तेल अवीव की अदालत द्वारा सन फार्मा के पक्ष में फैसला सुनाने के बाद पहले चरण की लड़ाई में जीत सन फार्मा की हुई है।
यद्यपि अभी यह मामला ऊंची अदालत में जा सकता है लेकिन सन फार्मा अब लेविट परिवार के शेयर खरीद सकती है जिससे कंपनी को 65 फीसदी वोटिंग अधिकार हासिल हो सकेंगे।
3,290 करोड़ की यह दवा कंपनी इजरायली दवा कंपनी टारो का कुछ समय से अधिग्रहण करने का प्रयास कर रही है लेकिन लेविट परिवार सौदे को लगातार रोक रहा था और कंपनी की बिक्री पर सहमत नहीं हो रहा था। टारो जो नुकसान में थी, ने इस 2008 में 206 लाख डॉलर का शुध्द लाभ अर्जित किया। यह साल 2007 में कंपनी द्वारा अर्जित आय के काफी करीब है।
कंपनी के शेयर का कारोबार सन के ऑफर कीमत 7.75 डॉलर से ऊपर 9.8 डॉलर प्रति शेयर पर हो रहा है। सन फार्मा ने भी वित्त्तीय वर्ष 2008 की जून तिमाही में बेहतरीन प्रदर्शन किया और उसकी शुध्द बिक्री 66.4 फीसदी अधिक रहकर 1.023 करोड़ रही। इस बिक्री की वजह जेनेरिक दवाईयों जैसे पैंटोप्राजोल और इथयोल की अमेरिका में अच्छी बिक्री रही।
कंपनी की टॉपलाइन में भी सालाना आधार पर 174 फीसदी की वृध्दि दर्ज की गई और कंपनी के फार्मुलेशन का निर्यात 531 करोड़ हो गया। हालांकि घरेलू बाजार में फामूर्लेशन की बिक्री महज 17 फीसदी ही बढ़ी। लेकिन सन फार्मा अपनी नंबर एक स्थान नहीं पाया जबकि पिछली तिमाही के दौरान कंपनी ने सात नए उत्पाद लांच किए।
वस्तुओं की कीमतों में तेज गिरावट की वजह से जो कि पिछले तीन तिमाहियों से लगातार देखा जा रहा है, कंपनी को जून तिमाही में अपनी ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन को सालाना आधार पर 52.5 फीसदी पर पहुंचाने में मदद मिली। विश्लेषकों का मानना है कि पैंटोप्राजोल और इथयोल से मिलने वाला कुल लाभ 95 फीसदी के स्तर का है।
सन अपने जेनेरिक दवाओं को कारोबार को और फैलाने का प्रयास कर रही है और उसकी योजना अपनी अमेरिकी सहयोगी कंपनी कराको के साथ एनडीए सेगमेंट में भी प्रवेश करने की है। हालांकि इफेक्सनर एक्सआर टेबलेट में कानूनी पेंचों की वजह से देर हो रही है।
कंपनी को अनुमान है कि वह वित्तीय वर्ष 2009 में 4,000 करोड़ की कुल बिक्री हासिल कर लेगी और कंपनी का शुध्द लाभ 1,600 करोड़ का होगा। मौजूदा बाजार मूल्य 1,484 रुपए पर कंपनी के शेयर का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 18.5 गुना के स्तर पर हो रहा है।
ओएनजीसी-सही सौदा
वित्त्तीय वर्ष में करीब 18,710 करोड़ के कैश बैलेंस के साथ ऑयल एंड नेचुरल गैस कार्पोरेशन याने एनजीसी के लिए इंपीरियल को खरीदने के लिए भुगतान करना कोई बड़ा मामला नहीं होगा। कंपनी अपनी अनुषंगी कंपनी ओएनजीसी विदेश के जरिए इंपीरियल को खरीदने की तैयारी में है।
ओएनजीसी ने इसके लिए 1,255 पेंस प्रति शेयर देने पर सहमति दी है यानी 2.8 अरब डॉलर और सौदा पूरी तरह नगदी में होगा। इंपीरियल के पास 92 करोड़ बैरल तेल का संचय है। विश्लेषकों का मानना है कि इसका वैल्यूएशन काफी अच्छा है।
इसी समय पर विश्लेषकों का मानना है कि इंपीरियल का 17.46 करोड़ बैरल का रिजर्व कुछ जोखिम वाला भी हो सकता है क्योंकि खनन में कुछ परिचालन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इससे हो सकता है कि उत्पादन का लक्ष्य न मिले। लेकिन वे इस बात पर सहमत हैं कि मौजूदा ऑफर प्राइस उचित है क्योंकि सौदा काफी आकर्षक है।
ओएनजीसी का 1255 पेंस प्रति शेयर का ऑफर प्राइस 11 जुलाई 2008 के मूल्य से 62 फीसदी प्रीमियम पर है। पिछले तीन महीनों के दौरान इंपीरियल के शेयरों की कीमत लंदन स्टॉक एक्सचेंज में 995.8 पेंस प्रति शेयर रही है जिसका मतलब है कि प्रीमियम 26 फीसदी के नीचे स्तर पर है। इंपीरियल का तेल उत्पादन कॉमनवेल्थ ऑफ इंडपेंडेट स्टेट पर ही केंद्रित है।
साल 2007 में ओएनजीसी का रियलाइजेशन 33.4 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर रहा जो अंतरराष्ट्रीय कीमतों से 54 फीसदी डिस्काउंट प्राइस पर है। इसकी वजह रूस का ऊंची कर संरचना भी है। वित्त्तीय वर्ष 2007 में इंपीरियल ने 200 लाख अमेरिकी डॉलर की बिक्री की और कंपनी की परिचालन हानि 400 लाख अमेरिकी डॉलर रही।
मौजूदा बाजार मूल्य 1,006 रुपए पर कंपनी के शेयर का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 10 गुना के स्तर पर हो रहा है।