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रियल एस्टेट की नजर यूरोप, ऑस्ट्रेलिया के बाजार पर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 4:02 AM IST

सिंगापुर के बाद अब इंडियाबुल्स रियल एस्टेट (आईबीआरईएल), फीनिक्स मिल सहित अन्य प्रमुख रियल एस्टेट कंपनियां अब लंदन,जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया के शेयर बाजारों में अपनी प्रॉपर्टी की लिस्टिंग पर गौर कर रही हैं।


विशेषज्ञों के अनुसार दक्षिण-पूर्व एशियाई बाजारों की तुलना में यूरोप में रिटर्न ठीक है। इसलिए ये कंपनियां यूरोप की राह पकड़ रही हैं। साथ ही यूरोप के बाजारों में पेंशन फंड, बीमा फंड और अन्य फंड काफी हैं। इन सभी फंडों को कम जोखिम वाले निवेश की तलाश रहती है। इन्हीं सब अनुकूलताओं के कारण भारतीय रियल एस्टेट कारोबारी फंड की तलाश में इस नए बाजार की ओर रुख कर रहे हैं।

एक वैश्विक मैनेजमेंट कंसल्टेंसी के निवेश सलाहकार के अनुसार ब्रिटेन में आरईआईटी सेक्टर 4 प्रतिशत का रिटर्न दे रहा है,जबकि ऑस्ट्रेलिया में 6 प्रतिशत। सिंगापुर में रियल एस्टेट क्षेत्र 4.75 फीसदी रिटर्न देता है, जबकि भारत में यह 7.2 प्रतिशत है। रिटर्न जितना कम होता है, वह फंड जुटाने की चाह रखने वाली कंपनी के उतने ही हित में होता है।

उन्होंने बताया कि यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के बाजार में फंड का एक बड़ा पूल होने के कारण वहां तरलता पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। सुरक्षित निवेश की तलाश में ये फंड आरईआईटी की ओर रुख कर सकते हैं। रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश करने की इच्छा रखने वालों के लिए आरईआईटी एक सही जरिया है। इसके तहत कंपनियों को कुछ कर लाभ मिलते हैं लेकिन उन्हें अपनी आय का 90 प्रतिशत बंटवारा करना होता है, यह राशि निवेशकों के पास होने पर कर के दायरे में आती है।

हालांकि सेबी आरईआईटी दिशा निर्देश के लिए एक ड्रॉफ्ट प्रस्तुत कर चुका है, लेकिन अभी औपचारिक रूप से इसे मंजूरी बाकी है। भारत के रियल एस्टेट डेवलपर अपने आरईआईटी अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में ले जाना चाहते हैं। इससे उन्हें भारतीय बाजारों की तुलना में अपने बन चुकी कमर्शियल प्रापर्टीज पर भारतीय बाजारों की तुलना में अधिक तरलता मिलेगी।

आसान लिस्टिंग शर्तों, ऊंची तरलता, भौगोलिक नजदीकी के कारण भारतीय डेवलपरों के लिए सिंगापुर स्टॉक एक्सचेंज पसंदीदा बाजार बन गया है। डीएलएफ, यूनिटेक, इंडियाबुल्स ने इस बाजार में लिस्टिंग के लिए अनुमति हासिल कर ली थी, लेकिन बाजार के प्रतिकूल होने के कारण अपने आईपीओ को टाल दिया था। 

हालांकि अब इंडियाबुल्स और डीएलएफ ने अपने आईपीओ प्लॉन को पुनर्जीवित किया है, जबकि यूनिटेक को अपने 70 करोड़ डॉलर के बाजार को अभी भी बाजार की स्थिति सुधरने का इंतजार है। इंडिया बुल्स ने अपने आईपीआईटी  28.3 करोड़ डॉलर के आईपीओ की लिस्टिंग को कमजोर रिस्पांस के कारण आगे खिसका दिया था। उधर, उम्मीद है कि डीएलएफ अपने 2 अरब डॉलर आईपीओ डीएलएफ ऑफिस ट्रस्ट (डीओटी)की लिस्टिंग के लिए इस माह आवेदन दे सकता है।

इंडियाबुल्स कार्पोरेट अफेयर के प्रेसिडेंट अजीत मित्तल ने बताया कि कंपनी के पास एसेट का बड़ा पुल है। वे इसे दूसरे बाजार में डायवर्सिफाय करना चाहते हैं। कंपनी सभी संभावनाओं पर विचार कर रही है। इस पर समयानुसार निर्णय लिया जाएगा। इंडिया बुल्स का इस समय पूरे देश 10,000 हैक्टेयर जमीन पर डेवलपमेंट चल रहा है। इसमें तीन सेज, टाउनशिप और कमर्शियल प्रोजेक्ट शामिल हैं।  

First Published : June 6, 2008 | 10:39 PM IST