Gold Price Outlook 2025: इस साल नवंबर तक गोल्ड ने 28 फीसदी (यूएस डॉलर में) से ज्यादा का रिटर्न दिया है। सालाना प्रदर्शन के लिहाज से पिछले 10 साल से ज्यादा का यह सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है। यह जानकारी वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की ताजा रिपोर्ट से मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक एनुअल प्रदर्शन के मामले में गोल्ड ने इस साल ज्यादातर एसेट क्लास को पीछे छोड़ दिया है। केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और इन्वेस्टमेंट डिमांड ने इस साल सोने को जमकर सपोर्ट किया और सुस्त कंज्यूमर डिमांड को सोने की कीमतों पर हावी होने नहीं दिया।
इन्वेस्टमेंट डिमांड
पूरे कैलेंडर ईयर के दौरान एशियाई देशों में इन्वेस्टमेंट डिमांड बनी रही जबकि तीसरी तिमाही के दौरान यूएस डॉलर और बॉन्ड यील्ड में आई नरमी ने पश्चिमी निवेशकों को सोने में इन्वेस्टमेंट के लिए प्रेरित किया।
हालांकि गोल्ड में शानदार इन्वेस्टमेंट डिमांड निकलने का सिलसिला नवंबर में थम गया। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council) से मिले ताजा आंकड़ों के मुताबिक ग्लोबल लेवल पर गोल्ड ईटीएफ में लगातार 6 महीने के इनफ्लो के बाद नवंबर में आउटफ्लो देखने को मिला। सोने की कीमतों में पिछले महीने आई गिरावट की भी यह एक बड़ी वजह रही।आंकड़ों के अनुसार पिछले महीने ग्लोबल लेवल पर गोल्ड ईटीएफ में निवेश 2.1 बिलियन डॉलर यानी 28.6 टन कम हुआ। पिछले महीने सिर्फ नॉर्थ अमेरिका में इनफ्लो देखने को मिला। जबकि यूरोप, एशिया और अन्य क्षेत्रों में आउटफ्लो दर्ज किया गया। यूरोप में लगातार 11वें महीने नवंबर में गोल्ड ईटीएफ में निवेश में कमी आई।
| महीना | गोल्ड ईटीएफ इनफ्लो/आउटफ्लो |
| नवंबर 2024 | -2.1 बिलियन डॉलर (-28.6 टन) |
| अक्टूबर 2024 | +4.3 बिलियन डॉलर (+43.4 टन) |
| सितंबर 2024 | +1.4 बिलियन डॉलर (+18.4 टन) |
| अगस्त 2024 | +2.1 बिलियन डॉलर (+28.5 टन) |
| जुलाई 2024 | +3.6 बिलियन डॉलर (+47.7 टन) |
| जून 2024 | +1.4 बिलियन डॉलर (+17.5 टन) |
| मई 2024 | +0.5 बिलियन डॉलर (+8.2 टन) |
| अप्रैल 2024 | -2.1 बिलियन डॉलर (-32.9 टन) |
| मार्च 2024 | -0.8 बिलियन डॉलर (-13.6 टन) |
| फरवरी 2024 | -2.9 बिलियन डॉलर (-48.7 टन) |
| जनवरी 2024 | -2.8 बिलियन डॉलर (-50.9 टन) |
(Source: World Gold Council)
इस साल नवंबर तक देखें तो गोल्ड ईटीएफ में निवेश 2.6 बिलियन डॉलर बढ़ा है। मई 2024 से पहले भी लगातार 12 महीने ग्लोबल लेवल पर गोल्ड ईटीएफ में आउटफ्लो देखने को मिला था। चीन के केंद्रीय बैंक की तरफ से खरीदारी थमने के बाद गोल्ड को सबसे ज्यादा सपोर्ट इन्वेस्टमेंट यानी ईटीएफ डिमांड से मिला है। जानकार मानते हैं कि यदि आगे भी ईटीएफ डिमांड इसी तरह सुस्त बनी रहती है तो सोने पर दबाव देखने को मिल सकता है।
सेंट्रल बैंकों की खरीदारी
इस बीच चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (PBoC) ने पिछले शनिवार को बताया कि छह महीने के ब्रेक यानी अप्रैल के बाद पहली बार नवंबर में उसकी तरफ से 16,000 औंस (4.5 टन) सोने की खरीद की गई। इस तरह से मौजूदा कैलेंडर ईयर में नवंबर तक चीन के गोल्ड रिजर्व में तकरीबन 34 टन की वृद्धि हुई है। चीन के केंद्रीय बैंक ने 2023 के दौरान अपने गोल्ड रिजर्व में 225 टन की बढ़ोतरी की थी।
विशेषज्ञ मानते हैं कि सोने की कीमतों में आई कमी और ट्रंप की जीत के बाद बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य (geopolitical scenario) के मद्देनजर चीन के केंद्रीय बैंक ने फिर से सोने की खरीदारी शुरू कर दी है।
इससे पहले चीन के गोल्ड रिजर्व में इसी साल अप्रैल के दौरान लगातार 18 महीने इजाफा देखा गया था। अप्रैल के दौरान चीन का गोल्ड रिजर्व 2 टन बढ़कर 2,264 टन पर पहुंच गया था। हालांकि चीन के गोल्ड रिजर्व में यह 18 महीने की सबसे कम बढ़ोतरी थी।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़े बताते हैं कि अक्टूबर में दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने 60 टन सोना खरीदा जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा रही। भारत ने अक्टूबर महीने में अपने गोल्ड रिजर्व में 27 टन सोने की बढ़ोतरी की जिससे इस साल जनवरी से अक्टूबर तक उसकी कुल खरीद बढ़कर 77 टन हो गई। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले यह पांच गुना ज्यादा है। इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर तुर्की है जिसने साल के पहले 10 महीनों में अपने गोल्ड रिजर्व में 72 टन का इजाफा किया है। वहीं पोलैंड तीसरे पायदान पर है। जनवरी-अक्टूबर 2024 के दौरान पोलैंड ने अपने गोल्ड रिजर्व में 69 टन सोने का इजाफा किया। भारत, तुर्की और पोलैंड इन तीन देशों के सेंट्रल बैंकों ने इस वर्ष 60 फीसदी सोना अकेले खरीदा है।
आउटलुक
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की इस रिपोर्ट के अनुसार अगले साल यानी 2025 में गोल्ड का प्रदर्शन मोटे तौर पर ब्याज दरों को लेकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व के रुख, केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और जियो -पॉलिटिकल परिदृश्य पर निर्भर करेगा। जीडीपी, यील्ड और महंगाई जैसे प्रमुख फैक्टर पर नजर डालें तो 2025 सोने के लिए पॉजिटिव रह सकता है। हालांकि 2024 जैसी तेजी की संभावना नहीं है। 2025 में अगर तेजी आएगी तो वह दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों की ओर से खरीदारी पर निर्भर होगी। वहीं, केंद्रीय बैंकों की मॉनेटरी पॉलिसी का भी असर देखने को मिलेगा। इसके अलावा, सोने के बाजार में चीन भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
मार्केट में फिलहाल इस बात की संभावना प्रबल है कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) दिसंबर की अपनी बैठक में एक बार फिर ब्याज दरों में कम से कम 25 बेसिस प्वाइंट यानी 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है। यदि अमेरिका में ब्याज दरों में आगे भी कमी आती है तो सोने को और सपोर्ट मिलना लाजमी है। सोने पर कोई इंटरेस्ट/ यील्ड नहीं मिलता इसलिए ब्याज दरों के नीचे जाने से निवेश के तौर पर इस एसेट क्लास की पूछ-परख बढ़ जाती है।