जिन निवेशकों ने म्युचुअल फंड की इक्विटी योजनाओं में अपना पैसा लगाया है, वे भले ही जल्दबाजी में अपना पैसा तो नहीं निकाल रहे हों पर मौजूदा समय में नए निवेश का सूखा पड़ा है।
विश्लेषकों की राय में बाजार में जिस तेजी के साथ गिरावट देखी गयी है उसमें कोई भी निवेशक बड़े नुकसान के साथ बाहर निकलने को तैयार नहीं दिख रहा। हालांकि खुद उनका ही मानना है कि आने वाले समय में अगर बाजार में थोड़ा बहुत सुधार देखने को मिलता है तो जरूर निवेशकों में बाजार से बाहर निकालने की होड़ देखी जा सकती है।
कार्वी के उपाध्यक्ष के श्रीधर बताते हैं कि फिलहाल तो निवेशकों में अपने पैसे को बाहर निकालने की होड़ नजर नहीं आ रही पर यह जरूर है कि इक्विटी योजनाओं में निवेश का टोटा पड़ा हुआ है।
एक अनुमान के मुताबिक नए निवेश में करीब 50 फीसदी से अधिक की गिरावट आयी है और निवेशक नए फंडों में जोखिम उठाने की बजाय पहले से मौजूद और ठीक-ठाक प्रदर्शन कर रहे पुराने फंडों में ही निवेश करना बेहतर समझ रहे हैं।
एक कंपनी में निवेश संबंध के प्रमुख ने बताया कि बीते शुक्रवार को ही यह अफवाह फैल गई थी कि म्युचुअल फंडों की इक्विटी योजनाओं पर भारी दबाव है और निवेशक अपना पैसा निकालने की तैयारी में हैं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता तो एक सच्चाई यह भी होनी चाहिए थी कि रिटेल निवेशक नुकसान में रह कर भी अपना पैसा निकालने को तैयार हैं।
जैसी अफवाहें सामने आ रही हैं उस हिसाब से चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। म्युचुअल फंडों में जितनी संपत्तियों का प्रबंधन (एयूएम) किया जा रहा है उनमें से करीब एक तिहाई हिस्सा ही इक्विटी योजनाओं का है। इस वर्ष सितंबर के अंत में म्युचुअल फंड के जरिए 5.29 लाख करोड़ रुपये का प्रबंधन किया जा रहा था। 30 सितंबर को म्युचुअल फंडों का बाजार पूंजीकरण 42.07 लाख करोड़ रुपये का था, जो गत शुक्रवार घटकर 34.40 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था।
ऐसे में अगर म्युचुअल फंडों के इक्विटी योजनाओं से निवेशक पैसा खींचने का दबाव बढ़ता भी है तो इससे कोई खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि 30 सितंबर के आंकड़ों के अनुसार फंडों में इक्विटी योजनाओं (करीब 1.59 लाख करोड़ रुपये) की हिस्सेदारी बाजार पूंजीकरण की महज 3.78 फीसदी ही है। विशेषज्ञों की एक राय यह भी है कि शेयर बाजार के निवेशक की तुलना में म्युचुअल फंड का निवेशक लंबी अवधि को ध्यान में रखकर निवेश करता है। वह अपना निवेश तब तक नहीं खींचेगा जब तक उसे दूसरी निवेश योजना में इससे बेहतर रिटर्न की संभावना नहीं दिखती हो।
भारी नुकसान से बचने के लिए लोग म्युचुअल फंड में बरकरार
मगर नई योजनाओं में निवेश में आई 50 फीसदी की गिरावट