न्यायिक हिरासत में अभय, मगर पोस्को संयंत्र पर भय

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 11:47 PM IST

उड़ीसा की एक स्थानीय अदालत ने दक्षिण कोरिया की कंपनी पोस्को की इस्पात परियोजना के विरोध में आंदोलन की अगुवाई करने वाले अभय साहू को सोमवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।


न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पोस्को प्रतिरोध संघर्ष समिति (पीपीएसएस) के अध्यक्ष को दो सप्ताह की न्यायिक रिमांड पर भेजने का आदेश दिया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि साहू को पहले यहां की एक जेल ले जाया गया और बाद में कटक के नजदीक चौद्वार जेल में भेज  दिया गया।

भाकपा नेता को 80 से अधिक लंबित आपराधिक मामलों के सिलसिले में रविवार को भुतमुंडई से गिरफ्तार किया गया था। उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने अगस्त में पोस्को को 600 अरब रुपये की लागत से संयंत्र लगाने को की मंजूरी प्रदान कर दी थी। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें एक सोची समझी रणनीति के तहत उनकी जमीन से अलग किया जा रहा है।

ऐसा होने से 20,000 लोगों के अपनी जमीन छोड़ने की नौबत आ पड़ी है और रोजी- रोटी की समस्या आ खड़ी हुई है।  सरकार और पोस्को का कहना है कि संयंत्र के लगने से देश के इस सबसे पिछड़े इलाके में रोजगार सृजन के नए अवसर उत्पन्न होंगे। ऐसा होने से लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा और राज्य का विकास होगा।

इस मामले में पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अभय साहू को दो वर्ष पहले पोस्को के एक समर्थक पर हुए  हमले से संबंधित होने पर हिरासत में लिया गया है। हालांकि पुलिस अधिकारियों ने बताया कि तनाव को देखते हुए हमने पर्याप्त संख्या में पुलिस बल को तैनात कर दिया है। पोस्को द्वारा 2005 में इस क्षेत्र में आने की घोषणा के बाद से इस तरह के कई संघर्ष हो चुके है।

पोस्को के एक अधिकारी ने सोमवार को कहा कि हम अभी भी खदान में खुदाई के सरकारी आदेश का इंतजार कर रहे हैं और सरकार द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद ही कंपनी यहां पर अपना परिचालन शुरू करेगी। पीपीएसएस के  एक पदाधिकारी प्रंशात पेईकरे का कहना है कि पोस्को के खिलाफ होने वाले प्रदर्शन के खिलाफ हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा।

उन्होंने कहा कि अगर सरकार अभय साहू को तुरंत रिहा नहीं करती है तो हमारे आंदोलन के परिणामों के लिए सरकार ही जिम्मेदार होगी। खास बात यह है कि अभी हाल ही में सिंगुर में किसान आंदोलन के चलते टाटा को पश्चिम बंगाल छोड़कर गुजरात जाना पड़ा है।

ठीक उसी तरह उड़ीसा में भी वेदांत को पहाड़ी इलाकों में बाक्साइट की खुदाई के लिए वहां के आदिवासियों का तीव्र विरोध सहना पड़ा है। आदिवासियों के घोर विरोध को देखते  हुए ही वेदांत को अपनी इस योजना को छोड़ना पड़ा है।

First Published : October 13, 2008 | 10:24 PM IST