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Twitter के Ad Revenue से कमाई करने वाले Content Creators पर कैसे टैक्स लगाया जाएगा? जानें

इनफ्लूएंसर्स और कंटेंट क्रियेटर्स जो एक साल में 20 लाख रुपये से ज्यादा कमाते हैं, उन्हें जीएसटी के लिए रजिस्ट्रेशन करना होगा और टैक्स का भुगतान करना होगा।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- August 18, 2023 | 4:49 PM IST

ट्विटर ने हाल ही में अपने हाई प्रोफाइल यूजर्स को अपने ऐड-रेवेन्यू का एक हिस्सा देना शुरू किया है। इसका पेमेंट यूजर्स के इंगेजमेंट के आधार पर किया जाता है।

ईलॉन मस्क ने हाल ही में घोषणा की कि X प्रीमियम (ब्लू) के सब्सक्राइबर्स को कंपनी की आय का एक हिस्सा मिलेगा। माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म X, जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था, उन्होंने विज्ञापन आय का एक हिस्सा क्रिएटर्स के साथ शेयर करने का फैसला लिया। प्रोग्राम क्रियेटर्स को इंगेजिंग कंटेंट पोस्ट करने और फिर X के विज्ञापन रेवेन्यू देने की बात करता है।

एक पोस्ट में, X सपोर्ट अकाउंट ने कहा, “हमने पिछले 3 महीनों के भीतर विज्ञापनों के रेवेन्यू शेयरिंग के लिए पात्रता सीमा को 15M से घटाकर 5M इंप्रेशन कर दिया है। हमने न्यूनतम भुगतान सीमा भी $50 से घटाकर $10 कर दी है।”

इसलिए यूजर्स को अब मोनेटाइजेशन के लिए 5 मिलियन ऑर्गेनिक इंप्रेशन प्राप्त करने होंगे, न कि पहले की तरह जब पिछले तीन महीनों में 15 मिलियन इंप्रेशन लाने होते थे। और इस रेवेन्यू शेयरिंग प्रोग्राम का हिस्सा बनने के लिए कम से कम 500 फॉलोअर्स होने चाहिए।”

भारत में GST कब लगता है?

भारत में GST तब लगता है जब किसी व्यक्ति की आय एक साल में 20 लाख रुपये से ज्यादा होती है। अगर कोई व्यक्ति किराये, बैंक में पैसे रखने या अलग-अलग काम से एक साल में 20 लाख रुपये से ज्यादा कमाता है, तो उसे जीएसटी भरना पड़ता है।

ट्विटर से यह रेवेन्यू प्राप्त करने वाले भारतीयों को इस आय को अपनी टैक्सेबल आय में शामिल करना होगा और इस पर कर का भुगतान करना होगा। हालांकि, वेद जैन एंड एसोसिएट्स के पार्टनर अंकित जैन के अनुसार, यहां दो बातों पर विचार करना महत्वपूर्ण है।

हेड ऑफ इनकम – उन लोगों के लिए जो ट्विटर और सोशल मीडिया के लिए कंटेट बनाने पर समर्पित रूप से काम कर रहे हैं, जैसे कंटेंट क्रियेटर्स और इन्फ्लूएंसर्स, ट्वीट से होने वाली ऐसी आय को उनकी बिजनेस इनकम माना जाएगा।

अन्य लोगों के लिए (जो कंटेंट क्रियेटर्स या इन्फ्लूएंर्स नहीं हैं), जो ऐसा रेवेन्यू प्राप्त कर रहे हैं, आय ‘अन्य आय’ के रूप में टैक्सेबल होगी।

खर्च की स्वीकार्यता – दोनों में से किसी भी मामले में, कंटेंट बनाने पर किए गए खर्च के लिए कटौती खर्च के रूप में स्वीकार्य होगी। इसलिए, कोई व्यक्ति कमाए गए रेवेन्यू से कंटेंट को बनाने से संबंधित अपने खर्च जैसे प्रमोशन, सब्सक्रिप्शन, ट्रेवल आदि को कम कर सकता है।

इनफ्लूएंसर्स और कंटेंट क्रियेटर्स जो एक साल में 20 लाख रुपये से ज्यादा कमाते हैं, उन्हें जीएसटी के लिए रजिस्ट्रेशन करना होगा और टैक्स का भुगतान करना होगा।

टैक्स एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारत में कंटेंट क्रियेटर्स जो ट्विटर के ऐड रेवेन्यू शेयरिंग प्रोग्राम से पैसा कमाते हैं, उन्हें अपनी कमाई पर 18% जीएसटी का भुगतान करना होगा। इसमें ब्याज और किराये की आय जैसे अन्य स्रोतों से आय शामिल है, जिसका उपयोग जीएसटी पंजीकरण सीमा की गणना के लिए किया जाएगा।

20 लाख रुपये की जीएसटी सीमा की गणना करने के लिए, सभी आय, भले ही वह जीएसटी से मुक्त हो, को शामिल किया जाएगा। हालाँकि, इस छूट वाली आय पर जीएसटी नहीं लगाया जाएगा।

भारत में ऐसे व्यक्ति और संस्थाएं जो सेवाएं प्रदान करके 20 लाख रुपये से अधिक कमाते हैं, उन्हें जीएसटी के लिए पंजीकरण कराना होगा। कुछ विशेष श्रेणी के राज्यों, जैसे मिजोरम, मेघालय और मणिपुर के लिए सीमा कम है, जहां यह 10 लाख रुपये है।

सीएनके के पार्टनर पल्लव प्रद्युम्न नारंग के अनुसार, अगर ट्वीट के लिए पेमेंट को ट्विटर इंक को प्रदान की गई सर्विस के लिए पेमेंट माना जाता है, तो कंटेंट क्रियेटर्स द्वारा दी गई सर्विस को सेवाओं का निर्यात माना जाएगा। इसका मतलब यह होगा कि भले ही कंटेंट क्रिएटर का कुल कारोबार 20 लाख रुपये से कम हो, फिर भी उन्हें जीएसटी के लिए पंजीकरण कराना होगा। अधिकांश लोगों को इस नियम की जानकारी नहीं है और इसलिए उन्हें जीएसटी विभाग की कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

इसे समझाते हुए एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने एक उदाहरण देते हुए कहा, मान लीजिए कि एक व्यक्ति ब्याज आय से सालाना 20 लाख रुपये कमाता है। यह व्यक्ति जीएसटी का भुगतान नहीं करता है या उसे जीएसटी के लिए पंजीकरण करने की आवश्यकता नहीं है। हालाँकि, यदि कोई व्यक्ति ट्विटर जैसे प्लेटफ़ॉर्म से अतिरिक्त 1 लाख रुपये कमाता है, तो उन्हें जीएसटी के लिए पंजीकरण करना होगा और 1 लाख रुपये पर 18% जीएसटी का भुगतान करना होगा।

मोहन ने कहा, यदि कोई सोशल इनफ्लूएंसर अपनी ऑनलाइन प्रेजेंस के माध्यम से पैसा कमाता है, जिसमें ट्विटर से होने वाली आय भी शामिल है, तो इस सारी आय को जोड़ा जाएगा और 20 लाख रुपये की जीएसटी पंजीकरण सीमा में गिना जाएगा। यदि कुल आय 20 लाख रुपये से अधिक है, तो व्यक्ति को जीएसटी के लिए पंजीकरण करना होगा और अपनी सभी आय पर जीएसटी का भुगतान करना होगा।

मोहन ने कहा, जीएसटी पंजीकरण सीमा की गणना सभी आय को ध्यान में रखकर की जाती है, जिसमें सोशल इनफ्लूएंसिंग और ब्याज जैसे अन्य स्रोतों से आय शामिल है। भले ही ब्याज आय जीएसटी के अधीन नहीं है, फिर भी इसे जीएसटी पंजीकरण सीमा में गिना जाएगा।

किसी व्यक्ति द्वारा ट्विटर से कमाए रेवेन्यू पर बिजनेस इनकम या अन्य आय के रूप में कर लगाया जा सकता है।

क्लियर के संस्थापक और सीईओ अर्चित गुप्ता ने कहा, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X से प्राप्त आय प्राप्तकर्ता के हाथ में कर योग्य है। इस आय को बिजनेस इनकम या प्रोफेशनल इनकम के रूप में रिपोर्ट किया जा सकता है। अगर प्राप्तकर्ता इन्फ्लूएंसर है, तो वे अपने काम से संबंधित खर्चों में कटौती कर सकते हैं, जैसे यात्रा खर्च, इक्युपमेंट कॉस्ट और मार्केटिंग खर्च। X से होने वाली शुद्ध आय को उनकी कुल आय में जोड़ा जाएगा और लागू स्लैब के अनुसार कर लगाया जाएगा।

ट्विटर से होने वाली इनकम को बिजनेस इनकम माना जाएगा या अन्य इनकम, यह कई कारकों पर निर्भर करेगा। हालांकि, सबसे महत्वपूर्ण कारक यह है कि क्या ट्वीट करना यक्ति के लिए इनकम का एक प्रमुख स्रोत है और क्या इसे एक बिजनेस की तरह व्यवस्थित तरीके से किया जाता है। यदि ट्वीट का इस्तेमाल बिजनेस के रूप में नहीं है, तो आय पर अन्य आय के रूप में कर लगाया जाएगा।

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वकील शशांक शर्मा ने कहा, अगर कोई ट्विटर से रेवेन्यू कमाकर खुद को पेशेवर कहता है, तो भी उसे आयकर अधिनियम के तहत प्रोफेशनल नहीं माना जा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिनियम केवल कुछ प्रोफेशन को निर्दिष्ट करता है जो अनुमानित टैक्सेशन स्कीम के लिए योग्य हैं। इसलिए, ये व्यक्ति अनुमानित कराधान स्कीम (presumptive taxation scheme) का लाभ नहीं उठा पाएंगे और उन्हें अपने खातों की बुक मेंटेन रखनी होंगी और उनका ऑडिट करवाना होगा।

नारंग ने कहा, ट्विटर से पैसा कमाने वाले इन्फ्लूएंसर्स अपनी आय को बिजनेस इनकम के रूप में क्लेम कर सकते हैं और उस आय को अर्जित करने के लिए किए गए खर्चों में कटौती कर सकते हैं। वे अनुमानित कराधान प्रावधानों का उपयोग करने के लिए भी पात्र हो सकते हैं, जिसका अर्थ है कि वे अपने सभी खर्चों का विस्तृत रिकॉर्ड रखने के बजाय, अपनी आय के एक निश्चित प्रतिशत के आधार पर कर का भुगतान कर सकते हैं।

First Published : August 18, 2023 | 4:49 PM IST