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सेबी ने ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट के लिए खुलासे अनिवार्य किए

ओडीआई को पहले पार्टिसिपेटरी नोट्स या पीनोट्स कहा जाता था। इनका उपयोग हेज फंडों द्वारा बिना किसी पंजीकरण के भारतीय प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए किया जाता है।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- December 17, 2024 | 10:30 PM IST

बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट (ओडीआई) के लिए स्वामित्व एवं आर्थिक हित से जुड़े खुलासों को अनिवार्य बना दिया।

ओडीआई को पहले पार्टिसिपेटरी नोट्स या पीनोट्स कहा जाता था। इनका उपयोग हेज फंडों द्वारा बिना किसी पंजीकरण के भारतीय प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए किया जाता है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एफपीआई को यह भी निर्देश दिया है कि वे केवल एक अलग एफपीआई पंजीकरण के माध्यम से ही ओडीआई जारी करें, जिसमें कोई मालिकाना निवेश नहीं हो।

जिन एफपीआई के पास ओडीआई बकाया है, उन्हें एक साल के अंदर अलग से पंजीकरण प्राप्त करना होगा। सेबी ने डेरिवेटिव के साथ ओडीआई जारी करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा, सेबी ने डेरिवेटिव आधारित मौजूदा ओडीआई को भुनाने के लिए एक वर्ष का समय मुहैया कराया है।

First Published : December 17, 2024 | 10:30 PM IST