भारतीय रुपया गुरुवार को एक बार फिर मजबूत हुआ और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 82.36 रुपये तक पहुंच गया। यह करीब दो महीने के दौरान एक दिन में आई सर्वाधिक मजबूती है।
डीलरों ने कहा कि अमेरिका के पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) के आंकड़े उम्मीद से नीचे रहने के कारण निवेशकों में सकारात्मक धारणा बनने और घरेलू इक्विटी में कॉर्पोरेट डॉलर के प्रवाह के कारण रुपये को मजबूती मिली है। डॉलर के मुकाबले रुपया 82.57 पर बंद हुआ, जबकि बुधवार को 82.68 पर बंद हुआ था। इसके अलावा वाणिज्यिक बैंकों ने नॉन-डिलिवरेबल फॉरवर्ड (एनडीएफ) बाजार में अपनी पोजिशन समाप्त कर दी और रिजर्व बैंक के अनुमानित दिशानिर्देशों को देखते हुए नई पोजिशन लेने से बचे।
डीलरों ने कहा कि भारत की मुद्रा को कारोबार के आखिर में कुछ लाभ हुआ, जब रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कर कुछ डॉलर खरीदे, जिससे उतार चढ़ाव पर काबू पाया जा सके।
कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड में करेंसी डेरिवेटिव्स ऐंड इंटरेस्ट लेट डेरिवेटिव्स के वाइस प्रेसीडेंट अनिंद्य बनर्जी ने कहा, ‘यूएसडी-आईएनआर (अमेरिकी डॉलर भारतीय रुपया) 11 पैसे कम पर 82.57 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इसे कॉर्पोरेट प्रवाह और स्पेकुलेटर्स के लॉन्ग लिक्विडेशन का समर्थन मिला।
बहरहाल आयातकों की ओर से डॉलर की कुछ मांग देखी गई, जो कम स्तर पर थी। निकट अवधि के हिसाब से हम उम्मीद कर रहे हैं कि हाजिर भाव में डॉलर के मुकाबले रुपया 82.20 से 82.80 के बीच रहेगा।’ बनर्जी ने कहा कि आज रिजर्व बैंक ने बाजार से डॉलर खरीदे। रिजर्व बैंक ने करीब 50 करोड़ डॉलर खरीदे हैं।
बाजार अब अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के शुक्रवार को जैक्सन होल सिंपोजियम में होने वाले भाषण पर नजर रख रहा है।
एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘अगर पॉवेल का भाषण तेजी की ओर रहता है तो रुपया एक बार फिर 83 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच सकता है, अन्यथा वह मौजूदा सीमा में बना रहेगा।’
बहरहाल बैंकों का अतिरिक्त फंड रोके रखने के रिजर्व बैंक के फैसले के कारण बैंकिंग व्यवस्था में नकदी की स्थिति कमजोर बनी हुई है। बैंकिंग व्यवस्था में नकदी मंगलवार को इस वित्त वर्ष में पहली बार घाटे की स्थिति में चली गई थी।