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51 फीसदी महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां : GOQii survey

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बीएस संवाददाता
Last Updated- March 31, 2023 | 12:03 AM IST

महिलाओं के स्वास्थ्य पर एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की 51 फीसदी महिलाएं स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रही हैं। देश की अधिसंख्य महिलाएं माहवारी की अनियमितता, पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस), हाइपोथायरायडिज्म, यूटीआई और फाइब्रॉएड, मधुमेह और बांझपन जैसी समस्याओं से ग्रस्त हैं।

हेल्थ टेक कंपनी जीओक्यूआईआई द्वारा भारत की 3,000 महिलाओं पर एक साल तक किए गए अध्ययन के अनुसार एंडोमेट्रियोसिस एक नई बीमारी बनकर उभरी है। प्रजनन के उम्र वाली हर दस में से एक महिला को यह बीमारी अपने चपेट में ले रही है। सर्वे में पता चला है कि 57.1 फीसदी महिलाओं को एक से पांच साल तक यह बीमारी हुई है।

लीव वेल ऐंड स्टे हेल्दीःलाइफस्टाइल इज पावरफुल मेडिसन नाम की शोध रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि एंडोमेट्रियोसिस का कारण आनुवंशिक, हार्मोनल हो सकता है। हालांकि इसका सटीक कारण अभी पता नहीं चल पाया है।

सर्वे में बताया गया कि 16.5 फीसदी महिलाओं को मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं हैं और 1.2 फीसदी महिलाएं बांझपन से जूझ रही हैं। 21.7 फीसदी ने यह माना है कि बढ़ती उम्र के कारण उन्हें बांझपन की समस्या हो रही है।

महिला के गर्भवती होने और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के लिए उसकी उम्र एक महत्त्वपूर्ण कारक माना जाता है। पिछले एक दशक से देश की महिलाओं के गर्भवती होने की उम्र तेजी से बढ़ रही है। इसका कारण कामकाजी महिलाओं की बढ़ती संख्या, शिक्षा के स्तर में इजाफा, गर्भनिरोधक उपायों का बढ़ना और समाज में आए बदलाव को माना जा रहा है।

करीब 41.7 फीसदी महिलाएं पांच वर्ष से अधिक समय से पीसीओएस से ग्रस्त हैं और पिछले एक साल में इतनी ही महिलाएं इससे ठीक हुई हैं। साथ ही बताया गया है कि सर्वे में शामिल 63.3 फीसदी महिलाओं को पीसीओएस के कारण ही अनियमित माहवारी होती है और 41.7 फीसदी महिलाओं को इसकी जानकारी भी नहीं थी कि जीवनशैली में बदलाव से इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है।

रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है कि जीवनशैली में बदलाव से महिलाएं विभिन्न बीमारियों से निजात पा सकती हैं। जीओक्यूआईआई के मुख्य कार्याधिकारी विशाल गोंदल ने रिपोर्ट में कहा है कि दिनचर्या और कार्यक्षेत्र, परिवार और घर के बीच सामंजस्य बिठाने को लेकर महिलाएं अक्सर अपने स्वास्थ्य की अनदेखी करती हैं और रोजमर्रा की जिंदगी में अपने जीवनशैली में बदलाव लाने पर भी जोर देती हैं।

First Published : March 30, 2023 | 11:44 PM IST