प्राइमरी डीलर दे पाएंगे विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग की पूरी सहूलियत

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 5:01 PM IST

एकल प्राइमरी डीलरों को विदेशी मुद्रा बाजार में मार्केट मेकिंग की पूरी सुविधा की पेशकश की अनुमति देने का आरबीआई का प्रस्ताव विदेशी प्राइमरी डीलरशिप के अनुरोध के कारण आया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
एकल प्राइमरी डीलरशिप को इस तरह की इजाजत मिलने से विदेशी प्राइमरी डीलरों के लिए वाणिज्यिक कारोबारी मौकों का विस्तार होगा, जिनके पास पहले से ही विदेशी क्लाइंटों का मजबूत नेटवर्क है।
आरबीआई ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, प्राइमरी डीलरों को विदेशी मुद्रा बाजार की मार्केट मेकिंग सुविधा की पेशकश की इजाजत देने का प्रस्ताव है, जिसकी इजाजत अभी कैटिगरी-1 अधिकृत डीलरों को ही है।
आरबीआई ने कहा, यह कदम विदेशी मुद्रा के ग्राहकों को अपनी मुद्रा के जोखिम के प्रबंधन के लिए व्यापक आयाम उपलब्ध कराएगा, जिससे भारत में विदेशी मुद्रा बाजार का और विस्तार होगा।
अभी भारत में सात एकल प्राइमरी डीलरशिप हैं। इनमें से तीन नोमूरा, गोल्डमैन सैक्स और मॉर्गन स्टैनली विदेशी कंपनियां हैं।
प्राइमरी डीलर भारत में सरकारी प्रतिभूतियों के लिए मार्केट मेकर्स होते हैं, जिसका मतलब यह है कि उन्हें बॉन्ड  बाजार में पर्याप्त ट्रेडिंग लिक्विडिटी सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है। ये इकाइयां सरकारी बॉन्ड को अंडरराइट भी करती हैं।
प्राइमरी डीलरों का मुख्य काम सरकारी बॉन्ड में ट्रेडिंग होता है, वहीं विदेशी मुद्रा की हिस्सेदारी काफी कम होती है।
एक सूत्र ने कहा, पिछला लाइसेंस विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को क्लाइंट के तौर पर सेवा देने तक प्रतिबंधित था। वह भी यह सिर्फ भारत के सरकारी बॉन्डों तक सीमित था। ऐसे में विदेशी प्राइमरी डीलर सामान्य लाइसेंस चाहते थे ताकि वे और कारोबार कर सकें।
सूत्रों ने कहा, लाइसेंस चाहे छोटा हो या बड़ा, विदेशी प्राइमरी डीलरों के लिए लागत समान होती है। इसका वाणिज्यिक मतलब नहीं बनता है। चूंकि एफपीआई क्लाइंट काफी बड़े होते गए, ऐसे में विदेशी प्राइमरी डीलर एक ही जगह सभी सेवाएं देना चाहते थे।

एनआरआई कर पाएंगे परिवार के बिलों का भुगतान
प्रवासी भारतीय अब भारत में अपने परिवार  के लिए यूटिलिटी बिल भुगतान कर पाएंगे क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को सीमापार से भुगतान स्वीकार करने के लिए भारत बिल पेमेंट सिस्टम (बीबीपीएस) बनाने का प्रस्ताव रखा। बीबीपीएस का स्वामित्व व परिचालन नैशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) करेगा, जो बिल भुगतान के लिए प्लेटफॉर्म की पेशकश करता है क्योंकि यहां 20,000 से ज्यादा बिलर्स जुड़े हुए हैं औरअभी सिर्फ भारत में रहने वालों की ही इस प्लेटफॉर्म तक पहुंच है। पेमेंट्स प्लेटफॉर्म पर मासिक आधार पर 8 करोड़ से ज्यादा लेनदेन होते हैं। आरबीआई ने यह कदम एनआरआई की सहूलियत के लिए उठाया है, जिनकी ऐसे बिल कलेक्टर्स  तक पहुंच नहीं है या एनआरई खाता भारत में अपने परिवार के बदले यूटिलिटी के लिए भुगतान में सक्षम नहीं हैं।     बीएस

First Published : August 6, 2022 | 1:53 AM IST