National Pension System : मौजूदा वित्त वर्ष (2024-25) के लिए टैक्स सेविंग विकल्पों में निवेश के लिए अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। यदि आप अपनी आय पर अधिकतम टैक्स बचाने की कोशिश कर रहे हैं तो आपको जल्द सही टैक्स सेविंग विकल्पों का चुनाव कर उसमें निवेश कर देना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर आपको इस वित्त वर्ष के लिए ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ सकता है। टैक्स सेविंग के लिहाज से नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) निवेश का एक बेहतरीन विकल्प है। इस सरकारी पेंशन स्कीम के साथ एक और बड़ी बात यह है कि इसमें दोनों यानी पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था (tax regime) के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है। इस स्कीम में इक्विटी में भी एक्सपोजर है। इसलिए रिटायरमेंट के बाद बेहतर रिटर्न की भी गुंजाइश बनती है।
अब देखते हैं कि आखिर एनपीएस (NPS) में निवेश पर दोनों टैक्स व्यवस्थाओं के तहत क्या-क्या टैक्स बेनिफिट हैं:-
पुरानी टैक्स व्यवस्था (old tax regime) के तहत टैक्स बेनिफिट
टियर-I अकाउंट में निवेश पर टैक्स बेनिफिट
–80CCD(1) के तहत टैक्स बेनिफिट
सैलरीड क्लास/नौकरीपेशा लोगों को 80CCD(1) के तहत टियर-I अकाउंट में अधिकतम 1.5 लाख रुपये के कंट्रीब्यूशन या उनकी सालाना सैलरी (बेसिक सैलरी प्लस डीए) के अधिकतम 10 फीसदी में से जो भी कम होता है, उस पर उन्हें टैक्स में छूट यानी डिडक्शन का फायदा मिलता है।
जबकि गैर नौकरीपेशा/सेल्फ एंप्लॉयड लोग टियर-I अकाउंट में अधिकतम 1.5 लाख रुपये के कंट्रीब्यूशन या अपने ग्रॉस टोटल इनकम के अधिकतम 20 फीसदी में से जो भी कम होगा, उस पर डिडक्शन का बेनिफिट ले सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर यदि आपकी सैलरी (बेसिक सैलरी प्लस डीए) 20 लाख है और 2 लाख रुपये आप एनपीएस में कंट्रीब्यूट करते हैं तो आपको 80CCD(1) के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये के सालाना निवेश पर ही छूट का फायदा मिलेगा न कि आपने जो धनराशि टियर-I अकाउंट में कंट्रीब्यूट किया है।
एक बात और 80C (लाइफ इंश्योरेंस, पीपीएफ, एनएससी, सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम, एसएसवाई, बैंक/ पोस्ट ऑफिस एफडी, एनपीएस, यूलिप, टर्म प्लान, ईएलएसएस, होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट (मूलधन) का रिपेमेंट, दो बच्चों की ट्यूशन फीस…..वगैरह) , 80CCC (एन्युटी/पेंशन प्लान) और 80CCD(1) के तहत कुल मिलाकर अधिकतम 1.5 लाख रुपये के सालाना निवेश पर ही टैक्स में छूट हासिल की जा सकती है।
–80CCD (1b) के तहत टैक्स बेनिफिट
80CCD (1b) के तहत एनपीएस टियर-I अकाउंट में किए गए 50 हजार रुपये के निवेश पर 80CCD (1) की लिमिट/सीमा के अतिरिक्त टैक्स में छूट है। कुल मिलाकर आप एक वित्त वर्ष में एनपीएस में अधिकतम 2 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स में छूट प्राप्त कर सकते हैं। अगर आपने 80C और 80CCC के तहत कुल मिलाकर सालाना 1.5 लाख रुपये तक की लिमिट तक निवेश कर लिया है तो भी आप 80CCD (1b) के तहत एनपीएस में 50 हजार रुपये के निवेश पर अलग से टैक्स में छूट प्राप्त कर सकते हैं।
–80CCD(2) के तहत टैक्स बेनिफिट
80CCD(2) के तहत एम्प्लॉयर की तरफ से एम्प्लॉई के लिए एनपीएस में किए गए योगदान (कंट्रीब्यूशन) पर भी टैक्स में छूट का प्रावधान है। लेकिन प्राइवेट कर्मचारियों को बेसिक सैलरी के 10 फीसदी योगदान और सरकारी कर्मचारियों को बेसिक सैलरी प्लस डीए के 14 फीसदी योगदान तक की राशि पर ही टैक्स में छूट मिलेगी। 80CCD(2) के तहत डिडक्शन का फायदा सिर्फ नौकरीपेशा लोगों को है।
टियर-II अकाउंट में निवेश पर टैक्स बेनिफिट
केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए टियर-II अकाउंट में भी अधिकतम 1.5 लाख रुपये की निवेश की राशि पर 80C के तहत टैक्स में छूट का प्रावधान किया गया है। बशर्ते निवेश का लॉक इन पीरियड कम से कम 3 साल हो। प्राइवेट कर्मचारियों को टियर-II अकाउंट पर इस तरह का कोई टैक्स बेनिफिट नहीं मिलता है।
नई टैक्स व्यवस्था (new tax regime) के तहत टैक्स बेनिफिट
नई टैक्स व्यवस्था में सिर्फ 80CCD(2) के तहत टैक्स बेनिफिट का प्रावधान है। मतलब एम्प्लॉयर द्वारा एम्प्लॉई के लिए एनपीएस में किए गए योगदान पर डिडक्शन का फायदा मिलता है। लेकिन यह फायदा एम्प्लॉई को एम्प्लॉयर की तरफ से उनकी बेसिक सैलरी के 14 फीसदी योगदान तक की राशि पर ही मिलेगी। सरकारी कर्मचारियों को भी इस सेक्शन के तहत एम्प्लॉयर की तरफ से बेसिक सैलरी प्लस डीए के 14 फीसदी योगदान पर पर ही डिडक्शन का फायदा मिलता है। जुलाई 2024 में पेश आम बजट में किए गए बदलाव से पहले यानी वित्त वर्ष 2023-24 तक 80CCD(2) के तहत न्यू टैक्स रिजीम का चुनाव करने वाले प्राइवेट एम्प्लॉई को एम्प्लॉयर की तरफ से उनकी बेसिक सैलरी के 10 फीसदी योगदान तक की राशि पर ही डिडक्शन का फायदा मिलता था। वित्त वर्ष 2024-25 से ये बदलाव प्रभावी हो गए हैं।
एनपीएस पर टैक्स ट्रीटमेंट
एनपीएस भी पीपीएफ (PPF), ईपीएफ (EPF) और एसएसवाई (SSY) की तरह ईईई (EEE) यानी exempt-exempt-exempt कैटेगरी में है। यानी जहां न तो जमा करने पर, न निकासी और न मिलने वाले ब्याज पर टैक्स है। मतलब अधिकतम 60 फीसदी विड्रॉल पर टैक्स में छूट है। एनपीएस में कुल मैच्योरिटी की 60 फीसदी रकम को ही निकालने की इजाजत है। बाकी 40 फीसदी मैच्योरिटी की रकम को एन्युटी/पेंशन प्लान में निवेश करना होता है।
एन्युटी (annuity) पर टैक्स
हालांकि एन्युटी में निवेश की रकम टैक्स-फ्री है लेकिन एन्युटी के तहत रिटर्न के तौर पर मिलने वाले नियमित आमदनी/ पेंशन पर टैक्स में कोई छूट नहीं है। मतलब रिटर्न के तौर पर मिलने वाली नियमित राशि निवेशक की सालाना आमदनी में जुड़ जाती है और टैक्सपेयर को टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ता है।