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तो क्या झोला उठाकर चल दिए विदेशी!

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 10:40 PM IST




वैश्विक वित्तीय संकट का असर दुनियाभर के बाजारों में साफ दिख रहा है। इससे भारतीय कंपनियों को भी इक्विटी के जरिए पैसा जुटाने में खासी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। जानकारों का मानना है कि यही स्थिति जारी रही, तो लंबे समय में देश के विकास पर असर पड़ सकता है।


दरअसल, वैश्विक वित्तीय संकट की घड़ी में विदेशी संस्थागत निवेशक भारतीय बाजार से पैसे निकालने का मन बना रहे हैं। हालांकि ये विदेशी संस्थागत निवेशक पैसा निकालेंगे या नहीं या बाजार की स्थिति पर निर्भर है, लेकिन निकट भविष्य में भारतीय बाजार में धनप्रवाह में मुश्किल आ सकती है।


यूरोप के एक प्रमुख निवेश बैंक के सीईओ ने बताया कि पिछले कुछ सालों से कंपनियों के पब्लिक इश्यू में करीब 50 फीसदी निवेश विदेशी संस्थागत निवेशकों की ओर से किया जाता रहा है। ऐसे में अगर विदेशी निवेशक बाजार से बाहर जाते हैं, तो कंपनी के धन जुटाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति में विदेशी बाजार से शेयरों के जरिए धन जुटाने में जहां कंपनियों को कड़ी मशक्कत करनी होगी, वहीं कर्ज से पूंजी पाना भी मुश्किल होगा।


जानकारों के मुताबिक, एनएचपीसी के आईपीओ को टालने की वजह भी यही है, क्योंकि बैंकरों का मानना


है कि क्वालिफाइड संस्थागत निवेशकों का बाजार के प्रति रुझान घट रहा है।


एनम सिक्युरिटीज के मुताबिक, बीएसई 200 कंपनियों में विदेशी संस्थागत निवेशकों की ओर से 15 सितंबर, 2008 तक करीब 116 अरब डॉलर (5220 अरब रुपये) निवेश किया गया था। हालांकि पिछले 15 दिनों में बाजार में आई गिरावट के बाद विदेशी संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी करीब 103 अरब डॉलर (4635 अरब रुपये) रह गई है। यानी कि इसमें करीब 12 अरब डॉलर (540 अरब रुपये) की कमी आई है।


रेलिगेयर सिक्युरिटीज के प्रमुख अमिताभ चक्रवर्ती के मुताबिक, दिसंबर 2007 में जब बाजार उच्चतम शिखर पर था, तब विदेशी संस्थागत निवेशकों की बाजार में हिस्सेदारी करीब 300 अरब डॉलर (13500 अरब रुपये) थी। इस साल विदेशी संस्थागत निवेशकों की ओर से 17.23 अरब डॉलर निवेश किया गया। विदेशी निवेशकों की ओर से जनवरी 2008 के अंतिम सप्ताह से पैसा निकालने की शुरुआत हुई। इस दौरान निवेशकों की ओर से करीब 9.2 अरब डॉलर निकाले गए।


जानकारों के मुताबिक, भारतीय कंपनियों में विदेशी संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी करीब 14 फीसदी है। हालांकि इसमें से 80 फीसदी निवेश प्रमुख 50 कंपनियों में किया गया है। अमेरिकी वित्तीय संकट की वजह से विदेशी संस्थागत निवेशक भारतीय बाजारों में कम निवेश कर रहे हैं।



First Published : October 1, 2008 | 9:16 PM IST