सेबी द्वारा रियल एस्टेट म्युचुअल फंड के संबंध में दिशा-निर्देश जारी होने के साथ ही अब निवेशकों को म्युचुअल फंड में निवेश करने का एक और रास्ता मिलेगा।
अगर आर्थिक विशेषज्ञों की बात माने तो रियल एस्टेट म्युचुअल फंड या आरईएमएफ उनके लिए ज्यादा बेहतर है जो प्रोपर्टी बूम में बढ़- चढ़ कर हिस्सा लेना चाहते हैं,लेकिन आरईएमएफ को इक्विटी फंड की तरह नहीं देखा जाना चाहिए।
एक निवेश सलाहकार ने बताया कि भारतीय निवेशक म्युचुअलफंड के उत्पाद में यह सोचकर उतरे कि उन्हें कम से कम समय में ज्यादा फायदा होगा लेकिन उनको फायदे की बजाय जबरदस्त नुकसान हुआ। आरईएमएफ क्लोजइंडेड होगा लेकिन सूचीबध्द हो जाने के बाद निवेशकों के बाहर निकलने का विकल्प खुल जाएगा। फंड अब रियल स्टेट में निवेश सेबी के दिशा-निर्देश के अनुसार करेगा।
शेयर बाजार में युनिट्स को सूचीबध्द किया जाएगा और नेट एसेट वेल्यु को रोजाना घोषित किया जाएगा ताकि निवेशकों को फंड के प्रदर्शन के बारे में जानकारी मिलती रहे। वाइजइनवेंस्ट एडवाइजर्स के निदेशक हेमंत रस्तौगी कहते हैं कि चूंकि रियल स्टेट फंड्स क्लोजइंडेड है तो इस लिहाज से इसे डिस्काउंट पर सूचीबध्द कि या जाएगा।
रस्तौगी के अनुसार क्लोजइंडेड फंड्स हमेशा डिस्काउंट पर सूचीबध्द किया जाता है। इसका मतलब यह निकलता है कि ऐसे निवेशक जो बाजार में उछाल रहने पर इक्विटीज और बुकिंग प्रॉफिट में निवेश करते हैं वह ऐसे उत्पाद के लिए बेहतर साबित नहीं होंगे। वास्तव में इन फंडों को सूचीबद्ध होने के बाद खरीदना ज्यादा फायदेमंद होगा क्योंकि उस समय यह कम कीमतों पर उपलब्ध होंगे।