहत कर्मचारी आधार का विस्तार कैसे किया जाएगा।

एक कंपनी के सचिव ने कहा, ‘प्रमुख जानकारी और यूपीएसआई के बीच विरोधाभास दूर किया जाना चाहिए। इसे लेकर अनिश्चितता है कि क्या प्राप्त होने वाला कारण बताओ नोटिस यूपीएसआई है या नहीं, और किस स्तर पर सूचना से संबंधित खरीदारी को यूपीएसआई माना जाएगा, और किसी उत्पाद के वैरिएंट की पेशकश को मुख्य ‘इवेंट’ यानी घटनाक्रम के तौर पर वर्गीकृत किया जाएगा।

सेबी के पास मौजूदा समय में एक अनौपचारिक मार्गदर्शन व्यवस्था है, लेकिन इसमें समय लगता है और हरेक समस्या या सवाल का समाधान नहीं निकाला जा सकता है।’

एक अन्य कंपनी के अधिकारी ने कहा, ‘यह समस्या का समाधान नहीं है बल्कि एक ऐसा बदलाव है, जिससे सेबी के लिए जटिलताएं शुरू होंगी। नियामक को इन प्रस्तावों पर पहले अच्छी तरह से विचार-विमर्श कर लेना चाहिए। विचार-विमर्श को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।’

इसके अलावा, सेबी ने मुख्य घटनाक्रम के वर्गीकरण के लिए भी दायरा पेश किया है, जो पुनर्खरीद, बोनस जारी करने, बोर्ड के निर्णय, समझौतों, प्रस्तावित कोष उगाही, और स्टॉक एक्सचेंजों के मुख्य प्रबंधन में बदलाव से जुड़ा होगा।

एसकेवी लॉ ऑफिसेज में सहायक निहाल भारद्वाज ने कहा, ‘यह एक सकारात्मक बदलाव है, क्योंकि इससे व्यवसायों के लिए नियामकीय एकरूपता सुनिश्चित होगी, और साथ ही चिह्नित मामलों को यूपीएसआई के दायरे में लाया जाएगा।’

First Published : May 30, 2023 | 10:35 PM IST