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मंदी जारी रहने की संभावना

Last Updated- December 08, 2022 | 8:05 AM IST

मोर्गन स्टेनली रिसर्च : मंदी से नहीं मिलेगी मुक्ति 


अगले साल भी बाजार में मंदी छाई रह सकती है। हालांकि यह इस बात पर निर्भर है कि इस साल बाजार इन मुश्किलों से किस तरह बाहर निकल पाता है।


आने वाले 12 माह में बाजार एक बड़े दायरे में कारोबार कर सकता है। मोर्गन स्टेनली ने दिसंबर 2009 में सेंसेक्स के लिए 9,135 का लक्ष्य निर्धारित किया है।

अगर बाजार में मंदड़िए हावी हुए तो सेंसेक्स 31 फीसदी गिरकर 6355 तक जा सकता है। अगर तेजड़ियों की चली तो बाजार 54 फीसदी चढ़कर 14,225 अंकों पर पहुंच सकता है।

हालांकि रिसर्च रिपोर्ट में बाजार के तेजी में रहने की संभावना महज 10 फीसदी ही व्यक्त की गई है। इसलिए बाजार के फ्लैट या फिर गिरावट में रहने की संभावना बढ़त से अधिक है।

सभी संभावनाओं के एकीकृत आकलन के आधार पर कहा जा सकता है कि बाजार दिसंबर 2009 में 8,559 अंकों के स्तर पर रह सकता है।

भारतीय इक्विटी के लिए 2009 का साल खासी परेशानियों भरा हो सकता है। कमाई से जुड़ी जोखिम, तरलता और बैलेंस ऑफ पेमेंट (बीओपी) प्रॉब्लम, तुलनात्मक रूप से बड़ा नॉन परफार्मिंग लोन साइकिल, राजनीति अस्थिरता और अधिक वैल्यूएशन इनकी राह में प्रमुख समस्याएं हैं।

मोर्गन स्टेनली के अनुसार बीएसई सेंसेक्स में प्रति शेयर कमाई (ईपीएस) अगले साल 21 फीसदी के पर कंसेंसस आकलन की तुलना में महज 8 फीसदी रहने वाला है। इस स्थिति को बदलने के लिए बैंकों की बैलेंस शीट में और तरलता बढ़ानी होगी।

इसके साथ वैश्विक हालात एक बीपीओ के लिए हालात पैदा कर रहे हैं और एक अच्छा संकेत आने वाले चुनाव नतीजों के बाद अच्छी आर्थिक नीति के रूप में सामने आ सकते हैं।

सेंसेक्स में प्रति शेयर कमाई के लिए 2008-09 के लिए 10 फीसदी और 2009-10 के लिए 11 फीसदी का आकलन किया गया था।

लेकिन इस रिपोर्ट के अनुसार यह दर क्रमश: 2.5 फीसदी और 10 फीसदी रहने का अनुमान है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर बाजार मंदी की गिरफ्त में रहा तो यह कमाई 2007-08 से लेकर 2009-10 के बीच संयोजित सालाना आधार पर 10 फीसदी तक गिर सकती है। 

वित्त, मेटल, इंजीनियरिंग, विनिर्माण और अन्य कमोडिटी के साथ अन्य उपभोक्ता आधारित सेक्टरों में कमाई कम होने से उत्पन्न स्थितियों का प्रतिकूल असर पड़ने वाला है। यहां से बाजार में किसी वी-आकार की रिकवरी की संभावना कम है, उसे रिकवरी के लिए लंबा फासला तय करना पड़ सकता है।

अगर हम यह मान चुके हों कि बाजार ने अपने सबसे निचले सतर को छू लिया जहो तो पिदले मंदी के बाजारों का हमारा अनुभव यह कहता है कि हर स्थिति में बाजार में तेजी की नई बयार आने से पहले वह पिछले सबसे निचले स्तर तक गया है। यह पूरी री-टेस्ट की प्रक्रिया में 15-24 माह का समय लगता है।

पिछले 18 सालों में तीन बार यह समय आया है। कुल मिलाकर 5 साल का तेजी का बाजार सिर्फ 11 माह के मंदी के बाजार से तो खत्म होने से रहा। इस स्थिति में जो लोग लंबी अवधि को ध्यान में रखकर निवेश करना चाह रहे हैं उनके लिए यह एक अच्छा अवसर है।

भारत में अभी भी आने वाले 3-4 दशकों में तेजी से विकास करने की क्षमता है। उसके पास सशक्त कैपिटल मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर है जो निवेशकों को देश के आरओई-आधारित उद्यम का फायदा उठा सकते हैं। इसे बढ़ते धनीकुनबे और प्राइवेट सेविंग्स के चलते बने मजबूत सरंचनात्मक तरलता का सहारा मिला हुआ है।

यूबीएस : मुड़ सकती है दिशा, पर …

यूबीएस ने इंडिया आउटलुक 2009 की अपनी रिपोर्ट जारी की है इसमें कहा गया है कि हालांकि इस समय बाजार ऐतिहासिक लो ट्रफ वैल्यूएशन के करीब है। सेंसेक्स अपनी पिछले 12 महीनों की कमाई की तुलना में पीई वैल्यू के 9.8 गुने पर कारोबार कर रहा है।

किस सकारात्मक ट्रिगर के अभाव में बाजार में अगले छह माह में किसी तरह की रैली आने की संभावना कम ही है। भारत में चुनाव 2009 की पहली छमाही में होने जा रहे हैं। भारतीय बाजार में चुनाव से पहले रैली आने की परंपरा रही है। 2009 में भी इसी तरह की उम्मीद की जा रही है।

आने वाले साल में होने वाले चुना, आर्थिक परिदृश्य, कच्चे तेल की कीमतें और ग्लोबल क्रेडिट ये बाजार का रुख किसी भी तरफ मोड़ सकते हैं।

इनकी स्थिति साफ होन की दशा में बाजार के और स्थाई होने की संभावना है। इस समय बाजार पिछले 12 माह की ट्रेलिंग अर्निंग्स की तुलना में 9.8 गुने (लांग टर्म का औसत 16.4 गुना है)पर कारोबार कर रहा है।

सेंसेक्स के लिए पहले वैल्यूएशन ट्रफ वैल्यूएशन 9.5 गुना ट्रेलिंग पीई था। (25 सितंबर 2001) और पिछले मंदी के बाजार में रिकवरी ट्रेलिंग पीई 20.6 गुना (19 जनवरी 2004)। इस समय सेंसेक्स ट्रेलिंग पीबीवी 2.36 गुने पर कारोबार कर रहा है (लांग टर्म एवरेज 3.75 गुना)।

इन सब बातों का निचोड़ यह है कि इस समय भारतीय बाजार फ्लोर वैल्यूएशन के करीब है। बाजार को नकारात्मक स्थितियों से उबरने और तरलता के परिदृश्य को बदलने के लिए एक सकारात्मक उत्प्रेरण की जरूरत है। इस उत्प्रेरण के अभाव में अगले छह माह में बाजार के अच्छे प्रदर्शन की संभावना कम ही बन रही है।

हालांकि मार्च 2010 तक के लिए मीडियम टर्म व्यू 13,500 के लक्ष्य की ओर इशारा कर रहा है। यह आकलन 2008-09 के लिए 5 फीसदी विकास दर और 2009-10 के लिए फ्लेट ग्रोथ के अनुमान के आधार पर कहा जा रहा है। 13,500 के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए ट्रेलिंग 12-माह की रिकवरी पीई 15 गुना होनी चाहिए।

इस रिपोर्ट ने भारतीय बाजार का आकलन करंट वैल्यूएशन के आधार पर किया है। इसमें सेंसेक्स पिछले एक साल की ट्रेलिंग पीई की तुलना में 9.8 गुने पर कारोबार कर रहा है।

सेंसेक्स में आय का आकलन 2008-09 के लिए 9 फीसदी और 2009-10 के लिए चार फीसदी रखा गया है। इसलिए कमाई के आकलन में  आगे किसी डाउनसाइड रिविजन की संभावनाएं बेहद सीमित हैं।

First Published - December 9, 2008 | 9:54 PM IST

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