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और गिर सकते हैं तेल कंपनियों के शेयर

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 06, 2022 | 11:01 PM IST

तेल की बढ़ती कीमतों और रुपए के गिरते मूल्य की वजह से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के शेयर खतरे के निशान पर हैं।


ये दोनों वजहें इन कंपनियों की बॉटन लाइन पर असर डाल सकती है जबकि ये कंपनियां पहले से ही अंडर रिकवरी की वजह से नुकसान झेल रही हैं। पिछले हफ्ते तेल की कीमतों के 126 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार करने और भारतीय मुद्रा के अमेरिकी डॉलर की तुलना में गिरकर 41 रुपए के स्तर पर पहुंचने की वजह से इन कंपनियों के शेयरों में पांच फीसदी की गिरावट आई।


पिछले शुक्रवार तेल कंपनियों में सबसे ज्यादा नुकसान ऐस्सार ऑयल को उठाना पड़ा और उसके शेयर 9.46 फीसदी गिरकर 257 रुपए पर बंद हुए जबकि रिलायंस पेट्रोलियम के शेयरों के मूल्यों में 8.03 फीसदी की गिरावट आई और यह 181 रुपए पर बंद हुआ।


 कु छ अन्य कंपनियों जैसे रिलायंस इंड्रस्टीज,चेन्नई पेट्रोलियम और एमआरपीएल के शेयरों में भी क्रमश: 5.19 फीसदी,7.79 फीसदी और 6.86 फीसदी की गिरावट आई। तेल की मार्केटिंग करने वाली कंपनियों के शेयर मंदी के रुख का शिकार हो रहे हैं क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों के नयी ऊंचाईयों को छूने केबाद भी सरकार ने तेल और उसके उत्पादों के दाम बढ़ाने से साफ इंकार कर दिया है।


जिससे कंपनियों को अंडर रिकवरी के लिए मजबूर होना पड़ा है जो नेटवर्थ स्टॉक ब्रोकिंग के अनुसार 1,60,000 करोड़ के आसपास है। अगर प्रतिदिन के लिहाज से देखा जाए तो कंपनियों को करीब 450 करोड़ का घाटा हो रहा है। डॉलर की तुलना में रुपये की बढ़ती कीमतों ने तेल कंपनियों के घावों पर नमक का काम किया है और क्रूड ऑयल केदाम में प्रति डॉलर की बढ़ोत्तरी केसाथ उनका आयात बिल भी तेजी से बढ़ता जा रहा है।


डीजल केनिर्यात पर सरकारी पाबंदियों की संभावनाओं के चलते ऑयल कंपनियों के स्टॉक पर बहुत बुरा असर पड़ा है। विश्लेषकों का मानना है कि रुपये की मजबूती की वजह से ही पिछले कुछ दिनों संस्थागत विदेशी निवेशकों नेट सेलर्स में तब्दील हो रहे हैं।


पिछले शुक्रवार तक इन स्टॉक में संस्थागत निवेशकों का निवेश लगभग 402.50 रुपये के आसपास था। नेटवर्थ स्टॉक ब्रोकिंग की रिर्पोट के अनुसार रुपये की गिरती कीमतों की वजह से रिलायंस इंड्रस्टीज केनेट प्रॉफिट करीब 10.04 फीसदी का असर पड़ सकता है। मोती लाल ओसवाल के इक्विटी हेड मनीष संथालिया का कहना है कि रिलायंस इंड्रस्टीज के स्टॉक  में पांच से सात फीसदी का करेक्सन हो सकता है लेकिन लंबी अवधि की लिहाज से इसकी अच्छी संभावनाऐं हैं।


विश्लेषक ऑयल कंपनियों को लेकर काफी संशकित है क्योंकि इन कंपनियों ने अभी तक अपने तिमाही और सालाना परिणामों की घोषणा नहीं की है। विश्लेषकों का कहना है कि परिणामों के बाद कंपनियों की स्थिति में गंभीर परिवर्तन देखें जा सकेंगे। पूरी अंडर रिकवरी केबाद उनके स्टॉक में और गिरावट हो सकती है। अपनी सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले ऑयल बाँड की संख्या भी निर्धारित नहीं है। इन कंपनियों की हालत को सुधारने केलिए सरकारी प्रयास किए जाने चाहिए।

First Published : May 12, 2008 | 10:54 PM IST