फ्रैंकलिन टेम्पलटन इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स देश की छठी सबसे बड़ी असेट मैनेजमेंट कंपनी है। इसका असेट अंडर मैनेजमेंट मार्च 2008 को 26,842.22 करोड़ रुपये का रहा है।
जबकि इसका इन्वेस्टर बेस 25 लाख निवेशकों का है। फंड के चीफ इन्वेस्टमेंट अधिकारी सुकुमार राजा मानते हैं कि बॉटम-अप तरीका म्युचुअल फंड के लिए सबसे फायदेमंद है क्योंकि शेयरों की कीमतों में तेजी से सुधार हुआ है। वंदना और तिनेश भसीन ने इससे जुड़े मामलों पर सुकुमार राजा से विस्तार से बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश-
सेंसेक्स को लेकर आप की क्या रॉय है? क्या इसके 11,000 के नीचे जाने की संभावना है?
निवेशकों में कयास लगाने की प्रवृत्ति होती है। जब सेंसेक्स का आंकड़ा 20,000 के पार पहुंच जाता है तब लोग इसके 25,000 से ऊपर जाने की बात करने लगते हैं लेकिन जब सेंसेक्स नीचे की और सरकता है तो लोग इसे मंदी से जोड़कर देखने लगते हैं।
नीचे के स्तर पर सहयोग की बहुत सारी संभावनाएं हैं। विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में जमकर खरीददारी कर रहें हैं। अच्छी कंपनियों के लिए खतरे की गुंजाइश बहुत कम है। मैं नहीं समझता कि ऐसी स्थिति में सेंसेक्स 11,000 के नीचे आ सकता है।
विदेशी संस्थागत निवेशक भारतीय शेयर बाजार में शुध्द खरीदार के रूप में वापसी कर रहें हैं। आप इसको किस रूप में देखते हैं?
विदेशी संस्थागत निवेशक एक समान नहीं होते हैं। इन्डाउमेंट्स और पेंशन फंड बाजार को दीर्घकालीन फायदे के रूप में देखते हैं। जब बाजार पूरे उफान पर था तो वह खरीददारी से दूर रहे लेकिन अब वे खरीददारी कर रहे हैं। हालांकि बाजार के फिसलने से पहले भारत में हेज फंड से जुड़े क्रियाकलाप काफी तेज थे। हेज फंड मूल रूप से मूमेंटम इन्वेस्टर हैं और उनकी गतिविधि में गिरावट आएगी। एसेट्स के कम होने की स्थिति में अधिक से अधिक वेल्यू इन्वेस्टर आगे आएंगे।
वेल्यूशन फोर्थ क्या समाप्त हो चुका है?
दीर्घकालीन संभावनाओं को देखते हुए करेंट वेल्यूशन तार्किक जान पड़ता है। सेंसेक्स की सेहत फिलहाल बहुत अच्छी जान पड़ती है। टेलीकॉम और पीएसयु ऑयल कंपनियों में खरीददारी की अच्छी संभावनाएं हैं। जहां तक वित्तीय सेवाओं की बात है तो बैंकों विशेषकर व्यवसायिक बैंकों की के लिए वातावरण अनुकुल नहीं जान पड़ता है। हमने अपने पोर्टफोलियो में इंफ्रास्ट्रकचर और कंस्ट्रशन को जोड़कर व्यापक फे रबदल किए हैं।
रियल स्टेट सेक्टर को आप किस रूप में देखते हैं?
इस क्षेत्र में लाभ की संभावनाए काफी बताई जा रही है क्योंकि यह लैंड-बैंक वेल्यूशन पर आधारित होता है। डेवेलपर सोचते हैं कि वे फ्लैटस को बहुत अच्छी कीमतों पर बेच सकते हैं।
कॉरपोरेट अर्निंग को आप किस तरह से आंकते हैं?
मैं समझता स्थिति निराशाजनक है। कंपनी ग्रोथ आर्निंग के बड़े स्तर पर नीचे आने की संभावना है। फॉरेक्स डेरिवेटिव में शॉर्ट टर्म प्रॉफिट कमाने के चक्कर में कंपनियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है। राजस्व 20 से 22 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ेंगे।
डॉलर के मूल्यों हो रही गिरावटों का मुनाफे पर कोई असर पड़ेगा?
फिलहाल डॉलर की कीमत कम है। इसे जितना नीचे जान चाहिए था यह उतना नीचे चला गया है। हालांकि अल्प और मध्यावधि में डॉलर की कीमतों में सुधार आना चाहिए। भविष्य में रूपया बहुत मजबुत स्थिति में आ जाएगा।
हाल में ही शुरू किए गए स्टॉक लेंडिग और बोरोविंग मेकेनिज्म और शॉर्ट सेलिंग को लेकर आप क्या सोचतें हैं? उनमें कब तक उछाल आ सकता है?
मेरा मानना है कि यह मेकेनिज्म दीर्घकालीन निवेशकों के लिए फायदेमंद नहीं है। इधर के कुछ महीनों में जबरदस्त शॉर्ट सेलिंग हुई है। बाजार में इस लिहाज से कोई फायदा नहीं हो रहा है। नए मेकेनिज्म के आगे बढ़ने में कुछ समय लगेगा। सूचनाओं का लीक हो जाना भी एक अहम मुद्दा है।
जब आपके पास शेयर की कमी हो तो सूचनाओं का लीक हो जाना आपको परेशान कर सकता है। हमें सूचनाओं को और सुरक्षित बनाने की जरूरत है। हम एक समूह के रूप मे मेकेनिज्म में स्थिरता आने तक इंतजार करेंगे।