कमोडिटी की कीमतों में आई गिरावट के चलते भारतीय सामान्य बीमा कंपनियों को समुद्री बीमा प्रीमियम से होने वाली आय में गिरावट आ सकती है।
यह बात इस उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों ने कही है। ज्ञातव्य है कि वैश्विक बाजार में कमोडिटी की कीमतों और मांग में कमी आई है। इससे समुद्र के रास्ते होने वाले कारोबार में कमी आई है। साथ ही माल ढुलाई की दरें भी गिरी हैं।
बॉल्टिक ड्रॉई सूचकांक जो कमोडिटियों की शिपिंग लागत का मानक है, मई के 11,793 के स्तर से 90 फीसदी गिर चुका है। सामान्य बीमा परिषद के महासचिव के. एन. भंडारी ने बताया कि समुद्री बीमा के जरिए होने वाली पूरी तरह से नीचे आएगी।
वर्ष 2006-07 में सामान्य बीमा कंपनियों की प्रीमियम आय में समुद्री प्रीमियम का योगदान सात फीसदी रहा था जिनमें दावे का अनुपात सरकारी कंपनियों के लिए 80.5 फीसदी और प्राइवेट कंपनियों के लिए 112.57 फीसदी रहा। यह बात बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) के आंकड़ों में कही गई है।
हालांकि इसके बाद भी अगले साल बीमा कंपनियां अपनी प्रीमियम की दर को बढाने जा रही हैं। क्योंकि अर्थव्यवस्था में आ रही मंदी के कारण भुगतान न करने की समस्या और मुकदमेबाजी बढ़ गई है। हालांकि ब्याज दरों में हुए इजाफे से कवर की मांग बढ़ी है।
भारती ग्रुप और फ्रांस के एक्सए के संयुक्त उपक्रम भारती एक्सए जनरल इंश्यारेंस कंपनी के उपाध्यक्ष मिलिंद जोशी ने बताया कि दरों में बहुत अधिक इजाफा नहीं हुआ है।
ऐसी स्थिति में जब अर्थव्यवस्था मंदी की ओर जा रही है, हमें फर्म की बीमा क्षमता का भी ध्यान रखना होगा।
दो साल पहले बीमा कंपनियों को पालिसी की कीमत तय करने के और अधिकार दिए जाने के बाद से प्रीमियम दर घटी है।