बीएस बातचीत
देश का पश्चिमी राज्य राजस्थान सीधे टीका विनिर्माताओं से कोविड-19 के टीके खरीदने (अगर संभव हो) की योजना बना रहा है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जिन नागरिकों को अपनी दूसरी खुराक लेनी है, वह उससे चूकें नहीं। राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने सोहिनी दास के साथ बातचीत में कहा कि राज्य ने कोविड-19 की तीसरी लहर के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की कमी न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए काम करना शुरू कर दिया है। संपादित अंश :
ग्रामीण टीकाकरण में सुधार के लिए आपकी क्या योजना है?
हमारे पास 18,000 से अधिक टीकाकरण स्थल हैं और इनमें से ज्यादातर गांवों में हैं। उपकेंद्र दूरदराज के इलाकों में हैं, जहां आबादी करीब 3,000 या इससे भी ज्यादा है। ग्रामीण क्षेत्रों में 14,000 उपकेंद्र हैं, जहां सहायक नर्स और दाइयां (एएनएम) मौजूद हैं। हमारे 3,000 से अधिक पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों) में से ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। अब उपकेंद्रों तथा पीएचसी और सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों) में टीकाकरण हो रहा है। सभी पीएचसी कोल्ड चेन प्वाइंट हैं और वहां से वे मोबाइल वैन में दूरदराज के इलाकों में जाते हैं। पंचायत प्रतिनिधि और विधायक ग्रामीण क्षेत्रों में जा रहे हैं, जहां हमें टीके के प्रति कुछ झिझक नजर आ रही है। हम इन क्षेत्रों में टीके की झिझक दूर करने के लिए स्थानीय प्रभावशाली लोगों और धार्मिक नेताओं वगैरह को शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं। बांसवाड़ा, डूंगरपुर आदि आदिवासी इलाकों में यह झिझक अधिक है।
क्या आपके पास फाइजर, मॉडर्ना टीकों के लिए कोल्ड चेन अवसंरचना है?
अगर फाइजर या मॉडर्ना के टीके भारत में आते हैं, तो हमें अवशून्य तापमान वाली कोल्ड चेन विकसित करनी पड़ेगी। अगर केंद्र हमें यह कहता है कि वे हमें इन टीकों की आपूर्ति करेंगे, तो हम ऐसे भंडारण केंद्र बनाएंगे। कोविशील्ड और कोवैक्सीन, जो अभी हमें मिलते हैं, के लिए ऐसे भंडारण केंद्रों की आवश्यकता होती है, जो दो से आठ डिग्री तापमान बनाए रख सकते हों, जो हमारे पास पहले से ही हैं। अब तक हमें फाइजर या मॉडर्ना टीकों की आपूर्ति के संबंध में केंद्र से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है।
क्या टीका आपूर्ति सुव्यवस्थित है?
हमारे पास पूरे राजस्थान में प्रतिदिन 15 लाख लोगों को टीका लगाने की क्षमता है। उसके लिए हम बुनियादी ढांचा, प्रशिक्षित श्रमशक्ति आदि तैयार कर चुके हैं। इस क्षमता के मुकाबले अब पिछले हफ्ते हमें करीब 2,90,000 टीके मिले हैं और वह भी किस्तों में। जुलाई के पूरे महीने के लिए हमें केंद्र द्वारा कोविड-19 के टीकों की 48 लाख खुराक आवंटित की गई हैं। निजी क्षेत्र को 16 लाख खुराक मिलेंगी। इसलिए राजस्थान को मिलने वाली खुराक की कुल संख्या तकरीबन 65 लाख होगी। जुलाई में राज्य में करीब 75 लाख लोग अपनी दूसरी खुराक लेने वाले हैं। अगर पूरे महीने के लिए हमें 65 लाख खुराक मिलती है, तो ऐसे बहुत से लोग, जिन्हें अपना दूसरा इंजेक्शन लेना है, उन्हें अपने टीके नहीं मिलेंगे, पहला टीका लेने वालों को तो छोड़ ही दीजिए। मैंने इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन जी को पत्र लिखा है और जुलाई में 1.5 करोड़ खुराक की मांग की है। तब हम 75 लाख दूसरी खुराक दे सकते हैं और कुछ लोगों को पहली खुराक भी। आपूर्ति अब भी सुव्यवस्थित नहीं है। केंद्र के पास एक फॉर्मूला है जिसके अनुसार वह टीके आवंटित करता है, जिसमें राज्य की आबादी, मामलों की संख्या, टीकों की बरबादी आदि को ध्यान में रखा जाता है। हमारी बरबादी शून्य है। हमारी करीब आठ करोड़ खुराक वाली आबादी है। इसमें से ढाई से तीन करोड़ लोग ऐसे हैं, जो 18 साल से कम उम्र के हैं। इसलिए हमें कम से कम 5.5 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने की आवश्यकता है और कोविड-19 के टीके की 11 करोड़ खुराक की जरूरत है। इसमें यह माना जा रहा है कि कोई बरबादी नहीं होगी। अगर हम इसमें बरबादी को जोड़ दें, तो हमें 12 करोड़ खुराकों की आवश्यकता होगी। अब तक हमें 2.47 करोड़ खुराक मिल चुकी हैं। हम 2.06 करोड़ लोगों को पहली खुराक दे चुके हैं और 40 लाख लोग दूसरी खुराक ले चुके हैं।
क्या आपको लगता है कि राजस्थान और भारत मोटे तौर पर दिसंबर तक वयस्कों का टीकाकरण पूरा कर सकते हैं?
अगर खुराक अस्थिर रूप में और कम मात्रा में आती हैं, तो मुझे नहीं लगता कि हम दिसंबर तक वयस्क टीकाकरण पूरा कर सकते हैं। केंद्र को ऐसी योजना तैयार करने की आवश्यकता है, जिसके द्वारा वे यह अनुमान लगा सकें कि अगर पहली खुराक हो चुकी है और दूसरी खुराक होनी है, तो उन्हें संबंधित राज्यों को टीकों की सही मात्रा भेजनी चाहिए। हमारे मुख्यमंत्री नियमित रूप से स्थिति का जायजा ले रहे हैं। पिछले सप्ताह हमने इस बात पर चर्चा की थी कि क्या हमें 10 से 15 करोड़ रुपये का भुगतान करना चाहिए और दूसरी खुराक लगवाने वाले निवासियों के लिए खुराक की कमी वाली मात्रा की खरीद करनी चाहिए। हम सीधे खरीद करना चाहेंगे। इससे केंद्र की प्रतिष्ठा को ठेस लगेगी। अगर हम सीधे टीका विनिर्माताओं से खरीदने का प्रयास करें, तो भी हम नहीं जानते कि यह उपलब्ध होगा या नहीं। यह स्पष्ट नहीं है कि वे मासिक आधार पर कितना बनाते हैं। केंद्र सरकार को इसे सार्वजनिक और पारदर्शी बनाना चाहिए – सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक द्वारा कोविड-19 के टीकों का दैनिक उत्पादन क्या है, उनके अंतरराष्ट्रीय वादे क्या हैं, भारत के लिए कितनी मात्रा उपलब्ध होगी और इसमें से निजी क्षेत्र के लिए क्या उपलब्ध होगा तथा सार्वजनिक खरीद के लिए कितना उपलब्ध है। एक बार जब यह आंकड़े पारदर्शी हो जाते हंै, तो कोई अनुमान लगा सकता है कि देश अपनी आबादी का पूरी तरह टीकाकरण कब कर सकता है और उसके अनुसार कार्य योजना बना सकता है।
कोविड मापदंडों के लिहाज से राजस्थान देशव्यापी स्तर से किस तरह तुलना करता है?
देशव्यापी 96.8 प्रतिशत रिकवरी दर की तुलना में हमारी रिकवरी दर 98.9 प्रतिशत है। हमारी मृत्यु दर 0.93 प्रतिशत और मामले दोगुने होने की दर 4,847 दिन है। इसकी तुलना में देशव्यापी स्तर पर मामले दोगुने होने की दर 434 दिन है।