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क्या आपकी EMI बढ़ जाएगी? ICICI बैंक और बैंक ऑफ इंडिया ने ब्याज दरें बढ़ाईं

MCLR वह न्यूनतम ब्याज दर है जो कोई बैंक लोन के लिए वसूल सकता है। MCLR से पहले, भारत में बैंक 'बेस रेट' का उपयोग करते थे।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- November 03, 2023 | 6:03 PM IST

ICICI बैंक और बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी मार्जिनल कॉस्ट-आधारित लोन दरें (MCLR) बढ़ा दी हैं, और इस एडजस्टमेंट से MCLR से जुड़े लोन की EMI बढ़ने की संभावना है।

1 नवंबर, 2023 से शुरू होने वाली नई ब्याज दरें एक साल के MCLR को प्रभावित करेंगी, जिसका उपयोग कार लोन, पर्सनल लोन और बंधक जैसे कई उपभोक्ता लोनों की कीमतें निर्धारित करने के लिए किया जाता है।

आइए ICICI बैंक और बैंक ऑफ इंडिया के लेटेस्ट MCLR पर एक नजर डालें:

ICICI बैंक के लोन रेट:

ICICI बैंक ने सभी अवधियों के लिए अपने MCLR में 5 आधार अंक की बढ़ोतरी की है। ICICI बैंक की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, ओवरनाइट और एक महीने की MCLR दरें अब 8.50 फीसदी हैं। तीन महीने और छह महीने के लिए MCLR क्रमशः 8.55 प्रतिशत और 8.90 प्रतिशत निर्धारित हैं। एक साल की MCLR फिलहाल 9 फीसदी है।

बैंक ऑफ इंडिया के लोन रेट:

बैंक ऑफ इंडिया ने बुधवार को विशिष्ट अवधि के लिए अपनी लोन दरें 5 आधार अंक तक बढ़ा दीं। बैंक ऑफ इंडिया की वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक, ओवरनाइट MCLR दर 7.95 फीसदी है और एक महीने की MCLR दर अब 8.15 फीसदी है।

तीन महीने और छह महीने के लिए MCLR को क्रमशः 8.35 प्रतिशत और 8.55 प्रतिशत पर एडजस्ट किया गया है। एक साल की MCLR को रिवाइज कर 8.75 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि तीन साल की MCLR 8.95 प्रतिशत पर बनी हुई है।

फंड-आधारित लोन रेट  की मार्जिनल कॉस्ट क्या है?

MCLR वह न्यूनतम ब्याज दर है जो कोई बैंक लोन के लिए वसूल सकता है। MCLR से पहले, भारत में बैंक ‘बेस रेट’ का उपयोग करते थे।

अप्रैल 2016 में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति को लागू करना आसान बनाने और ब्याज दर निर्धारण प्रोसेस को ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए बेस रेट सिस्टम को MCLR प्रणाली से बदल दिया।

आसान शब्दों में कहें, तो RBI ने 2016 में ब्याज दरें तय करने के पुराने तरीके को बदलकर नया तरीका अपनाया। इससे अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करना आसान हो गया और प्रोसेस ज्यादा पारदर्शी हो गई।

MCLR सिस्टम के तहत, बैंको को विशिष्ट लोन के लिए न्यूनतम ब्याज दर वसूलनी होती है, जिससे लोन ब्याज दरों की निचली सीमा निर्धारित होती है।

MCLR को बेस रेट सिस्टम की समस्याओं को ठीक करने के लिए बनाया गया था, जब RBI ने दरों में कटौती की तो इससे लोन लेने वालों, विशेष रूप से होम लोन लेने वालों को कम ब्याज दरों का फायदा मिला। वहीं, रेपो दर में वृद्धि से आम तौर पर MCLR में वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्वरूप लोन रेट बढ़ जाते हैं।

MCLR दरें EMI को कैसे प्रभावित करती हैं?

जब MCLR बदलता है, तो उससे जुड़े लोन पर ब्याज दर भी उसी के हिसाब से बदलती है। नतीजतन, MCLR एडजस्टमेंट के आधार पर EMI राशि या तो बढ़ेगी या घटेगी।

आमतौर पर, MCLR कम होने से ब्याज दरों में कमी आती है, जिससे लोन लेने वालों के लिए EMI कम हो जाती है। इसके विपरीत, ऊंचे MCLR के परिणामस्वरूप ब्याज दरों में वृद्धि होती है और लोन लेने वालों के लिए EMI अधिक होती है।

पिछले पॉलिसी संबोधन में RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस बात पर जोर दिया कि रेपो दरों में अब तक 250 आधार अंकों की बढ़ोतरी की गई है, लेकिन यह वृद्धि पूरी तरह से बैंक लोन और डिपॉजिट रेट पर लागू नहीं हुई है, जिसका अर्थ है कि अभी भी लोन रेट पर संभावित बढ़ोतरी की गुंजाइश है।

RBI की मौद्रिक नीति समिति ने अक्टूबर में लगातार चौथी बैठक में रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा, फरवरी 2023 में 25 बीपीएस की आखिरी वृद्धि हुई थी।

First Published : November 3, 2023 | 6:03 PM IST