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वैकल्पिक निवेश फंड उद्योग ने कहा- चुनौतीपूर्ण हैं सेबी के नए नियम

कुछ का मानना है कि एआईएफ के सामने आरंभिक समस्याएं होंगी पर धीरे-धीरे गवर्नेंस में होगा सुधार

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खुशबू तिवारी
Last Updated- April 03, 2023 | 11:22 PM IST

सात लाख करोड़ रुपये वाला वैकल्पिक निवेश फंड (AIF) उद्योग परेशानी महसूस कर रहा है, जिसकी वजह बाजार नियामक सेबी की तरफ से घोषित नियामकीय बदलाव हैं।

इन बदलावों में मूल्यांकन के लिए मानकीकृत तरीका अपनाना, बिना बिके (Unliquidated) निवेश को लेकर व्यवहार, यूनिट का अनिवार्य डीमैटीरियलाइजेशन और प्रमुख कर्मियों के लिए सर्टिफिकेशन की अनिवार्यता शामिल है।

उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि नए ढांचे का अनुपालन करना चुनौतीपूर्ण होगा, खास तौर से इसलिए क्योंकि यह कदम नई योजनाओं व 500 करोड़ रुपये से ज्यादा कोष वाले AIF के यूनिट को 31 अक्टूबर तक डीमैटीरियलाइज करना अनिवार्य बनाता है।

कोटक इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स लिमिटेड (KIAL) के मुख्य परिचालन अधिकारी राजीव सप्तर्षि ने कहा, एआईएफ यूनिट के डीमैटीरियलाजेशन का काम शुरू में वैकल्पिक रखा जाना चाहिए, जो लिमिटेड पार्टनर्स के अनुरोध पर आधारित हो ताकि बाजार परिचालन की चुनौतियां समाहित कर सके।

उन्होंने कहा, चूंकि AIF निजी नियोजन वाले फंड होते हैं, ऐसे में वे अभी यूनिट जारी नहीं करते। इसके बजाय वे म्युचुअल फंडों की तरह खाते के विवरण जारी करते हैं। छोटे फंड व ऑफशोर निवेशकों को यह कदम मुश्किल भरा लग सकता है। हम विस्तृत परिपत्र की प्रतीक्षा करेंगे, लेकिन इस कदम के फायदे स्पष्ट नहीं हैं।

एआईएफ को अभी तक 7 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की निवेश प्रतिबद्धतािएं हासिल हुई हैं और 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया जा चुका है।

कुछ ने आश्चर्य जताया कि यूनिट के डीमैटीरियलाइजेशन व सर्टिफिकेशन एआईएफ उद्योग पर लागू किया गया है, जो अपेक्षाकृत नया है। पर यह 40 लाख करोड़ रुपये वाले म्युचुअल फंड उद्योग पर लागू नहीं है।

सेबी ने कहा है कि ये बदलाव जल्द लागू किए जाएंगे और इसका लक्ष्य निवेशकों को धोखाधड़ी से बचाना है।

बंद होने की प्रक्रिया के दौरान नकदी के अभाव के चलते जिन निवेशों की बिक्री न हो पाई हो उसे सुलजाने के लिए सेबी ने कहा है कि वैल्यू के हिसाब से 75 फीसदी निवेशकों की मंजूरी पर एआईएफ को ऐसे निवेश की बिक्री अपनी नई योजनाओं को करने की इजाजत होगी। सेबी ने निवेश को बट्टे खाते में डालने की खातिर प्रावधान लागू किया है, जहां निवेशक नकदी वैल्यू के बजाय मौजूदा रूप में परिसंपत्ति के वितरण में भाग नहीं लेना चाहते।

उद्योग ने हालांकि कुछ प्रावधानों का स्वागत किया है, लेकिन उसने ज्यादा कर देनदारी और कानूनी पचड़े में फंसी परिसंपत्तियों को लेकर चुनौतियों का हवाला भी दिया है।

सप्तर्षि ने कहा, निवेशकों और परिसंपत्तियों को नए फंडों में हस्तांतरित किए जाने से संभावित कम का मामला उठेगा और कानूनी पचड़े में फंसी परिसंपत्तियों के मामले में मुश्किल होगी। ऐसे में मेरी राय यह है कि मौजूदा फंड को एक अलग नियम के तहत जारी रखने की इजाजत मिलनी चाहिए।

कुछ का मानना है कि उद्योग को नए नियम से आरंभिक दिक्कतें हो सकती हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह गवर्नेंस के मानकों में सुधार लाएगा।

First Published : April 3, 2023 | 11:20 PM IST