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देसी बाजार को रास आने लगा है एनिमेशन

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 4:20 PM IST

भारतीय एनिमेशन इंड़स्ट्री अब हॉलिवुड स्टूडियो और दूसरे अंतरराष्ट्रीय प्रॉडक्शन हाउसों से परे अवसर तलाशने में जुटी है।


दरअसल घरेलू बाजार में बढ़ते अवसरों को देखते हुए वह ऐसा कर रही है। बाल गणेश और हनुमान जैसी एनिमेशन फिल्मों की सफलता के मद्देनजर प्रोडक्शन हाउस और स्टूडियो ने ऐनिमेशन इंडस्ट्री में घरेलू बाजार की संभावनाओं को पहचानना शुरू कर दिया है। ऐनिमेटेड फिल्मों के अलावा ऐसे टेलिविजन सीरियल भी खूब टीआरपी बटोर रहे हैं। मसलन निकोलडियन चैनल पर दिखाए जाने वाला ‘जे बोले तो जादू’ और पोगो चैनले पर दिखाए जाने वाले ‘मैड’ आदि सीरियल शामिल हैं।


मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री पर फिक्की और पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय एनिमेशन इंडस्ट्री के एंटरनेटमेंट सेगमेंट का बाजार तकरीबन 1,300 करोड़ रुपये का है। अगले 4 साल में टीवी पर एनिमेशन संबंधी सामग्री में 49.5 फीसदी की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। फिक्की-पीडब्ल्यूसी की भविष्यवाणी के मुताबिक, एनिमेशन का टीवी से जुड़ा घरेलू बाजार 2008 में 150 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है।


2010 तक यह बढ़कर 300 करोड़ रुपये तक पहुंच जाने की उम्मीद है। रोज खुल रहे नए चैनलों के मद्देनजर बढ़ती प्रतिस्पर्धा और चैनलों पर मौलिक और अलग-अलग की तरह की सामग्री पेश करने की चुनौती को देखते हुए मीडिया हाउस मौलिक और देसी सामग्री की ओर रुख कर रहे हैं।


मिसाल के तौर पर हम टर्नर ग्रुप की चर्चा कर सकते हैं। इस ग्रुप के 2 चैनल कार्टून नेटवर्क और पोगो बच्चों के लिए हैं। इन चैनलों की सालाना बढ़ोतरी दर 25 फीसदी है और इस दर को कायम रखने के लिए चैनल ने देसी सामग्री को अपना अहम हिस्सा बनाने का फैसला किया है।


टर्नर इंटरनैशनल इंडिया की उपाध्यक्ष (विज्ञापन बिक्री और नेटवर्क्स, भारत और दक्षिण एशिया) मोनिका टाटा कहती हैं कि कंपनी ने 2001 में स्थानीय एनिमेटेड सामग्री को लेना शुरू किया था। अब तक हम ऐसी 20 प्रॉपर्टी का अधिग्रहण कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि जब पोगो शुरू किया गया था, उस वक्त ऐनिमेटेड सामग्री के मामले में शून्यता की स्थिति थी।


मोनिका का यह भी मानना है कि ऐसी सामग्री का अधिग्रहण कंपनी की रणनीति का महज 50 फीसदी हिस्सा है। कंपनी की मौलिक सामग्री का निर्माण खुद करने की भी योजना है।हाल में इस ग्रुप ने ‘छोटा भीम’ नामक सीरियल का अधिग्रहण किया है।  इसका निर्माण हैदराबाद स्थित गोल्ड स्टूडियोज द्वारा किया गया है। इसका प्रसारण कुछ महीनों बाद शुरू होने की उम्मीद है।


इस बाबत कंपनी की रणनीति के बारे में मोनिका ने बताया कि शुरू में चैनल ने वैसे कार्यक्रमों को डब करना शुरू किया, जो हमारे पास हिंदी में थे। इसके बाद कंपनी ने तमिल और तेलुगू भाषाओं के कार्यक्रम की डबिंग शुरू की। साथ ही वैसी सामग्री की तलाश भी शुरू की गई, जिसके जरिये चैनल का वैल्यू अडिशन मुमकिन हो सके।


देसी एनिमेशन सेक्टर में ग्रैफिटी नामक फर्म भी बुलंदियों को छू रही है। अगर यह कहा जाए कि यह एकमात्र ऐसी फर्म है, जो मौलिक सामग्री तैयार करने करने को लेकर संजीदा है, तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। ग्रैफिटी के सीओओ और निदेशक मुंजाल श्रॉफ कहते हैं कि जहां एनिमेशन से जुड़ी सामग्री के निर्माण की बात है, भारत का बाजार दुनिया के बाजारों की तरह ही है।


उन्होंने बताया कि कंपनी ने निकोलडियन के लिए ‘जे बोले..’ का निर्माण किया था और यह ‘कोई मिल गया’ फिल्म पर आधारित है। कंपनी की योजना इस फिल्म के इर्दगिर्द एक कहानी बुनने की थी और यह आइडिया काफी सफल रहा। इसने खूब वाहवाही बटोरी।


श्रॉफ चिल्ड्रन्स फिल्म सोसायटी ऑफ इंडिया के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और भारतीय लोककलाओं के आधार बच्चों के लिए फिल्में बनाने में जुटे हैं। हालांकि उनका मानना है कि भारतीय एनिमेशन निर्माताओं को पौराणिक कथाओं से परे जाकर भी सोचना चाहिए।


आने वाली ऐनिमेशन फिल्में


सुल्तान (रजनीकांत के जीवन पर आधारित)
रोड साइड रोमियो (यशराज फिल्म्स)
यूटीवी के 4 प्रोजेक्ट्स
कालू (निर्देशक- गोविंद निहलानी)

First Published : April 5, 2008 | 12:00 AM IST