इस हफ्ते स्टील पर प्रस्तावित एक्सपोर्ट डयूटी वापस ले लिए जाने की संभावना से इस हफ्ते स्टील स्टॉक्स में तेजी आ सकती है।
इससे पहले सरकार ने घरेलू बाजार में स्टील की सप्लाई बढ़ाने के लिए इस पर 5-15 फीसदी की एक्सपोर्ट डयूटी लगाई थी। एडवांस लाइसेंसिंग स्कीम के तहत इस एक्सपोर्ट के अनुपात में ही हॉट रोल्ड कॉयल्स का इंपोर्ट किया जाना था। स्टील मंत्रालय का मानना था कि तैयार स्टील पर एक्सपोर्ट डयूटी मैन्युफैक्चरर्स के लिए अच्छी नहीं रहेगी।
इस बीच महंगाई दर में लगातार तेजी भी चिंता का विषय बना हुआ है हालांकि इस बार ये तेजी स्टील कीमतों की वजह से नहीं रही है। अप्रैल 19 को खत्म हुए हफ्ते में महंगाई की दर 42 महीनों के सबसे ऊंचे स्तर यानी 7.57 फीसदी पर पहुंच गया है। सेल, टाटा स्टील ,जेएसडब्ल्यू स्टील, एस्सार स्टील और इस्पात इंडस्ट्रीज जैसे स्टील निर्माताओं ने 2-3 महीनों तक स्टील की कीमतें नहीं बढ़ाने का इरादा जताया है।
इस स्टील कंपनियों को अप्रैल में ऑटो बिक्री बढ़ने से फायदा होगा, अप्रैल में दुपहिया वाहनों की बिक्री 9 फीसदी बढ़ी है और ब्याज दरों में कमी से इस सेक्टर में तेजी का लाभ स्टील सेक्टर को भी मिलेगा।
आईटी सेक्टर
इस हफ्ते आईटी सेक्टर के शेयर बाजार के प्रदर्शन से बेहतर रहेंगे। विष्लेषकों की मानें तो आईटी कंपनियों को टैक्स हॉलिडे की मियाद एक साल और बढ़ाए जाने और रुपये की कीमत में गिरावट से इन कंपनियों को फायदा मिलेगा। इन कंपनियों के शेयरों में पांच फीसदी तक की तेजी और देखी जा सकती है।
हालांकि शेयर भावों में तेजी से इन कंपनियों के वैल्युएशंस में कोई बदलाव नहीं आएगा। लेकिन तेजी के बावजूद फॉरेक्स नुकसान की वजह से इनमें मुनाफावसूली देखी जा सकती है। विष्लेषकों का मानना है कि टैक्स हॉलिडे और रुपये की गिरती कीमतों का असर कुछ समय के लिए रह सकता है क्योंकि इन कंपनियों की किस्मत अमेरिकी कंपनियों के रुख पर ही निर्भर करेगी।
बैंकिंग सेक्टर
बैंक स्टॉक्स में इस हफ्ते कुछ और तेजी देखी जा सकती है। क्योकि रिजर्व बैंक की क्रेडिट पॉलिसी का पिटारा खुल चुका है और बैंकों ने कुछ चैन की सांस ली है। पिछले मंगलवार को रिजर्व बैंक ने अपनी पॉलिसी में सीआरआर में केवल 0.25 फीसदी का इजाफा किया है।
इससे पहले 17 अप्रैल को रिजर्व बैंक सीआरआर में आधा फीसदी के इजाफे का ऐलान कर चुका है। सीआरआर की मौजूदा दर 8.25 फीसदी हो चुकी है। सीआरआर मे इजाफे के बावजूद बैंको ने अभी तक अपने प्राइम लेंडिंग रेट में कोई बदलाव नहीं किया है और फिलहाल बैंकों का ऐसा इरादा भी नहीं लग रहा है।