जब वित्तीय परामर्शदाता आपसे इक्विटी म्युचुअल फंडों में निवेश करने को कहता है तो यह अक्सर दीर्घावधि के लिए कर बचत से संबद्ध होता है।
एक वर्ष के बाद डायरेक्ट इक्विटी और इक्विटी डायवर्सिफाइड म्युचुअल फंड्स (इक्विटी में निवेश की गई 65 फीसदी राशि से अधिक) पर दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर नहीं है।
एकमुश्त निवेश करने वाले निवेशक के लिए आय कर का प्रभाव काफी सामान्य होता है, क्योंकि यह स्पष्ट है कि यदि वे एक साल से पहले इसे बेचते हैं तो यह लेन-देन 15 फीसदी अल्पावधि पूंजीगत लाभ कर के दायरे में आएगा। हालांकि योजनाबद्ध निवेश योजनाओं (एसआईपी) के रास्ते पर चलने वाले निवेशक कर को लेकर अक्सर ऊहापोह की स्थिति में रहते हैं।
अक्सर उनके सामने ऐसी स्थिति आ सकती है जब वे एक साल पहले के शुरुआती निवेश के बाद प्रॉफिट दर्ज करते हैं, लेकिन वे स्वयं को कर के दायरे में पाते हैं। वित्तीय योजनाकारों का कहना है कि एसआईपी में निवेशकों को खास सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि कराधान फर्स्ट-इन-फर्स्ट-आउट के आधार पर किया जाता है। मान्यताप्राप्त वित्तीय योजनाकार सजग सांघवी कहते हैं, ‘इसलिए प्रत्येक किस्त कर राहत को पूरा करती है।’
अल्पावधि के उदाहरण के तौर पर यदि कोई अक्टूबर, 2006 से लगातार निवेश कर रहा है तो यह वह अवधि होगी जिसमें वह मई, 2007 अवधि की तरह वह मुनाफा दर्ज कर सकेगा। मई, 2007 में नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) ऊंचाई पर थे। किसी इक्विटी फंड में 7 महीने से किया जाने वाला 5,000 रुपये का नियमित निवेश 41,570 रुपये में तब्दील हो सकता है।
इसका मतलब है सात किस्तों में जमा की गई 35,000 रुपये की राशि + 6,570 रुपये का लाभ। यदि कोई निवेशक 10,000 रुपये प्राप्त करने के लिए कुछ यूनिट निकालता है तो इस लेन-देन पर 15 फीसदी का अल्पावधि पूंजीगत लाभ कर लगेगा। इसी तरह का एक और उदाहरण पेश किया गया है। उदाहरण के तौर पर किसी व्यक्ति ने एसआईपी के जरिये अक्टूबर, 2006 से अक्टूबर, 2007 तक निवेश किया और एक वर्ष पूरा हो जाने पर उसने निवेश अचानक रोक दिया।
यदि इस व्यक्ति ने जनवरी, 2008 के पहले सप्ताह में यूनिट भुनाने का फैसला किया तो कर देयता कुछ इस तरह होगी। पहले तीन महीनों का पूंजीगत लाभ कर-मुक्त होगा, क्योंकि उसने एक वर्ष पूरा कर लिया है। इसलिए कुल लाभ 3,238.64 (अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर, 2006 में किया गया निवेश) कर-मुक्त होगा। हालांकि, शेष लाभ 4,329.06 पर 15 फीसदी की दर से कर लगेगा, क्योंकि ये किस्तें एक वर्ष का समय पूरा नहीं कर पाईं।