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अब ई-रिटेल चेन बनी नई मुसीबत

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 06, 2022 | 1:00 AM IST

देश भर में जगह जगह खुल चुके रिटेल स्टोरों के जरिए डयूरेबल्स सामानों की बिक्री बढ़ रही है।


इस क्षेत्र में रिलायंस डिजिटल, क्रोमा, नेक्स्ट और ई-जोन जैसी रिटेल शृंखलाओं की बड़े विस्तार की योजनाओं से डीलर्स काफी चिंतित हैं।दिल्ली के दास इलेक्ट्रॉनिक्स के मालिक राहुल दास ने कहा, ‘हमें पहले ही काफी नुकसान हो चुका है। लोग अब मॉल्स में जाकर खरीदारी करना बेहतर समझते हैं।


इसके कारण हमारे कुछ नियमित ग्राहक भी छूट गये हैं। अगर यही स्थिति बनी रही तो आने वाले समय में हमारे लिए इस क्षेत्र में अपने अस्तित्व को बचाये रखना काफी मुश्किल हो जाएगा।’


अभी तक भारत में सालाना 25,000 करोड़ रुपये का कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार पूरी तरह इन डीलर्स के हाथों में ही था। लेकिन संगठित रिटेल चेन के इस क्षेत्र में आने के बाद सारी स्थिति बदल गई है। रिटेल चेन पहले ही इस बाजार का 8 फीसदी यानी लगभग 2,000 करोड़ रुपये के कारोबार पर अपना कब्जा कर चुकी है। एक तरफ जहां बाजार सिर्फ 7 फीसदी की सालाना दर से बढ़ रहा है, वहीं ज्यादातर रिटेल शृंखलाएं 40 फीसदी की दर से विकास कर रही हैं।


रिलायंस डिजिटल के मुख्य कार्यकारी अजय बैजल ने कहा, ‘उपभोक्ता खरीदरी करते समय वनस्टॉप शॉप चाहते हैं, जहां उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान से लेकर आईटी उत्पाद भी मिलें। हम उन्हें प्रशिक्षित स्टाफ और बेहतर सेवा के साथ ही कम दाम में बेहतर डील मुहैया कराते हैं।’


रिटेल शृंखलाओं द्वारा उत्पादों पर दी जा रही छूट से छोटे डीलर काफी परेशान हैं। दिल्ली के एक डीलर ने कहा, ‘जिस ब्रांडेड हाई ऐंड कैमरे को हम अपनी दुकानों पर 22,000 रुपये का बेच रहे हैं, वही कैमरा इन रिटेल स्टोरों पर लगभग 16,000 से 18,000 रुपये में बेच रहे हैं। जाहिर है कि ग्राहक कम कीमत पर वहीं से सामान खरीदेगा।’


टिकाऊ उपभोक्ता सामान बनाने वाली कंपनियां कुछ और ही कहानी सुनाती हैं। वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के निदेशक (बिक्री और विपणन) सुनील मेहता ने कहा, ‘छोटे शहरों में अभी भी डीलर्स की ही पकड़ है। रिटेल स्टोरों के जरिये बड़े शहरों में ही पकड़ बनाई जा सकती है। लेकिन हमें छोटे शहरों पर भी ध्यान देना होता है। हमारे लिए तो दोनों ही जरूरी हैं इसीलिए हम दोनों को बराबर मार्जिन ही देते है।’


एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स के उपाध्यक्ष (विपणन) वी रामचंद्रन ने कहा, ‘दोनों के ही कुछ नकारात्मक और कुछ सकारात्मक पहलू हैं। एलजी किसी एक को ज्यादा महत्व नहीं देता है। मेरा ये मानना है कि इस क्षेत्र में दोनों के लिए बराबर अवसर मौजूद हैं क्योंकि आने वाले 5 साल में टिकाऊ उपभोक्ता क्षेत्र का जबरदस्त विकास होने वाला है।’

First Published : April 30, 2008 | 11:28 PM IST