साल 2024 के तीसरे महीने यानी मार्च में कई नियम बदल गए हैं। पेटीएम पेमेंट्स बैंक से लेकर एसबीआई तक, कई नए वित्तीय बदलाव 1 मार्च, 2024 से पूरे देश में प्रभावी होंगे। वित्तीय नियमों में बदलाव से लगभग सभी बैंकिंग ग्राहकों के टैक्स और अन्य जरूरी फाइनेंशियल फैसलों पर प्रभाव पड़ेगा।
इस महीने से लागू होने वाले वित्तीय बदलाव मुख्य रूप से पेटीएम पेमेंट्स बैंक, एसबीआई क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ताओं और फास्टैग उपयोगकर्ताओं से जुड़े हैं। यह आखिरी महीना भी है जब नागरिक कर बचत उद्देश्यों के लिए वित्तीय परिवर्तनों के आधार पर निवेश विकल्प चुन सकते हैं।
पेटीएम पर सख्ती के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सभी Paytm पेमेंट्स बैंक के ग्राहकों को निर्देश दिया है कि वे 15 मार्च से पहले पेटीएम पेमेंट बैंक में जमा अपनी राशि को किसी दूसरे बैंक में ट्रांसफर कर लें। अगर कोई ग्राहक 15 मार्च तक ऐसा नहीं करता है, तो उसका नुकसान होगा। क्योंकि 15 मार्च के बाद कोई भी ग्राहक अपने Paytm बैंक खाते में पैसे जमा नहीं कर पाएगा न ही क्रेडिट लेनदेन कर पाएगा।
भारतीय स्टेट बैंक ने भी इस महीने से कुछ बदलाव किए हैं। एसबीआई ने घोषणा की है कि 15 मार्च से बैंक अपने क्रेडिट कार्ड पर न्यूनतम देय राशि (MAD) के कैलकुलेशन के प्रोसेस में बदलाव कर रहा है। अपने ग्राहकों को एक ईमेल में, एसबीआई ने एमएडी गणना को कुल जीएसटी + ईएमआई राशि + 100 प्रतिशत शुल्क/शुल्क + 5 प्रतिशत + ओवरलिमिट के रूप में विभाजित किया है।
SBI अभी तक अपने क्रेडिट कार्ड का बिल बनाते समय मीनिमम अमाउंट के कैल्कुलेशन को जो तरीका अपनाता है, उसमें वह पूरा GST + सभी EMI + 100% फीस/चार्ज + 5% फाइनेंस चार्ज+ रिटेल खर्च व कैश अडवांस की रकम+ ओवरलिमिट अमाउंट (यदि कोई हो), को एकसाथ जोड़ता है। इन सबको जोड़ने पर आने वाली रकम क्रेडिट कार्ड बिल का वो MAD होती है।
ये नया तरीका 15 मार्च से लागू हो जाएगा, जिसकी जानकारी State Bank Of India ने अपने सभी क्रेडिट कार्ड कस्टमर्स को ईमेल के जरिये दे दी है.
हाईवे पर टोल पेमेंट करने के प्रोसेस को आसान बनाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने FASTag पर KYC विवरण अपडेट करने की समय सीमा मार्च 2024 के अंत तक बढ़ा दी है। यदि अपडेट नहीं किया गया है, तो FASTag खाता समय सीमा के बाद अमान्य माना जाएगा।
सभी करदाताओं को 15 मार्च तक अपने अग्रिम टैक्स की चौथी किस्त का भुगतान करना होगा। यदि अग्रिम टैक्स की समय सीमा निकल जाती है, तो करदाता धारा 234सी के तहत देय करों पर 1 प्रतिशत प्रति माह की दर से दंडात्मक ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।
नए GST नियमों के अनुसार, यदि कोई व्यवसाय ₹5 करोड़ से अधिक का वार्षिक कारोबार कर रहा है, तो वे अपने सभी बी2बी (B2B) लेनदेन के लिए ई-चालान उत्पन्न किए बिना ई-बिल (e-bill) उत्पन्न नहीं कर पाएंगे।