उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार ने साल 2010 तक 30,000 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्ताव रखा है।
राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार को उम्मीद है कि वे 10,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव पेश करेगी। इसके अलावा, मार्च 2007 से अभी तक 2,441 करोड़ रुपये के प्रस्ताव प्राप्त किए गए हैं। साथ ही 1710 करोड़ रुपये के प्रस्ताव सात निजी औद्योगिक एस्टेट द्वारा भी प्राप्त हुए हैं।
इस रिपोर्ट का महत्व इस बात से भी है कि मार्च 2010 के अंत तक केंद्रीय औद्योगिक पैकेज खत्म हो रहा है। औद्योगिक पैकेज के अंतर्गत मुख्य रूप से आयकर में छूट और नई इकाइयों की स्थापना और विस्तार करने पर उत्पाद शुल्क में छूट शामिल है। रिपोर्ट में नई बिजली नीति को भी पेश किया गया है। नई बिजली नीति के तहत पहाड़ी राज्य के स्थानीय लोगों को 25 मेगावाट तक पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण को उत्तराखंड सरकार तरजीह देगी।
इस परियोजना में स्थानीय लोगों के अलावा ग्राम पंचायत और सहकारी संघों को भी प्राथमिकता दी जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि एशियाई विकास बैंक (एडीबी) द्वारा मिली 41.6 मिलियन डॉलर की सहायता राशि से चार नई लघु पनबिजली परियोजनाएं स्थापित करने की योजना भी है। इसके अलावा राज्य सरकार ने नई पर्वतीय औद्योगिक नीति की घोषणा की है जो पहाड़ी इलाकों में स्थापित औद्योगिक इकाइयों को बिजली के किराए और स्टॉप डयूटी से छूट की पेशकश करती है।
पर्यटन क्षेत्र की बात करें तो 580.30 करोड़ रुपये निवेश वाली देहरादून मसूरी रोपवे परियोजना की शुरूआत हो चुकी है। इस परियोजना के जरिए दोनों स्थानों के बीच की दूरी काफी घट जाएगी। इसी तरह का रोपवे नैनीताल और रुद्रप्रयाग में तुगनाथ मंदिर के बीच भी बनाया जा रहा है। इसबीच खंडूड़ी ने संवाददाताओं को बताया कि उनकी सरकार पर्वतीय राज्य में सड़कों के निर्माण को प्राथमिकता दे रही है। इसके लिए 800 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है।