मध्य प्रदेश के कर्मचारियों ने बकाया राशि पर तुरंत भुगतान नहीं किए जाने के सरकारी फैसले को स्वीकार करने के लिए अपनी सहमति व्यक्त कर दी है। यह राशि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन के बाद दिए जाने थे।
कर्मचारियों की बकाया राशि जनवरी 2006 से लेकर 31 अगस्त 2008 तक बाकी है। राज्य सरकार के सामने अपने कर्मचारियों की बकाया राशि के भुगतान के लिए 8000 करोड़ रुपये धनराशि की व्यवस्था करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
तृतीय श्रेणी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण कैलासिया ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम लोगों ने हाल ही में राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की है और उन्होंने कहा है कि मौजूदा आर्थिक मंदी के बीच उनकी सरकार बकाया राशि का नकद भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं।’
कैलासिया ने बताया, ‘इस महीने के 9 तारीख को हम लोगों ने सभी कर्मचारी संघों की एक बैठक बुलाई है। इस बैठक में हम लोग उन कर्मचारी संघों को बताएंगे कि कर्मचारियों के हित के लिए हम लोगों को बकाया राशि की नकद भुगतान की मांग को छोड़ देना चाहिए और इसके बदले उस बकाया राशि को कर्मचारियों के सामान्य भविष्य निधि खातों में जमा हो जाना चाहिए।’
उन्होंने बताया कि इस बकाया राशि की निकासी पांच वर्षों के लिए वर्जित होना चाहिए। लेकिन जो सेवानिवृत हो जाएंगे वे अपने बकाया राशि निकालने के लिए हकदार होंगे।
कैलासिया ने बताया कि यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि इस वक्त राज्य बहुत कठिन वित्तीय परिस्थितियों से गुजर रहा है।