Tips for Home Loan: हम सभी की अपना एक घर खरीदने की चाहत होती है और अपने इस सपने को पूरा करने के लिए ज्यादातर लोग बैंक से लोन लेते हैं। हालांकि, लोन भी कई तरह के होते हैं और इसे लेने से पहले कई चीजों को ध्यान में रखना पड़ता है।
घर के प्राइस और ब्याज दर का कर लें केल्कुलेशन
मान लेते हैं कि मकान की कीमत के 80 फीसदी के बराबर होम लोन लिया जा रहा है तो कर्ज की ईएमआई को कुल मासिक आय का 40 फीसदी तक ही होना चाहिए। ईएमआई के इससे ज्यादा होने पर घर खर्च का संतुलन बिगड़ सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक के दर बढ़ाने के कारण होम लोन की ब्याज दर भी बढ़ गई हैं। साथ ही मकान भी महंगे हो गए हैं क्योंकि महंगाई बढ़ने के कारण डेवलपर बढ़े खर्च का बोझ खरीदारों पर डाल रहे हैं।
शहर नहीं छोड़ना तो घर खरीदना बेहतर
अगर आपको एक ही शहर में लंबे अरसे तक रहना है तो मकान खरीदना सही रहता है। अगर आप युवा हैं और नौकरी बदलने के कारण आपको जल्द ही दूसरे शहर में जाना पड़ सकता है तो मकान खरीदना बेहतर रहता है।
मकान कहां खरीदना है और कितना बड़ा खरीदना है यह तय करने के बाद आपको मोटे तौर पर उसकी कीमत पता लग जाएगी। हमेशा ध्यान रखें कि मकान की कीमत के अलावा दूसरे खर्च भी हो सकते हैं मसलन रजिस्ट्रेशन का खर्च और स्टांप ड्यूटी, ब्रोकर का खर्च और मकान में मरम्मत का खर्च।
जेब दे रही इजाजत?
सबसे पहले खुद से यह सवाल पूछिए कि क्या आप लगातार 15-20 साल तक होम लोन की ईएमआई दे पाएंगे। इसका जवाब भी दो बातों पर निर्भर करता है। पहली बात, आपके पास स्थिर नौकरी है या नहीं। दूसरी बात, ईएमआई चुकाने के लिए कहीं आपको दोहरी कमाई पर तो निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
मान लीजिए कि संतान होने, पढ़ाई के लिए छुट्टी लेने, बुजुर्गों की देखभाल करने आदि के लिए एक को नौकरी छोड़नी पढ़ सकती है और आगे चलकर आपके घर 2 लोगों के बजाय एक ही व्यक्ति की कमाई बाकी रह सकती है। ऐसा हुआ तो ईएमआई चुकाना आपके लिए मुश्किल तो नहीं हो जाएगा।
यह भी देख लीजिए कि मकान खरीदने पर आप को बच्चों की शिक्षा या रिटायरमेंट जैसे दूसरे वित्तीय लक्ष्यों से तो समझौता नहीं करना पड़ेगा। इसलिए आपकी हर तरह की ईएमआई की कुल रकम आपकी शुद्ध कमाई के 40 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
कर्ज लेते या ईएमआई चुकाने की तैयारी करते समय दोहरी आय को कभी ध्यान में न रखें। इससे अचानक एक कमाई बंद होने पर भी आपके ऊपर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
मोटी बचत बहुत जरूरी
आजकल नौकरियों और व्यापार में बहुत अनिश्चितता रहती है इसलिए एमरजेंसी को ध्यान में रखते हुए ठीक-ठाक बचत कर लेनी चाहिए। नौकरी करने वाले लोगों के पास 6 महीने के घर खर्च और ईएमआई के बराबर रकम एमरजेंसी जैसी स्थितियों के लिए रहनी चाहिए। व्यापारियों और उद्यमियों के पास 12 महीने के लिए रकम होनी चाहिए।
इसके साथ ही अपनी सेहत के लिए भी रकम बचाकर रखिए। रकम की राशि आपके स्वास्थ्य बीमा की राशि, आश्रितों की कुल संख्या, उनकी उम्र, उनकी सेहत आदि से तय होनी चाहिए।