इस साल जनवरी महीने में शेयर बाजार के धराशायी होते ही म्युचुअल फंडों ने सभी सेक्टर के शेयरों को भारी मात्रा में बेचना शुरू कर दिया। इस बिकवाली से कोई भी सेक्टर अछूता नहीं रहा।
ऐसी अव्यवस्था के बीच कुछ ऐसे स्टॉक भी रहे जिन्होंने फंड प्रबंधकों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफलता प्राप्त की। दिलचस्प बात यह है कि अधिकांश फंडों ने प्रमुख रुप से शीर्ष 30 शेयरों में से खरीदारी की थी। जून महीने के अंत में म्युचुअल फंड की परिसंपत्तियों में शामिल 851 शेयरों में शीर्ष के 30 शेयरों की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत के आसपास थी।
12 शेयर ऐसे थे जो 30 शेयरों वाले सूचकांक सेंसेक्स में शामिल नहीं थे। आइए, पिछले छह महीने के दौरान जिन शीर्षस्थ शेयरों पर म्युचुअल फंडों ने अपना भरोसा दिखाया उन पर एक नजर डालें। संख्या के हिसाब से देखें तो भारती एयरटेल के शेयरों की सबसे अधिक खरीदारी की गई। म्युचुअल फडों ने इस लार्ज-कैप टेलीकम्युनिकेशन कंपनी में महत्वपूर्ण रुप से अपना निवेश बढ़ाया।
जनवरी से जून के बीच फंड कंपनियों ने इसके 1,064 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। दिसंबर के अंत में यह शेयर 131 फंडों में शामिल था लेकिन जून के अंत में इस कंपनी के शेयर की कीमत 27 प्रतिशत कम होने के बावजूद इसमें निवेश करने वाले फंडों की संख्या बढ़ कर 180 हो गई। प्रमुख तकनीकी कंपनियों जैसे इन्फोसिस टेक्नोलॉजीज, सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज और टाटा कंसलटेंसी में भी फंडों ने अपना निवेश बढ़ाया है। पिछले छह महीने में फंडों ने अकेले इन्फोसिस टेक्नोलॉजीज के लगभग 894 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। इस अवधि में इसके शेयरों की कीमत केवल दो प्रतिशत कम थी।
स्पष्ट तौर पर फंडों ने इस अवसर को खरीदारी के लिए महत्वपूर्ण समझा और जून के अंत तक 50 फंडों ने इस कंपनी के शेयरों को अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर लिया। टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज और सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज ने भी फंडों को आकर्षित किया और इन दोनों के क्रमश: 537 और 352 करोड़ रुपये के शेयर फंडों ने खरीदे। 33 फंडों ने सत्यम कंप्यूटर की खरीदारी की और 28 ने टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज को अपने पोर्टफोलियो में शामिल किया। पिछले छह महीने में अन्य शेयरों के मुकाबले इनमें कम गिरावट देखी गई थी।
बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं के शेयरों की मांग भी बनी हुई थी। हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनैंस कॉर्पोरेशन (एचडीएफसी) और ऐक्सिस बैंक की खरीदारी भारी मात्रा में की गई जबकि आईसीआईसीआई को मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली। साल के शुरुआती महीनों में फंडों ने इनके शेयर इकठ्ठे करने आरंभ कर दिए थे लेकिन क्रेडिट डेरिवेटिव और सबप्रइम संकट से हुए घाटे की खबर से बाद में निवेश की मात्रा घटा दी। एक नए उत्साह के साथ फंडों ने फिर से बैंकिंग के शेयरों की खरीदारी शुरू कर दी, इस अवधि में इनके शेयर की कीमत कम चल रहे थे।
मूलभूत अभियांत्रिकी के शेयरों में फंडों ने सबसे अधिक भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स की खरीदारी की। फंडों ने भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स के लगभग 819 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। पिछले छह महीने में इस कंपनी के शेयरों की कीमत में 46 प्रतिशत की कमी आई थी। विशाखित कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो के शेयरों ने भी गिरते बाजार परिस्थितियों में खरीदारी का आकर्षण बरकरार रखा था। पिछले छह महीनों में फंडों ने इस कंपनी के 904 करोड़ रुपये के शेयरों की खरीदारी की। उल्लेखनीय है कि इस दौरान इसके शेयर की कीमत 48 प्रतिशत कम रही।
फार्मा शेयरों की बात की जाए तो डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज और दीवीज लैबोरेटरीज के शेयरों की महत्वपूर्ण खरीदारी की गई। 20 फंडों ने डॉ रेड्डीज के शेयरों को अपने पोर्टफोलियो में शामिल किया जबकि दीवीज लैबोरेटरीज के शेयर 14 फंडों के पोट्रफोलियो में शामिल हुए। पिछले छह महीनों में डॉ रेड्डीज लैब के शेयरों में 9 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि दीवीज लैब में 28 प्रतिशत की।
ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों में रिलायंस इंडस्ट्रीज और ऑयल ऐंड नैचुरल गैस कॉर्पोरेशन के शेयरों की भी जबर्दस्त खरीदारी की गई। एक तरफ जहां 19 फंडों ने ऑयल ऐंड नैचुरल गैस कॉर्पोरेशन के शेयरों को अपने पोर्टफोलियो में जगह दी वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों को 23 फंडों ने अपने पोर्टफोलियो में शामिल किया। बाजार में आई मंदी के दौरान ऑयल ऐंड नैचुरल गैस कॉर्पोरेशन के शेयरों की कीमत में 34 प्रतिशत और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में 27 प्रतिशत की कमी आई थी।