भारी बारिश से पानी-पानी महाराष्ट्र, जान बचाने में जुटा प्रशासन

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 2:26 AM IST

महाराष्ट्र के ज्यादातर इलाकों में लगातार हो रही बारिश कई इलाकों में भीषण बाढ़ का रूप ले चुकी है। दो दिनों में हुई अत्यधिक भारी बारिश से राज्य के रत्नागिरि और रायगड जिलों में बाढ़ आ गई है। प्रशासन वहां फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के काम में जुटा है। रायगड और सातारा जिलों में भूस्खलन की वजह से 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। केंद्र सरकार ने राज्य की हरसंभव मदद करने का वादा किया है।  
भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से सबसे ज्यादा नुकसान रायगड जिले में हुई है। रायगड की महाड तहसील के तलाई गांव में भूस्खलन से 34 लोगों की जान गई है। जबकि आसपास हुए अन्य भूस्खलन में चार लोगों की मौत हुई है। सातारा जिले के अबेघर गांव में भी भूस्खलन की वजह से 12 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। गांव के 10 से 12 घरों पर चट्टान गिरी है। मलबे में लोगों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है। रायगड की जिलाधिकारी निधि चौधरी ने बताया कि महाड में बचाव दल और हेलीकॉप्टरों की मदद से बचाव अभियान शुरू किया गया है, लेकिन बाढ़ में फंसे लोग घरों की छतों पर अथवा ऊंचाई पर जाते हैं तो हेलीकॉप्टर से बचाव दल को वे दिखाई पड़ेंगे। यह अपील प्रशासन की ओर से फंसे लोगों से की गई है। लोगों तक खाने के पैकेट पहुंचाने के लिए प्रशासन ने समाजसेवी संस्थाओं से भी मदद की अपील की है।
पुलिस के मुताबिक महाड तहसील के तलाई गांव में हुए इस हादसे में मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। भूस्खलन वाली जगह से अब तक 30 शव बरामद किए गए हैं। मलबे के नीचे और लोगों के फंसे होने की आशंका है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम राहत एवं बचाव कार्यों में जुटी है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने निर्देश दिया कि तत्काल बचाव अभियान और सड़कों की बाधाओं को दूर करने का काम शुरू किया जाए। उन्होंने कहा कि पानी कम हो गया है लेकिन महाड तहसील के पहाड़ी इलाकों में कुछ स्थानों पर पुल और सड़कें बह गई हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि महाड की परिस्थिति में इसका पूरा ख्याल रखा जाए कि कोविड के साथ-साथ अन्य मरीजों को कोई असुविधा न हो। बाटू लोनेरे में एक मेडिकल टीम तैयार है और उनके पास ऐंबुलेंस तथा अन्य सामग्री है।
उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने राज्य में बाढ़ से बिगड़ते हालात पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ चर्चा की। रक्षा मंत्री ने राहत एवं बचाव अभियानों में रक्षा बलों की मदद का आश्वासन दिया है। सेना व नौसेना की टीमें राज्य में पहले ही तैनात कर दी गई हैं।
बयान में कहा गया कि महाराष्ट्र के राहत एवं पुनर्वास सचिव असीम गुप्ता को रक्षा मंत्रालय के साथ समन्वय के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। जिला संरक्षण मंत्रियों तथा निर्वाचित स्थानीय प्रतिनिधियों से बाढ़ प्रभावित जिलों में जाने को कहा गया है।
प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को फोन करके स्थिति से निपटने में केंद्र सरकार की तरफ से पूरी मदद करने का आश्वसान दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी महाराष्ट्र के रायगढ़ में भूस्खलन से लोगों की मौत पर दुख जताया है। उन्‍होंने ट्वीट किया है कि शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं। मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। महाराष्ट्र में भारी बारिश के कारण स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है और प्रभावितों को सहायता मुहैया कराई जा रही है। प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र में भूस्खलन की वजह से मरने वाले लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है, जबकि घायलों को 50 हज़ार रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट करके कहा कि महाराष्ट्र के रायगड में भारी बारिश व भूस्खलन के कारण हुआ हादसा अत्यंत दुःखद है। इस संबंध में मैंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) मुख्यालय के महानिदेशक से बात की है। एनडीआरएफ की टीम राहत व बचाव कार्यों में जुटी हुई है। केंद्र सरकार लोगों की जान बचाने के लिए वहां हर सम्भव मदद पहुंचा रही है।
पुणे में भारत मौसम विज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक के एस होसलिकर ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र महाबलेश्वर में 22 जुलाई को सुबह साढ़े आठ बजे से 23 जुलाई को देर रात 1 बजे तक, करीब 17 घंटों में 483 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है। इससे पहले 22 जुलाई को समाप्त हो रहे 24 घंटे की अवधि में इसी मौसम केंद्र ने वहां 461 मिलीमीटर बारिश दर्ज की थी। मौसम विभाग के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में 204.4 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश को अत्यधिक भारी बारिश माना गया है। हालांकि, महाबलेश्वर और नवाजा में राज्य सरकार के अलग-अलग विभागों द्वारा दर्ज आंकड़े दिखाते हैं कि बारिश इससे कहीं ज्यादा थी। भौगोलिक दृष्टि से महाबलेश्वर सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला (पश्चिमी घाट) के शीर्ष बिंदुओं में से एक है जो महाराष्ट्र को तटीय क्षेत्र और पठार के बीच विभाजित करता है।
इसी प्रकार की भारी वर्षा सतारा जिले में महाराष्ट्र के प्रमुख पन-बिजली संयंत्र कोयना पर स्थापित मौसम केंद्र नवाजा में भी दर्ज की गई। अधिकारियों ने बताया कि रत्नागिरि जिले में चिपलुन नवाजा के पश्चिम में है जहां इसी अवधि में 300 मिमी से ज्यादा वर्षा दर्ज की गई। मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि महाबलेश्वर और महाड (रायगड जिले में) के साथ ही नवाजा और चिपलुन में हवाई दूरी ज्यादा नहीं है इसलिए इन शीर्ष बिंदुओं पर भारी बारिश से पानी इन कस्बों की तरफ बहकर आ रहा है। रायगड जिलाधिकारी कार्यालय के मुताबिक महाड तहसील में, पोलादपुर में 22 जुलाई से 23 जुलाई के बीच 305 मिमी बारिश हुई। लगातार हो रही बारिश के कारण तलाश एवं बचाव अभियान चलाना मुश्किल हो रहा है। रत्नागिरि जिलाधिकारी बी एन पाटिल ने कहा कि यह चिपलुन में पिछले 40 वर्षों में हुई सबसे बुरी बारिश है।

First Published : July 24, 2021 | 12:26 AM IST