स्थानीय शेयर बाजार में पिछले तीन कारोबारी सत्रों से जारी गिरावट पर बुधवार को विराम लगा और बीएसई का सेंसेक्स 261 अंक की बढ़त के साथ बंद हुआ। वहीं एनएसई के निफ्टी में 78 अंक की तेजी आई। वैश्विक बाजारों में तेजी के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज और एचडीएफसी बैंक जैसे प्रमुख शेयरों में लिवाली से बाजार को समर्थन मिला।
बाजार विश्लेषकों ने कहा कि अमेरिका में रोजगार के उम्मीद से बेहतर आंकड़ों तथा अमेरिका और चीन के राष्ट्रपति के बीच इस सप्ताह बातचीत के कारण भारतीय शेयर बाजार बढ़त के साथ बंद हुए। सेंसेक्स 260.74 अंक यानी 0.32 प्रतिशत की तेजी के साथ 80,998.25 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 349.78 अंक तक चढ़ गया था। निफ्टी भी 77.70 अंक यानी 0.32 प्रतिशत की बढ़त के साथ 24,620.20 अंक पर बंद हुआ।
सेंसेक्स की कंपनियों में से इटर्नल (पूर्व में जोमैटो) 3.32 प्रतिशत के लाभ में रही। इसके अलावा भारती एयरटेल, इंडसइंड बैंक, टेक महिंद्रा, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, एचडीएफसी बैंक, टाटा स्टील और हिंदुस्तान यूनिलीवर के शेयर भी बढ़त के साथ बंद हुए। दूसरी तरफ, नुकसान में रहने वाले शेयरों में बजाज फिनसर्व, एक्सिस बैंक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाइटन और लार्सन एंड टुब्रो शामिल हैं।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के शोध प्रमुख (संपत्ति प्रबंधन) सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘सकारात्मक वैश्विक संकेतों के बाद भारतीय शेयर बाजार बढ़त के साथ बंद हुए और निफ्टी 0.32 प्रतिशत बढ़कर 24,620 अंक पर पहुंच गया। अप्रैल में उम्मीद से बेहतर रोजगार के आंकड़ों के बाद मंगलवार को अमेरिकी बाजार बढ़त के साथ बंद हुए। यह शुल्क नीतियों पर चिंताओं के बावजूद अमेरिकी श्रम बाजार में मजबूती को दर्शाता है।’ उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा, इस सप्ताह अमेरिका और चीनी राष्ट्रपति के बीच व्यापार वार्ता को लेकर एक उम्मीद बंधी है। इसके कारण एशियाई बाजार सकारात्मक रुख के साथ बंद हुए।’
मझोली कंपनियों से संबंधित मिडकैप सूचकांक 0.76 प्रतिशत चढ़ा जबकि छोटी कंपनियों से संबंधित स्मॉलकैप 0.58 प्रतिशत मजबूत हुआ। बीएसई में 2,071 शेयर लाभ में जबकि 1,933 शेयर गिरावट में रहे। वहीं 151 शेयरों के भाव अपरिवर्तित रहे।
जियोजित इन्वेस्टमेंट के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘घरेलू बाजार ने हल्के सकारात्मक रुख के साथ एक सीमित दायरे में कारोबार किया। बाजार को अमेरिका में मजबूत रोजगार के आंकड़ों और अमेरिका-चीन व्यापार तनाव कम होने जैसे अनुकूल वैश्विक संकेतों का समर्थन मिला।’