भले ही मंगलवार को होने वाले सरकार के भाग्य के फैसले तक शेयर बाजार में अनिश्चितता छाए रहने की बात कहीं जा रही है। इसका कारण हाल-फिलहाल सरकार 272 सांसदों के जादुई आंकड़े से एक दर्जन वोट दूर है।
लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शेयर में हो रही खरीद को सरकार के भविष्य का संकेत माना जाए तो यह कहा जाता है कि यूपीए सरकार नहीं गिरेगी। सरकार को लेकर व्याप्त अनिश्चितताओं के बाद पिछले 15 दिनों में भारतीय स्टैट बैंक, भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल), बोंगईगांव रिफाइनरी, एनटीपीसी व अन्य अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का सूचकांक 12 फीसदी या 659 अंक चढ़ा है।
हालांकि इस दौरान सेंसेक्स सिर्फ 5 फीसदी ही ऊपर गया है। एक घरेलू ब्राकिंग फर्म में रणनीतिज्ञ संदीप शेनाय ने बताया कि पीएसयू शेयरों में खरीद अफवाह के आधार पर और बिकवाली समाचार के आधार पर होती है। अगर मंगलवार को सरकार विश्वास मत हासिल करने में असफल रही तो निवेशक जल्दी-जल्दी अपने पीएसयू स्टॉक की बिकवाली प्रारंभ कर देंगे। ग्लोबल वित्तीय सेवा प्रदान प्रदान कर रही कंपनी एमके के विश्लेषक अजय परमार और केएन श्रीनिवासन ने बताया कि उन्हें सुधार की प्रक्रिया के तेज होने की उम्मीद है।
सरकार किसी ठोस कार्यक्रम के साथ सामने आ सकती है। इसमें टेलीकाम, बीमा और रिटेल क्षेत्र को विदेशी निवेशकों के लिए खोलने और विनिवेशीकरण की योजना प्रमुख है। ब्रिक्स सेक्योरिटीज के डॉयरेक्टर आनंद टंडन ने बताया कि सरकार के सुधारवादी एजेंडें को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया है। पछले चार सालों में इसको लेकर काफी कुछ किया जा चुका है, जबकि काफी कुछ शेष रह गया है। इस लिहाज से सुधार की काफी गुंजाइश है।
उधर वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में नरमी आई है। न्यूयार्क में इसकी कीमत 11.2 फीसदी गिरकर 128 डॉलर प्रति बैरल हो गई हैं। यह दिसंबर 2004 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है। यह गिरावट फेडरल रिजर्व के प्रमुख बेंजामिन बेर्नाकें के उस बयान के बाद आई जिसमें कहा गया था कि अमेरिका में अवमूल्यन का संकट गहरा रहा है। इसका असर विकास दर पर पड़ रहा है।