निर्धारित निवेश सीमा का उल्लंघन करने के मामले में बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा कुछ रियायत दिए जाने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) में से केवल 20 फीसदी को ही वास्तविक लाभार्थी से संबंधित अतिरिक्त अनिवार्य खुलासा करना पड़ सकता है। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी।
किसी एक कारोबारी समूह में 50 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी या भारतीय संपत्ति में 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के विदेशी निवेश के मामले में एफपीआई को वास्तविक लाभार्थी (यूबीओ) का खुलासा 1 फरवरी से करना अनिवार्य होगा।
हालांकि एफपीआई की श्रेणी के आधार पर उन्हें इस संबंध में विस्तृत विवरण जमा कराने के लिए 10 से लेकर 30 कार्यदिवस तक का समय दिया जाएगा। प्रभावित एफपीआई को अपने पोर्टफोलियो की होल्डिंग बेचने या उसे कम करने के लिए 30 दिन की अवधि समाप्त होने के बाद छह महीने की अतिरिक्त मोहलत दी जाएगी।
इसका मतलब यह हुआ यदि विदेशी फंड वास्तविक लाभार्थी के बारे में विवरण प्रस्तुत नहीं करना चाहते हैं तो उन्हें कारोबार समेटने के लिए सात महीने का समय मिलेगा। सूत्रों ने कहा कि ऐसे में घबराहट में बिकवाली की कोई संभावना नहीं है जैसा कि बाजार के कुछ भागीदारों ने आशंका जताई थी।
सेबी के शुरुआती अनुमान के अनुसार निर्धारित सीमा से अधिक होल्डिंग वाले एफपीआई की संपत्ति 2.6 लाख करोड़ रुपये थी। नियामकीय सूत्रों ने कहा कि संरक्षकों को मानक संचालन प्रणाली में छूट मिलने से इसका वास्तविक असर काफी कम होगा।
मामले के जानकार सूत्रों ने कहा, ‘सॉवरिन वेल्थ फंडों, चुनिंदा वैश्विक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध कंपनियां, सार्वजनिक रिटेल फंडों तथा विविध वैश्विक होल्डिंग वाली अन्य विनियमित साझा निवेश फर्मों के एफपीआई को अतिरिक्त खुलासे से छूट दी गई है।’
वर्तमान में एफपीआई का इक्विटी में निवेश 60 लाख करोड़ रुपये से अधिक का है। उद्योग के सूत्रों ने कहा कि अगर वास्तविक लाभार्थी से संबंधित अतिरिक्त खुलासे का पालन नहीं किया जाता है तो करीब 40 हजार से 60 हजार करोड़ रुपये मूल्य की एफपीआई संपत्तियों को बेचना पड़ सकता है।
बीते एक हफ्ते में एफपीआई ने देसी बाजार से करीब 30,000 करोड़ रुपये की निकासी की है। कुछ लोगों को आशंका है कि यह अतिरिक्त खुलासा नियमों के लागू होने से पहले का असर हो सकता है।
हालांकि सूत्रों ने कहा कि इसमें ज्यादातर बैंकिंग शेयरों, खास तौर पर एचडीएफसी बैंक के शेयर में बिकवाली की गई है और इसमें किसी एक समूह में एफपीआई के ज्यादा निवेश की चिंता नहीं है। भारतीय बाजार में 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की होल्डिंग वाले ज्यादातर एफपीआई छूट की सूची में आते हैं।
सूत्रों ने कहा कि एक कारोबारी समूह में 50 फीसदी से अधिक के निवेश वाले कुछ एफपीआई के मामले में उन कंपनियों में न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता नियम के उल्लंघन का जोखिम नहीं है जिनके पास चिह्नित किए गए प्रवर्तक नहीं हैं। ऐसे एफपीआई भी अतिरिक्त खुलासा छूट के लाभ के दायरे में आ सकते हैं।