Share market Closing Bell: वैश्विक बाजारों में कमजोरी के बीच घरेलू शेयर बाजार सप्ताह के आखिरी कारोबारी सेशन यानी शुक्रवार (7 मार्च) को लगभग सपाट बंद हुए।
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) आज मामूली बढ़त के साथ 74,347 अंक पर खुला। कारोबार के दौरान सेंसेक्स 74,586 अंक के हाई और 74,038 अंक के निचले स्तर पर झूलने के बाद 7.51 अंक या 0.01% की मामूली गिरावट लेकर 74,332.58 पर बंद हुआ।
इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी50 (Nifty50) भी गिरावट में खुला। इंडेक्स में उतार-चढाव देखने को मिला। अंत में निफ़्टी 7.80 अंक या 0.03% बढ़कर 22,552.50 पर बंद हुआ।
ब्रोडर मार्केटस निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स में तेजी जारी रही और यह 0.67 प्रतिशत बढ़कर बंद हुआ, जबकि निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 0.32 प्रतिशत गिरकर बंद हुआ।
निफ्टी 50 में शामिल शेयरों में रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे ज्यादा लाभ में रही, जो 3.04 प्रतिशत की बढ़त के साथ बंद हुई। इसके बाद टाटा मोटर्स, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, बजाज ऑटो और हिंडाल्को में 1.23 प्रतिशत तक की बढ़त दर्ज की गई।
इस बीच, इंडसइंड बैंक, श्रीराम फाइनेंस, एनटीपीसी, बीपीसीएल और इंफोसिस निफ्टी 50 में शामिल सबसे ज्यादा पिछड़ने वाले शेयरों में शामिल रहे, जो 3.78 प्रतिशत तक नीचे बंद हुए।
इससे पिछले ट्रेडिंग सेशन में बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) 609.86 अंक या 0.83 प्रतिशत बढ़कर 74,340.09 पर बंद हुआ था। इसी तरह, निफ्टी50 (Nifty50) 207.40 अंक या 0.93 प्रतिशत की बढ़त के साथ 22,544.70 पर बंद हुआ।
फरवरी में विदेशी निवेशकों की भारतीय शेयर बाजारों से निकासी जारी रही लेकिन फाइनेंशियल सेक्टर के दिग्गज शेयरों में बिकवाली की रफ्तार जनवरी की भारी निकासी के मुकाबले काफी धीमी रही। हालांकि इकनॉमिक ग्रोथ में सुस्ती की चिंता बरकरार है।
नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने फाइनेंशियल सेक्टर के शेयरों से 69.91 अरब रुपये की बिकवाली की जो अहम क्षेत्रों से हुई निकासी में सबसे ज्यादा है। हालांकि जनवरी में हुई निकासी के मुकाबले इसमें खासी कमी आई है क्योंकि तब एफपीआई ने वित्तीय क्षेत्र में 3 अरब डॉलर के शेयरों की बिक्री की थी।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने गुरुवार को कहा कि उनका प्रशासन अपनी टैरिफ नीति को अंतिम रूप देते समय शेयर बाजार की प्रतिक्रियाओं को ध्यान में नहीं रखेगा।
ट्रम्प की तेजी से बदलती व्यापार नीति ने बाजारों को उथल-पुथल कर दिया है। हालांकि येन और स्विस फ्रैंक जैसी मुद्राएं, साथ ही सोना, उन कुछ एसेट्स में से हैं, जिनमें निवेशक सुरक्षा की तलाश में उमड़ पड़े हैं।
एशियाई बाजारों में शुक्रवार को गिरावट आई, जो वॉल स्ट्रीट पर देखी गई गिरावट के चलते आई है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि ट्रंप की टैरिफ रियायतें निवेशकों को आश्वस्त करने में विफल रहीं।
अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों ने चिंताओं को और बढ़ा दिया, जिसने अर्थव्यवस्था पर ट्रंप की नीतियों के संभावित नकारात्मक प्रभाव के बारे में चिंता जताई। फेड की बेज बुक और इंस्टीट्यूट फॉर सप्लाई मैनेजमेंट (आईएसएम) की मैन्युफैक्चरिंग रिपोर्ट दोनों ने टैरिफ के कारण बढ़ती इनपुट लागत के बारे में बढ़ती आशंकाओं को उजागर किया।