अप्रैल में रामनवमी समारोह के दौरान कुछ राज्यों में सांप्रदायिक झड़पों की खबरें आईं। पुलिस ने भी इन इलाकों में पथराव और आगजनी की घटनाओं की जानकारी दी है। दिल्ली के जहांगीरपुरी क्षेत्र में 16 अप्रैल को सांप्रदायिक झड़पों की वजह से शहर फिर से हाईअलर्ट पर रहा। दो साल पहले भी देश की राजधानी के पूर्वोत्तर हिस्से में दंगे हुए थे।
हालांकि आगजनी की घटनाओं से जुड़े नवीनतम आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं लेकिन राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट से पता चलता है कि 2020 में देश में आगजनी की घटनाओं में गिरावट आई थी। बिज़नेस स्टैंडर्ड के विश्लेषण से पता चलता है कि कुछ राज्यों ने पिछले वर्ष की तुलना में 2020 में आगजनी की घटनाओं में वृद्धि की सूचना दी थी। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय दंड संहिता की धारा 435, 436 और 438 के तहत आगजनी के मामले दर्ज किए गए हैं।
35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 14 ने 2019 की तुलना में 2020 में आगजनी के मामलों में वृद्धि दर्ज की थी। इनमें से पंजाब और पुदुच्चेरी ने पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक मामले दर्ज किए थे जबकि तमिलनाडु, मिजोरम और असम में चार वर्षों में सबसे अधिक आगजनी के मामले दर्ज किए गए थे।
वर्ष 2020 में देश में आगजनी के कुल मामलों में से एक-तिहाई में तीन राज्य जिम्मेदार ठहराए गए। इनमें से अकेले महाराष्ट्र की 15 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। दंगे की घटनाओं के मामले में स्थिति बहुत गंभीर थी। एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 में देश में दंगों की घटनाओं में वृद्धि हुई और जातिगत तथा सांप्रदायिक प्रकृति की घटनाएं भी बढ़ी थीं। विश्लेषण से पता चलता है कि 2020 में भारत में सांप्रदायिक दंगों के 857 मामले दर्ज किए गए जबकि 2019 में ऐसे 440 मामले, 2018 में 512 और 2017 में 723 मामले सामने आए थे। 2016 मेंए देश ने सांप्रदायिक दंगों की 869 घटनाएं दर्ज कीं। सांप्रदायिक दंगों के लगभग 61 प्रतिशत मामले 2020 में राष्ट्रीय राजधानी से थे। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर और आंध्र प्रदेश ने 2019 की तुलना में सांप्रदायिक दंगों में वृद्धि दर्ज की थी। वर्ग विशेष दंगों के लिए दायर मामलों में बिहार में 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और झारखंड में 12 गुना की बढ़ोतरी देखी गई थी। तमिलनाडु में सांप्रदायिक दंगों की घटनाओं में चार गुना वृद्धि दर्ज की गई थी।
हालांकि राजनीतिक दंगों में कमी आई लेकिन 9 राज्यों ने राजनीतिक दंगों की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की। केरल में ऐसे 60 प्रतिशत मामले सामने आए हैं।
2020 में जातीय दंगों के मामलों में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। उत्तर प्रदेश में दंगे की वजह से जातीय संघर्ष की घटनाओं की संख्या 37 से बढ़कर 116 हो गई है। देश के ऐसे कुल मामले में बिहार की हिस्सेदारी 28 प्रतिशत है। महाराष्ट्र और बिहार एकमात्र अन्य राज्य थे जहां उत्तर प्रदेश की तुलना में जातीय संघर्ष की घटनाएं दंगों में बदल दी जाती हैं। 2021 के लिए एनसीआरबी के आंकड़े इस साल सितंबर में जारी होने की उम्मीद है।