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क्या है ईएलएसएस फंड में लाभांश का फंडा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 06, 2022 | 10:43 PM IST

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) योजनाओं में निवेश की लॉक-इन अवधि तीन वर्षों की होती है। क्या यही शर्त इस स्कीम के तहत घोषित किए जाने वाले लाभांशों पर भी लागू होती है?


उदाहरण के लिए, अगर मैं 1 अप्रैल 2008 को किसी ईएलएसएस योजना की 100 यूनिटों की खरीदारी करता हूं तो लॉक-इन अवधि 1 अप्रैल 2011 तक की होगी। अगर मुझे 30 मार्च 2009 को लाभांश के तौर पर 10 अतिरिक्त यूनिट आवंटित की जाती है तो क्या लॉक-इन अवधि वहां भी लागू होगी? क्या इसका यह मतलब है कि अतिरिक्त यूनिटों को भी 30 मार्च 2011 के बाद ही बेचा सकता है?  -अनीश जैन


इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम की लॉक-इन अवधि के बारे में आपका कहना सही है। यह तीन वर्षों का होता है। इस अवधि की समाप्ति के बाद आप अपना निवेश भुना सकते हैं। लाभांश पुर्निवेश के मामले में, घोषित किए गए लाभांश को उसी स्कीम में पुर्निवेशित किया जाता है। इसलिए इसकी लॉक-इन अवधि भी तीन वर्षों की होती है।


लाभांश भुगतान के मामले में, लाभांश का वितरण निवेशकों के बीच कर दिया जाता है और इसलिए इस पर लॉक-इन अवधि की शर्तें लागू नहीं होती है। अब हम आपके  द्वारा दिए गए उदाहरण की बात करते हैं। आपको 30 मार्च 2009 को 10 अतिरिक्त यूनिट लाभांश के तौर पर आवंटित किए जाते हैं।


ये यूनिट पुनर्निवेश की तारीख से तीन वर्षों तक के लिए लॉक-इन अवधि में रहेंगे। इसलिए इन यूनिटों को आप 30 मार्च 2012 के बाद ही भुना पएंगे। हालांकि, योजना की शुरुआत में आवंटित यूनिटों को आप 1 अप्रैल 2011 को या उसके बाद भुना सकते हैं।


मैं प्रत्येक महीने 50,000 रुपये प्रत्येक महीने शेयर बाजार में लगाना चाहता हूं। क्या मुझे सीधे तौर पर सेसेंक्स के 30 शेयरों में निवेश करना चाहिए या मुझे म्युचुअल फंडों का मार्ग  अपनाना चाहिए? कृपया सुझाव दें।  – फणी शंकर


आज जब इक्विटी बाजार उच्च अस्थिरता की दौर से गुजर रहा है, यह ज्यादा उचित रहेगा कि आप म्युचुअल फंड के माध्यम से निवेश करें। यह ज्यादा सुविधाजनक भी है।आप प्रत्येक महीने 50,000 रुपये जैसी भारी रकम के निवेश की योजना बना रहे हैं, इसलिए म्युचुअल फंड के माध्यम से निवेश करने में आप शुल्क के साथ-साथ शेयर बाजार में सीधे निवेश करने से जड़े जोखिमों को कम कर सकते हैं और फंड प्रबंधकों के पेशेवर प्रबंधन ज्ञान का लाभ भी उठा सकते हैं।


इसके अतिरिक्त, आप सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप) के जरिये मासिक आधार पर निवेश कर लागत मूल्य के औसत होने का लाभ भी उठा सकते हैं। अगर आप अपनी जोखिम उठाने की क्षमता को आंक चुके हैं और सीधे निवेश के संदर्भ में आपको अच्छी जानकारी है तो सीधे तौर पर बाजार में निवेश कर सकते हैं।


किसी व्यक्ति को बैंकों की सावधि जामा योजनाओं की जगह विशुध्द ऋण फंडों में निवेश क्यों करना चाहिए? उदाहरण के लिए कोटक फ्लेक्सी डेट ने तीन वर्षों की समयावधि में 7.21 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है। बैंक की सावधि जमाओं पर तो इससे अधिक प्रतिफल अर्जित किया जा सकता है।  – राहुल माहेश्वरी


सावधि जमाएं ऋण फंडों की तुलना में सुरक्षित निवेश होती हैं। कभी-कभी इन पर उच्च प्रतिफलों की पेशकश भी की जाती है। लेकिन मुख्य फर्क लाभों पर लगाए जाने वाले कर का है। सावधि जमाओं से अर्जित ब्याज को आपकी आय में शामिल कर दिया जाता है। यहां जमा की अवधि से कोई मतलब नहीं होता है।


इसके अतिरिक्त सावधि जमाओं के मामले में अल्पावधि और दीर्घावधि के लाभों में अंतर नहीं किया जाता है। ऋण फंड सावधि जमाओं की तुलना में लाभों पर लगाए जाने वाले कर के मामले में एक बेहतर विकल्प है। ऋण फंडों से प्राप्त होने वाले  अल्पावधि के लाभों को आपकी आय में जोड़ दिया जाता है। लेकिन अगर आप अपना निवेश एक साल बाद भुनाते हैं तो (दीर्घावधि का पूंजीगत लाभ) आपको इंडेक्सेशन का लाभ मिल सकता है।


अगर मैं बिना किसी दलाल या अभिकर्ता की मदद के बिना म्युचुअल फंड में निवेश करता हूं तो मुझे प्रवेश प्रभार नहीं देना होगा। कृपया म्युचुअल फंड में सीधे तौर पर निवेश करने की प्रक्रिया के बारे में बताएं? अगर मैं बैंकों के माध्यम से म्युचुअल फंड में निवेश करता हूं तो क्या इसे सीधा निवेश माना जाएगा?   – धर्मेन्द्र पसरीचा


नहीं, बैंक के माध्यम से म्युचुअल फंड में निवेश करना सीधे निवेश के वर्ग में नहीं आता है। अगर यूनिटों की खरीदारी के लिए किया जाने वाला आवेदन पत्र निवेश के द्वारा भरा गया है और उसे सीधे परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी (एएमसी) के किसी सर्विस सेंटर या विशेष संग्रह केंद्र में जमा करवाया गया है तो उसे सीधा निवेश समझा जाता है और यहां प्रवेश प्रभार देने की जरुरत नहीं होती है। अगर फंडों की ऑनलाइन यूनिट खरीदारी का विकल्प उपलब्ध है तो उसे भी सीधे निवेश के वर्ग में रखा जाता है।


कोई निवेश म्युचुअल फंड में तीन तरीकों से सीधा निवेश कर सकता है:


एएमसी के नजदीकी दफ्तर का पता लगाएं


एएमसी के दफ्तर जाएं, फॉर्म भरें और दस्तावेजों के साथ जमा करवा दें। आपका बैंक एएमसी और बैंक दोनों की दोहरी भूमिका अदा नहीं करता है। समान समूह में आने के बावजूद म्युचुअल फंड कंपनियां और बैंक दो अलग-अलग इकाइयां होती हैं।


संग्रह केंद्र या इन्वेस्टर सर्विस कार्यालय जाएं


अगर किसी एएमसी, उसके संग्रह केंद्र या इन्वेस्टर सर्विस का दफ्तर आपके शहर में नहीं है तो आप फॉर्म भरकर और उसके साथ आवश्यक दस्तावेज संलग्न कर परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी को डाक से या कुरियर से भी भेज सकते हैं। अगर कुरियर करने में लगने वाला पैसा प्रवेश प्रभार के बराबर है तो किसी अभिकर्ता के माध्यम से निवेश करने में कोई घाटा नहीं है। इससे आपकी अतिरिक्त परेशानी भी बचेगी।


ऑनलाइन करें आवेदन


जिस फंड हाएस की योजना में निवेश करना चाहते हैं उसके वेबसाइट पर जाएं और पता लगाएं कि क्या वे ऑनलाइन निवेश करने का विकल्प उपलब्ध कराते हैं या नहीं। अगर यह विकल्प उपलब्ध है तो आपको व्यक्तिगत और निवेश संबंधी विस्तृत जानकारी ऑनलाइन फॉर्म में देनी होगी और आपको अपने पैन नंबर का हवाला भी देना होगा।


म्युचुअल फंडों में निवेश के लिए पैन अनिवार्य कर दिया गया है। ऑनलाइन निवेश के लिए म्युचुअल फंड कंपनियों का बैंकों से गठजोड़ होता है। पहले यह सुनिश्चित कर लें जिस बैंक के खाते से आप यूनिटों की खरीदारी करने वाले हैं वह सूची में शामिल है।


दूसरा विकल्प यह है कि आप चेक या ड्राफ्ट के माध्यम से भुगतान करें। इइस मामले में आपको चेक या ड्राफ्ट कुरियर से भेजना होगा। अगर आप सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के माध्यम से निवेश करना चाहते हैं तो आप इलेक्ट्रॉनिक क्लियरेंस स्कीम का चयन भी कर सकते हैं। कुछ फंड हाउस सिप में ऑनलाइन  निवेश की पेशकश नहीं करते हैं। इसके लिए आपको फंड हाउस के कार्यालय जाना होगा।


यह भी याद रखिए कि एक अभिकर्ता आपके सभी कागजी कामों का ध्यान रखता है साथ ही जब आपको निवेश भुनाने की जरुरत होती है तो वह आपकी मदद के लिए तैयार रहता है।

First Published : May 11, 2008 | 10:53 PM IST