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सोना जब-जब नीचे आए तो निवेश 10 फीसदी तक ले जाएं

सोने को हमेशा ही निवेशकों के लिए निवेश का सुरक्षित ठिकाना माना जाता है मगर पिछले एक साल में इसमें काफी उतार-चढ़ाव देखा गया है।

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कार्तिक जेरोम   
Last Updated- August 27, 2023 | 11:17 PM IST

सोने को हमेशा ही निवेशकों के लिए निवेश का सुरक्षित ठिकाना माना जाता है मगर पिछले एक साल में इसमें काफी उतार-चढ़ाव देखा गया है। साल भर पहले सोने के भाव चढ़े हुए थे मगर पिछले तीन महीने से लगातार नीचे आ रहे हैं। फिर भी विशेषज्ञों का कहना है कि अगले कुछ महीने तक भाव कमजोर रहने पर भी सोने में निवेश जारी रखना चाहिए।

मार्च-अप्रैल 2023 में अमेरिका के कई क्षेत्रीय बैंक ठप हो गए, जिसे देखकर सोना चढ़ गया। बाजार को भी लगा कि वित्तीय अस्थिरता से निपटने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व साल में कई बार दर कटौती करेगा। क्वांटम म्युचुअल फंड में फंड प्रबंधक गजल जैन कहती हैं, ‘जब पता चल गया कि अमेरिकी बैंकिंग संकट बाहर नहीं फैलेगा तो बाजार समझ गया कि फेड दरें जल्दी नहीं घटाएगा। पहले कई बार दर कटौती की उम्मीद थी मगर अब लगने लगा कि साल में मुश्किल से एक ही बार दर घटाई जाएगी।’

फेड ने जून में दर नहीं बढ़ाई मगर जुलाई में उसने फेड फंड्स रेट 25 आधार अंक बढ़ा दी। जैन के मुताबिक इसकी वजह से साल में एक बार दर कटौती की उम्मीद भी खत्म हो गई है। जुलाई में फंड्स रेट बढ़ने के बाद बॉन्ड यील्ड और डॉलर सूचकांक बढ़े हैं। एमके वेल्थ मैनेजमेंट के शोध प्रमुख जोसेफ थॉमस के मुताबिक डॉलर चढ़ने से सोने के भाव गिरने लगे।

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अमेरिका में वास्तविक ब्याज दरें बढ़ी हुई हैं और मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में कमोडिटी रिसर्च के विश्लेषक मानव मोदी के कारण वास्तविक दर बढ़ती हैं तो सोना लुढ़कता है। इसी तरह मंदी का खटका हो तो निवेशक सोने की तरफ दौड़ते हैं। साल की शुरुआत में निवेशकों को अमेरिका में मंदी आने का डर था, जो अब टल गया है। इसीलिए सोने के तेवर ढीले हो गए हैं।

अमेरिका से आ रहे आर्थिक आंकड़े भी धीमी मगर बुनियादी रूप से मजबूत अर्थव्यवस्था का संकेत देते हैं। उपभोक्ता मुद्रास्फीति नरम होकर 3 फीसदी पर आई है मगर 2 फीसदी के लक्ष्य से अब भी बहुत ऊपर है। जैन को लगता है कि फेड के लिए मुद्रास्फीति कम करना मुश्किल होगा क्योंकि पहले मुद्रास्फीति अधिक रहने का असर भी कुछ महीनों में खत्म हो जाएगा। थॉमस कहते हैं, ‘यह साल खत्म होने से पहले फेड दर में 25 आधार अंक का इजाफा और कर सकता है।’

फेड जब दर इजाफे का सिलसिला खत्म करने का संकेत देगा तब सोना चढ़ सकता है। थॉमस के मुताबिक उस वक्त डॉलर गिरने लगेगा और सोना चढ़ने लगेगा। जैन के हिसाब से अमेरिका में मार्च-अप्रैल वाला क्षेत्रीय बैंक संकट दोबारा उभरा या अमेरिका में वृद्धि धीमी हुई तो फेड को दर घटानी पड़ेगी और सोना मजबूत हो जाएगा। मोदी कहते हैं कि अमेरिका और चीन के बीच भू-राजनीतिक तनाव बढ़ा या रूस-यूक्रेन युद्ध तेज हुआ तो भी सोने को फायदा होगा।

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चीन, रूस, कजाकस्तान और भारत के केंद्रीय बैंकों ने हाल में अपने स्वर्ण भंडार बढ़ाए हैं। मोदी के हिसाब से केंद्रीय बैंकों की लगातार खरीद से भी सोने को फायदा मिल सकता है।

जाहिर है कि इन हालात में सोने पर रिटर्न ऊपर-नीचे होता रहेगा। थॉमस की सलाह है, ‘चूंकि सोना हर साल एक जैसा रिटर्न नहीं देता है, इसलिए उसमें निवेश लंबे समय तक बनाए रखना चाहिए।’ सोने में कम से कम सात साल तक रकम फंसाए रखें। निवेश का 5-10 फीसदी हिस्सा सोने में लगाना जरूरी है।

जिनका सोने में कम निवेश है, वे फेड की दर बढ़ोतरी के कारण भाव में होने वाले उतार-चढ़ाव का इस्तेमाल कर सकते हैं। जैन की राय है कि एकमुश्त निवेश करने के बजाय सोने के भाव में हरेक गिरावट पर थोड़ी-थोड़ी रकम लगाते रहें। जिनका सोने में पहले से निवेश है, उन्हें भी निवेश बनाए रखना चाहिए और भाव कम रहने पर भी निकलने का बिल्कुल नहीं सोचना चाहिए।

First Published : August 27, 2023 | 11:17 PM IST