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बॉन्ड संकट की स्थिति में हो रहा है सुधार: कामत

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 06, 2022 | 1:03 AM IST

आईसीआईसीआई बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के वी कामत आज भारतीय उद्योग परिसंघ(सीआईआई) का अध्यक्ष चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिले।


सब्सक्राइब बॉन्ड पर बढ़ते क्रेडिट पर उन्होंने कहा कि यह संकट इस प्रकार बढ़ा है कि लिबोर पर जो बॉन्ड 1.5 फीसदी पर इश्यू किया गया था, आज उसका कारोबार बढ़कर 2.5 फीसदी से 4 फीसदी के स्तर पर हो रहा है।


इस भारी बढ़त से निपटने के लिये कामत ने दो तरीकेबताए- या तो आप बॉन्ड लें और बेच दें अन्यथा घर बैठिए और इंतजार कीजिए कि स्थिति सुधरेगी। शायद पिछले कुछ महीनों में स्थिति सुधरी है। उन्होंने कहा कि स्थिति इस वजह से भी सुधर रही है कि आप इंतजार कर रहे हैं और शायद यह पूरी तरह से सुधर जाएगी।


एक बार स्थिति सुधरी तो घाटा कम होना शुरु हो जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि इन बॉन्ड को रखने या बेचने की रणनीति व्यक्तिगत संस्थानों पर निर्भर करती है। जबकि कई भारतीय बैंकों ने भी अपने हाल के तिमाही परिणामों में डेरीवेटिव से संबंधित प्रावधानों का खुलासा नहीं किया है लेकिन वैश्विक बैंक सिटी बैंक की तुलना में यह आंकडे महत्त्वहीन हैं।


विश्व का सबसे बड़ा सिटी बैंक सबप्राइम संकट से निपटने के लिये अपने नॉन-कोर बिजनेस को बेचने से लेकर कर्मचारियों को निकालने तक के सभी प्रयास कर रहा है। उसने संकट को देखते हुए 100 सीनियर बैंकरों की हाई-प्रोफाइल कमेटी भी बनाई है।


कामत ने कहा कि अमेरिका और पश्चिमी बाजारों में चल रहे सबप्राइम संकट अब इसलिए है क्योंकि ब्याज दरों के झटके लगातार बढ़ रहे हैं।400 अरब डॉलर से ज्यादा के नुकसान और पिछले दो तिमाहियों में ही 200 अरब डॉलर केनुकसान के बाद बैंक ने हाल में ही अपने कॉमर्शियल लेंडिंग और लीजिंग बिजनेस को जी ई को बेचने की घोषणा की है। नागपुर में जन्मे सिटी बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विक्रम पंडित ने बैंक के खर्चे में 20 फीसदी तक की कटौती करने की घोषणा की है।


बैकिंग क्षेत्र की अन्य बड़ी कंपनियों जैसे मेरिल लिंच और जे पी मॉर्गन को भी सबक्राइन संकट केकारण अरबों का नुकसान झेलना पड़ा है और कंपनी के प्रबंधन पर इसे कम करने के लिये दबाव पड़ रहा है। इसी प्रकार का दबाव यूरोप के बड़े बैंकों जैसे यूबीएस पर भी है।स्विटजरलैंड का यह बैंक  इस अमेरिकी संकट से सबसे ज्यादा नुकसान झेलने वाले यूरोपीय बैंकों में है और उसने 1400 अरब डॉलर की कर्जमाफी की घोषणा की है।

First Published : May 1, 2008 | 10:43 PM IST