शेयर बाजार

महीनों के बजाय अब कुछ दिनों में हो जाएगा ट्रेड सेटलमेंट, NSE ने अनलिस्टेड शेयरों का इलेक्ट्रॉनिक निपटान शुरू किया

इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू करने का मुख्य उद्देश्य ट्रेड सेटलमेंट की अवधि को महीनों से घटाकर कुछ दिनों में पूरा करना है।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- March 24, 2025 | 12:41 PM IST

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने अपने अनलिस्टेड शेयरों के सौदों का निपटान अब इलेक्ट्रॉनिक तरीके से करना शुरू कर दिया है। इससे शेयर ट्रांसफर प्रक्रिया आसान और तेज हो जायेगी।

सोमवार से शुरू हुए इस नए सिस्टम के तहत अब मैनुअल प्रोसेस की जगह केंद्रीय डिपॉजिटरी सर्विसेज इंडिया लिमिटेड (CDSL) इन ट्रांजैक्शनों को पूरा करेगा। NSE ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

हालांकि, इस रेगुलेटरी बदलाव के बावजूद NSE के शेयर अब भी अनलिस्टेड ही रहेंगे। यानी किसी भी स्टॉक एक्सचेंज पर पब्लिक रूप से ट्रेड नहीं होंगे। लेकिन इस पहल से यह सुनिश्चित होगा कि ऑफ-मार्केट ट्रांसफर अब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के तहत आने वाले 2018 के सिक्योरिटी कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) (स्टॉक एक्सचेंजेज़ एंड क्लियरिंग कॉर्पोरेशन) रेगुलेशंस (SECC) के अनुरूप हों।

क्या होते हैं अनलिस्टेड शेयर्स?

अनलिस्टेड शेयर्स वे शेयर होते हैं जो किसी भी पब्लिक स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड नहीं होते। ये आमतौर पर प्राइवेट कंपनियों के शेयर होते हैं। इनमें स्टार्टअप्स, शुरुआती चरण की कंपनियां या फिर NSE जैसी बड़ी लेकिन अनलिस्टेड कंपनियां शामिल होती हैं। इसके अलावा, वो कंपनियां भी इस श्रेणी में आती हैं जो पहले लिस्टेड थीं लेकिन बाद में डीलिस्ट कर दी गईं।

इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर के फायदे?

इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू करने का मुख्य उद्देश्य ट्रेड सेटलमेंट की अवधि को महीनों से घटाकर कुछ दिनों में पूरा करना है। पहले इन ट्रांजैक्शनों को NSE और SEBI दोनों की मंजूरी की आवश्यकता होती थी। इससे सेटलमेंट में चार से पांच महीने तक का समय लग जाता था। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार पहले जिस काम में तीन से चार महीने लगते थे, वह अब एक सप्ताह से भी कम समय में पूरा हो सकता है।

इस संशोधित प्रक्रिया से ग्रे मार्केट में ट्रेडिंग गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इस मार्केट में NSE के अनलिस्टेड शेयरों की मांग पहले से ही काफी बढ़ी हुई है। खासकर जब BSE लिमिटेड के शेयरों में बीते पांच वर्षों में करीब 5,000 फीसदी की बढ़त देखी गई है।

NSE शेयर को कैसे कर सकेंगे ट्रांसफर?

अब शेयरधारक CDSL के ज़रिए डिलीवरी इंस्ट्रक्शन स्लिप (DIS) का उपयोग करके NSE के अनलिस्टेड शेयरों का ट्रांसफर कर सकते हैं। 24 मार्च से NSE के इंटरनेशनल सिक्योरिटीज आइडेंटिफिकेशन नंबर (ISIN) के एक्टिव होने के बाद इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर संभव हो गया है। इ

इससे पहले, ट्रांसफर प्रोसेस में दो स्टेज शामिल थे। स्टेज 1 में एक लंबी केवाईसी के सत्यापन की आवश्यकता थी, जिसमें ‘फिट ऐंड प्रॉपर’ एसेसमेंट और व्यक्तिगत तथा क्षेत्रीय होल्डिंग सीमाओं का अनुपालन शामिल था और इसमें अक्सर महीनों लग जाते थे। NSE ने पुष्टि की है कि पहले लागू स्टेज I और स्टेज II वाली शेयर ट्रांसफर की प्रक्रिया अब बंद कर दी गई है।

First Published : March 24, 2025 | 12:32 PM IST