लगातार गिरावट का रुख जारी रहने से रियल एस्टेट क्षेत्र को आज सबसे बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। नतीजतन ब्रॉडर मार्केट मार्च केनिचले स्तर पर चला गया।
रियल एस्टेट क्षेत्र में आई यह बड़ी गिरावट यूनीटेक और डीएलएफ के 52 सप्ताहों में अपने सबसे निचले स्तर पर चले जाने के कारण आई। यह क्षेत्र ब्याज दर को लेकर अति संवेदनशील है और इसमें मंदी की आशंका गहराती जा रही है।
कारोबारी सत्र के पहले दिन सोमवार को वैसे शेयर सूचकांक 2 से 4 फीसदी ही नीचे आए, जबकि रियलिटी स्टॉक तो 7.38 फीसदी टपक गए। यूनीटेक 9.34 फीसदी नीचे लुढ़ककर 184.80 रुपये पर आ गया, जबकि डीएलएफ ने आज 38.40 रुपये का नुकसान दिया और इसके शेयर 481.55 रुपये पर आ गए।
डीएलएफ अपनी इश्यू कीमत से 10 फीसदी नीचे आया, जबकि यूनीटेक 52 सप्ताहों में सबसे निचले स्तर पर कारोबार कर रहा है। आज की मंदी की चपेट में आने वाले दूसरी शेयर रहे, फीनिक्स मिल (8.27 फीसदी गिरकर ), एचडीआईएल(8.81 फीसदी) और इंडिया बुल्स(6.06 फीसदी)।
विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल की बढ़ी कीमतों और मुद्रास्फीति की बढ़ी दर के कारण केंद्रीय बैंक सीआरआर बढ़ा सकता है। इससे पहले से ही खस्ताहाल रियल एस्टेट शेयरों की और हालत पतली हो जाएगी। रियल एस्टेट के कुछ हलकों में मंदी की आशंका गहराती जा रही है। आपूर्ति मांग से अधिक है। यह स्थिति डेवलपरों के लिए खासी मुश्किलें बढ़ाने वाली है।
कंपनियों की चौथी तिमाही के नतीजे उम्मीदों से कमतर रहे। इसलिए अब निवेशक रियलिटी शेयरों को डंप कर रहे हैं। आईडीएफसी म्युच्युअल फंड के निवेश प्रमुख राजीव आनंद ने बताया कि ब्याज दर ऊपर जाने की स्थितियां निर्मित हो रही हैं। कीमतें काफी बढ़ रही हैं।
रेलिगेयर सेक्योरिटीज के सुमन मेमानी का कहना है कि कमजोर मांग के डर से ही रियल एस्टेट के शेयरों पर बिकवाली का दबाव बन रहा है। इनपुट लागत लगातार बढ़ रही है। इस ट्रेंड के जारी रहने से बिल्डरों और डेवलपरों की हालत और पतली हो सकती है। तरलता के संकट के कारण बिल्डर भी अपनी नई योजनाओं को लगातार टाल रहे हैं।