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Income Tax Return: ITR में इनकम मिसमैच को लेकर ई वेरिफिकेशन के लिए 68,000 मामले लिए गए – CBDT

करदाताओं को अगर लगता है कि ई-सत्यापन में बताई गई असमानता सही है तो वह इसके लिए स्पष्टीकरण देते हुए कर विभाग को जवाब भेज सकते हैं।

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भाषा
Last Updated- March 13, 2023 | 3:18 PM IST

आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2019-20 में आयकर रिटर्न (ITR) में आय नहीं बताने या कम बताने को लेकर ई-सत्यापन के लिए लगभग 68,000 मामलों को लिया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) प्रमुख नितिन गुप्ता ने सोमवार को यह जानकारी दी।

आयकर विभाग ई-सत्यापन योजना के अंतर्गत करदाताओं को वित्तीय लेनदेन और भरे गए ITR के बारे में वार्षिक सूचना विवरण (एआईएस) में असमानता के बारे में बताता है। करदाताओं को अगर लगता है कि ई-सत्यापन में बताई गई असमानता सही है तो वह इसके लिए स्पष्टीकरण देते हुए कर विभाग को जवाब भेज सकते हैं।

गुप्ता ने कहा, ‘विभाग ने शुरुआती तौर पर तय जोखिम प्रबंधन मानकों के आधार पर वित्त वर्ष 2019-20 के लगभग 68,000 मामले ई-सत्यापन के लिए उठाए हैं। इनमें से 35,000 मामलों (56 फीसदी) में करदाता पहले से ही संतोषजनक जवाब भेज चुके हैं या संशोधित ITR भर दिया है।’

उन्होंने बताया कि अब तक कुल 15 लाख संशोधित ITR भरे जा चुके हैं और कर के रूप में 1,250 रुपये एकत्रित हो चुके हैं। हालांकि शेष 33,000 मामलों में करदाताओं से कोई जवाब नहीं आया है। करदाताओं के पास 2019-20 के लिए संशोधित ITR जमा करने के लिए 31 मार्च, 2023 तक समय है।

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गुप्ता ने कहा, ‘जब कोई आयकरदाता संशोधित ITR भर देता है तो उसके मामले को जांच या पुनर्मूल्यांकन के लिए उठाए जाने की संभावना बहुत कम हो जाती है।’ उन्होंने कहा कि ई-सत्यापन के लिये जोखिम मानक हर साल तय किये जाते हैं। हालांकि उन्होंने ई-सत्यापन के लिए मामले के चयन को लेकर मानदंडों का खुलासा नहीं किया।

First Published : March 13, 2023 | 3:18 PM IST