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Silver Prices: ऑल टाइम हाई पर पहुंचने के बाद 7 हजार रुपये से ज्यादा टूटी चांदी

इस महीने 4 दिसंबर को सिल्वर की कीमतें MCX पर  78,549 रुपये प्रति किलोग्राम की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- December 16, 2023 | 9:48 PM IST

Silver Prices: इस महीने 4 दिसंबर को चांदी (silver) की कीमतें एमसीएक्स (MCX) पर  78,549 रुपये प्रति किलोग्राम की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई। इससे पहले 3 अक्टूबर को कीमतें 65,666 रुपये प्रति किलोग्राम तक नीचे चली गई थी। इस तरह से देखें तो 3 अक्टूबर के बाद यानी 2 महीने मेंं कीमतों में 20 फीसदी की तेजी आई।

हालांकि 4 दिसंबर के बाद सिल्वर की कीमतें 8 फीसदी से ज्यादा कमजोर हुई हैं। जबकि इसी अवधि के दौरान सोने (gold)  में 4 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। मतलब 4 दिसंबर के बाद चांदी सोने के मुकाबले दोगुनी कमजोर हुई है। फिलहाल चांदी की कीमत MCX पर 71,500 रुपये प्रति किलोग्राम के आस-पास है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमत 4 दिसंबर को सात महीने की ऊंचाई 25.47 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई थी। अभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमत 23 डॉलर प्रति औंस से थोड़ा नीचे है। इसी साल मई में भी कीमतें 25 डॉलर प्रति औंस के ऊपर चली गई थी। जबकि 2011 में इसने 49.81 डॉलर प्रति औंस का हाई बनाया था।

जानकारों के मुताबिक अमेरिका में ब्याज दरों में और बढ़ोतरी की संभावना के कमजोर पड़ने, साथ ही अगले साल कटौती की उम्मीद बढ़ने से गोल्ड के साथ-साथ सिल्वर की कीमतों मे तेजी आई। इजरायल की तरफ से हमास के ऊपर किए जा रहे हमलों के बीच मिडिल ईस्ट में बढ़ते जियो-पॉलिटिकल टेंशन के मद्देनजर निवेश के सुरक्षित विकल्प (safe-haven) के तौर पर इस व्हाइट मेटल (white metal) की मांग में आई तेजी की वजह से भी सिल्वर के लिए पिछले दो महीने शानदार रहे।

इसके अलावे चीन में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का भी कीमतों को सपोर्ट मिला। पिछले कुछ वर्षों के दौरान इस व्हाइट मेटल की औद्योगिक मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। दुनिया भर में चांदी का लगभग 60 फीसदी उपयोग औद्योगिक क्षेत्र में होता है, जबकि बाकी 40 फीसदी निवेश में जाता है। कीमतों को लेकर चीन की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। क्योंकि चीन सिल्वर का न सिर्फ दूसरा सबसे बड़ा कंज्यूमर है बल्कि इसके शीर्ष उत्पादक देशों में से एक है।

वहीं रिकॉर्ड हाई पर पहुंचने के बाद कीमतों में आई नरमी की बड़ी वजह मुनाफावसूली है। यदि इस बात की संभावना बढ़ती है कि यूएस फेडरल रिजर्व अगले साल मार्च से ब्याज दरों में कटौती की शुरुआत की सकता है, साथ ही चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार होता है तो सिल्वर की कीमतों में फिर शानदार तेजी लौट सकती है ।

इसी साल मई में भी जब  सिल्वर की कीमतें 78,292 रुपये प्रति किलोग्राम की ऊंचाई तक पहुंच गई थी, ज्यादातर जानकार कीमतों के मौजूदा कैलेंडर ईयर के अंत तक 90 हजार और मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक 1 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक ऊपर जाने का अनुमान जता रहे थे। हालांकि एमसीएक्स (MCX) पर मई के बाद कीमतों में तेजी के बजाय 8 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है।

मई में कीमतों के रिकॉर्ड लेवल तक जाने की कई वजहें थीं। डॉलर इंडेक्स (US Dollar Index) में कमजोरी, यूएस में इंटरेस्ट रेट में और बढ़ोतरी की क्षीण होती संभावना, इंडस्ट्रियल डिमांड में तेजी, इन्वेंट्री में गिरावट के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर रिसेशन और इन्फ्लेशन जैसी दोहरी चुनौतियां उस समय सिल्वर की कीमतों में तेजी के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार थीं।

लेकिन उसके बाद अमेरिका में ब्याज दरों के ज्यादा समय तक ऊंची बने रहने की संभावना के मद्देनजर यूएस डॉलर इंडेक्स सहित बॉन्ड यील्ड में आई तेजी के साथ साथ चीन की अर्थव्यवस्था में आई नरमी ने सिल्वर के इन्वेस्टमेंट और इंडस्ट्रियल डिमांड दोनों को प्रभावित किया। जिससे कीमतों पर दबाव देखा गया।

यदि आप गोल्ड-सिल्वर होल्ड करते हैं तो अमेरिकी बॉन्ड यील्ड (US bond yield) में तेजी गोल्ड-सिल्वर के अपॉर्चुनिटी कॉस्ट (opportunity cost) को बढ़ा देती है। क्योंकि गोल्ड-सिल्वर पर आपको कोई यील्ड/ इंटरेस्ट नहीं मिलता।

गोल्ड-सिल्वर रेश्यो

गोल्ड-सिल्वर रेश्यो (gold-silver ratio) भी सिल्वर के प्राइस आउटलुक के लिए आने वाले समय में सपोर्टिव हो सकते हैं। गोल्ड-सिल्वर रेश्यो गोल्ड और सिल्वर की कीमतों के बीच संबंध को दिखाता है। मतलब एक औंस सोने से कितनी चांदी खरीदी जा सकती है। रेश्यो ज्यादा होने का अर्थ है कि सोने की कीमत अधिक है, जबकि रेश्यो कम होने का मतलब है चांदी में मजबूती आ रही है। फिलहाल गोल्ड-सिल्वर रेश्यो 86 के करीब है। मार्च 2020 में यह 126.43 तक ऊपर चला गया था। जबकि वर्ष 2011 में इसने 31.70 के निचले स्तर को छू लिया था।

यदि गोल्ड-सिल्वर रेश्यो 80 से नीचे जाता है है तो सिल्वर की कीमतें सोने के मुकाबले ज्यादा तेजी से भाग सकती है।

आउटलुक

जानकारों के मुताबिक बेहतर इंडस्ट्रियल डिमांड (खासकर सोलर इंडस्ट्री से) और सीमित सप्लाई की वजह से कीमतों में आगे और तेजी आ सकती है बशर्ते यूएस फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती की शुरुआत जल्द करे।

जियो-पॉलिटिकल टेंशन, मजबूत इंडस्ट्रियल और इन्वेस्टमेंट बाइंग, उच्च महंगाई दर सिल्वर के लिए प्रमुख सपोर्टिव फैक्टर्स होंगे।

चिली की स्टेट एजेंसी Cochilco के मुताबिक इस साल सिल्वर की मांग में 9.4 फीसदी की गिरावट आ सकती है। इसकी बड़ी वजह फिजिकल इन्वेस्टमेंट डिमांड में कमी हो सकती है। लेकिन इसके बावजूद मार्केट डेफिसिट में रहेगा। क्योंकि सोलर और इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर से बेहतर मांग को देखते हुए इंडस्ट्रियल डिमांड में इस साल भी तेजी जारी रह सकती है।

सिल्वर इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार 2022 में सिल्वर की मांग बढ़कर 1.24 बिलियन औंस के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गई। जो 2021 की तुलना में 18 फीसदी ज्यादा थी। वहीं उत्पादन यानी सिल्वर की माइनिंग में महज 2 फीसदी की बढोतरी रही।

परिणामस्वरूप 2022 में सप्लाई में कमी यानी सप्लाई डेफिसिट बढ़कर 237.7 मिलियन औंस के उच्चतम स्तर तक चली गई। इंस्टीट्यूट का अनुमान है कि वर्ष 2023 में भी 142.1 मिलियन औंस का सप्लाई डेफिसिट रह सकता है।

First Published : December 13, 2023 | 6:18 PM IST